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Ground Water: क्रिटिकल जोन में पहुंचा हल्द्वानी शहर, अब जल संस्थान ने बनाया प्लान - Uttarakhand Jal Sansthan

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने हल्द्वानी शहर को क्रिटिकल जोन घोषित किया है. जिसको लेकर उत्तराखंड जल संस्थान भूमिगत जल को रिचार्ज करेगा. नैनीताल बरेली रोड पर 4 किलोमीटर दायरे में 8 इंच के बोरवेल पाइप के माध्यम से करीब 80 मीटर नीचे बरसात के पानी से जल को रिचार्ज करने का काम किया जाएगा.

Haldwani
हल्द्वानी
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Published : Jun 26, 2022, 5:50 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड के पास पीने के पानी के पर्याप्त साधन हैं. उसके बावजूद भी उत्तराखंड की जनता को पीने के पाने के लिए तरसना पड़ता है. उत्तराखंड में पेयजल की सबसे बड़ी समस्या गर्मियों के मौसम में देखी जाती है. बात हल्द्वानी की करें तो इन दिनों हल्द्वानी में पेयजल की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. शहर की आधी आबादी गौला नदी के पानी पर निर्भर है, शहर की भूमिगत पानी का लेवल लगातार गिरता जा रहा है.

वर्तमान में हल्द्वानी में पानी का भूमिगत लेवल 230 मीटर पहुंच गया है. ऐसे में सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड ने हल्द्वानी शहर को भूमिगत पानी लेवल के मामले में क्रिटिकल जोन घोषित (Haldwani city declared critical zone) किया है, जिसको देखते हुए अब जल संस्थान शहर के भूमिगत जल स्रोत को रिचार्ज करने की योजना तैयार कर रहा है, जिससे कि ग्राउंड वाटर लेवल को बेहतर बनाया जा सके.

हल्द्वानी शहर का ग्राउंड वाटर लेवल गिरा.

अधीक्षण अभियंता जल संस्थान विशाल कुमार सक्सेना ने बताया कि हल्द्वानी का भूमिगत जल स्तर लगातार गिर रहा है. हल्द्वानी का भूमिगत जल स्तर 230 मीटर पहुंच गया है, जिसके चलते जल संस्थान के ट्यूबल से पानी निकालने में परेशानी हो रही है. ऐसे में उत्तराखंड में पहली बार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हल्द्वानी में भूमिगत जल को रिचार्ज करने का काम शुरू होने जा रहा है, जिसके तहत शहर के 4 किलोमीटर के दायरे में 40 बोरवेल लगेंगे जिससे कि बरसात के पानी से शहर के वाटर लेवल को रिचार्ज किया जा सके.

उन्होंने बताया कि नैनीताल बरेली रोड पर 4 किलोमीटर दायरे में 8 इंच के बोरवेल पाइप के माध्यम से करीब 80 मीटर नीचे बरसात के पानी से जल को रिचार्ज करने का काम किया जाएगा, जिससे कि भविष्य में शहर का वाटर लेवल ठीक हो सके. लोगों को पेयजल उपलब्ध हो सके. इसके अलावा इस प्रोजेक्ट से शहर में वाटर लॉगिंग की भी समस्या दूर हो जाएंगी.
पढ़ें- वन विभाग में तैयार हुई ट्रांसफर लिस्ट, PCCF Wildlife बनाये जा सकते हैं अनूप मलिक

अधीक्षण अभियंता ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर काम किया जाना है. जयपुर की टीम पूरे प्रोजेक्ट की ग्राउंड सर्वे कर रही है. सर्वे के बाद इस योजना को धरातल पर लाए जाने का काम किया जाएगा. सर्वे रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपने के बाद बजट मिलते ही इस पायलट प्रोजेक्ट को धरातल पर उतार दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट को लगाने में शुरुआती खर्च करीब एक करोड़ का है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड के पास पीने के पानी के पर्याप्त साधन हैं. उसके बावजूद भी उत्तराखंड की जनता को पीने के पाने के लिए तरसना पड़ता है. उत्तराखंड में पेयजल की सबसे बड़ी समस्या गर्मियों के मौसम में देखी जाती है. बात हल्द्वानी की करें तो इन दिनों हल्द्वानी में पेयजल की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. शहर की आधी आबादी गौला नदी के पानी पर निर्भर है, शहर की भूमिगत पानी का लेवल लगातार गिरता जा रहा है.

वर्तमान में हल्द्वानी में पानी का भूमिगत लेवल 230 मीटर पहुंच गया है. ऐसे में सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड ने हल्द्वानी शहर को भूमिगत पानी लेवल के मामले में क्रिटिकल जोन घोषित (Haldwani city declared critical zone) किया है, जिसको देखते हुए अब जल संस्थान शहर के भूमिगत जल स्रोत को रिचार्ज करने की योजना तैयार कर रहा है, जिससे कि ग्राउंड वाटर लेवल को बेहतर बनाया जा सके.

हल्द्वानी शहर का ग्राउंड वाटर लेवल गिरा.

अधीक्षण अभियंता जल संस्थान विशाल कुमार सक्सेना ने बताया कि हल्द्वानी का भूमिगत जल स्तर लगातार गिर रहा है. हल्द्वानी का भूमिगत जल स्तर 230 मीटर पहुंच गया है, जिसके चलते जल संस्थान के ट्यूबल से पानी निकालने में परेशानी हो रही है. ऐसे में उत्तराखंड में पहली बार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हल्द्वानी में भूमिगत जल को रिचार्ज करने का काम शुरू होने जा रहा है, जिसके तहत शहर के 4 किलोमीटर के दायरे में 40 बोरवेल लगेंगे जिससे कि बरसात के पानी से शहर के वाटर लेवल को रिचार्ज किया जा सके.

उन्होंने बताया कि नैनीताल बरेली रोड पर 4 किलोमीटर दायरे में 8 इंच के बोरवेल पाइप के माध्यम से करीब 80 मीटर नीचे बरसात के पानी से जल को रिचार्ज करने का काम किया जाएगा, जिससे कि भविष्य में शहर का वाटर लेवल ठीक हो सके. लोगों को पेयजल उपलब्ध हो सके. इसके अलावा इस प्रोजेक्ट से शहर में वाटर लॉगिंग की भी समस्या दूर हो जाएंगी.
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अधीक्षण अभियंता ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर काम किया जाना है. जयपुर की टीम पूरे प्रोजेक्ट की ग्राउंड सर्वे कर रही है. सर्वे के बाद इस योजना को धरातल पर लाए जाने का काम किया जाएगा. सर्वे रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपने के बाद बजट मिलते ही इस पायलट प्रोजेक्ट को धरातल पर उतार दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट को लगाने में शुरुआती खर्च करीब एक करोड़ का है.

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