नैनीताल: उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारियों के बकाया वेतन न देने और कर्मचारियों पर एस्मा लगाने के मामले पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्रीय परिवहन सचिव को 18 फरवरी को समस्त रिकॉर्ड के साथ नैनीताल हाई कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं. मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि सरकार और कर्मचारियों का समझौता हो गया है. मामले में नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने परिवहन निगम को शपथ-पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं, इस मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी.
बता दें कि रोडवेज कर्मचारी एसोसिएशन के द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो सरासर गलत है, सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर कर रही है और सरकार व परिवहन निगम ना तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं, न ही उनको नियमित वेतन दे रहे हैं और उनको पिछले 4 साल से ओवर टाइम का पैसा तक नहीं दिया है. वहीं, रिटायर्ड कर्मचारियों के देय का अब तक भुगतान नहीं किया गया है.
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कर्मचारी यूनियन का कहना है कि सरकार और निगम का उनके साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है, लेकिन उसके बाद भी सरकार कर्मचारियों पर एस्मा लगाने जा रही है साथ ही याचिका में कहा है कि सरकार निगम को 69 करोड़ रुपया बकाया देना है. वहीं, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखंड परिवहन निगम को 800 करोड़ का बकाया देना है. जिस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
वहीं, उत्तर प्रदेश से 800 करोड़ लेने के लिए न तो राज्य सरकार कोई प्रयास कर रही है और उत्तराखंड सरकार भी उनका का पैसा नही दे रही है. जिस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम नई बसें नहीं खरीद पा रहा है न ही यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं की व्यवस्था कर पा रहा है. जबकि, पूर्व में कोर्ट ने बसों में सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं देने के आदेश दिए थे.
बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आर सी खुल्बे की खंडपीठ ने केंद्रीय परिवहन सचिव को समस्त रिकॉर्ड के साथ हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं.