हल्द्वानी : केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति मांगने वाले उत्तराखंड के चर्चित आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को प्रदेश सरकार द्वारा दी गई एनओसी उसी से छेड़छाड़ पर केंद्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण (केट) की इलाहाबाद बेंच ने रोक लगा दी है. ऐसे में अब प्रदेश सरकार संजीव चतुर्वेदी को दी गई अपनी एनएससी को वापस नहीं ले सकेगी. कोर्ट ने कहा है कि जब तक मामले का निपटारा नहीं हो जाता तब तक राज्य सरकार दी गई अपनी इन उसी से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकते है. कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई 30 सितंबर को की थी.
भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने वाले भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी 2002 में उत्तराखंड बैच के अधिकारी हैं, और इससे पूर्व उन्होंने दिल्ली एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी रहते हुए एम्स में हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया था. जिसके बाद चतुर्वेदी सुर्खियों में आए थे. संजीव चतुर्वेदी करीब 10 महीने पहले उन्होंने केंद्रीय लोकपाल की अन्वेषण शाखा में अधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन किया था. जिसके लिए राज्य सरकार ने उनको एनओसी भी जारी किया था.संजीव चतुर्वेदी ने केंद्रीय लोकपाल में प्रतिनियुक्ति आवेदन में कहा था कि उन्होंने कई भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए हैं. ऐसे में वह केंद्रीय लोकपाल में उनको अन्वेषण शाखा में अधिकारी के रूप पर प्रतिनियुक्ति दी जाए.
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फिलहाल केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. लेकिन संजीव चतुर्वेदी को आशंका थी कि उनके एनओसी से छेड़छाड़ की जा सकती है. जिसके बाद कोर्ट ने 30 सितंबर को संजीव चतुर्वेदी के एनओसी पर सुनवाई करते हुए मामले का निपटारा न होने तक एनओसी को जस का तस बनाए रखने का आदेश दिया है. बताया जा रहा है कि इससे पहले प्रदेश सरकार संजीव चतुर्वेदी को एनओसी देने के बाद उसे छेड़छाड़ कर वापस लेने की कोशिश की थी. जिसके बाद कोर्ट ने पूरे मामले में सुनवाई की थी. गौतलब है कि संजीव चतुर्वेदी वर्तमान में हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र के निदेशक के साथ-साथ मुख्य वन संरक्षक भी हैं.