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नदियों से खनन चुगान बंद, अवधि बढ़ने के बावजूद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने लगाया अड़ंगा, सरकार को हुआ भारी नुकसान

कुमाऊं में नदियों से खनन का कार्य बंद कर दिया गया है. प्रदेश सरकार के खनन की अवधि बढ़ाने के बावजूद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने फैसले पर अड़ंगा लगा दिया है. केंद्र के फैसले से प्रदेश सरकार को पिछले राजस्व के मुताबिक करीब 56 करोड़ नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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Published : Jun 3, 2023, 7:31 PM IST

नदियों से खनन चुगान बंद होने सरकार को बड़ा नुकसान.

हल्द्वानी: मॉनसून सत्र के मद्देनजर कुमाऊं के नदियों से होने वाले खनन कार्य अगले आदेश तक बंद कर दिए गए हैं. इस साल गौला, नंधौर व शारदा नदी से होने वाले खनन चुगान से प्रदेश सरकार को करीब 109 करोड़ रुपए राजस्व मिला है. नदियों में इस बार खनन सत्र देरी से शुरू होने के कारण प्रदेश सरकार को खनन से होने वाले राजस्व का भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में राजस्व को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार ने खनन कार्य की अवधि 31 मई से बढ़ाकर 30 जून की थी. लेकिन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति नहीं मिलने के चलते खनन कार्य पर अब संकट खड़ा हो गया है.

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के गाइडलाइन के मुताबिक, हर साल नदियों से 31 मई तक खनन चुगान का कार्य होता है, लेकिन इस साल खनन कारोबारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण खनन चुगान का कार्य देरी से शुरू हुआ. ऐसे में इस बार नदियों से निकलने वाला उप खनिज कम निकलने से प्रदेश सरकार को भी राजस्व का काफी नुकसान हुआ है. उधर केंद्र सरकार की गाइडलाइन के चलते सरकार के खनन अवधि बढ़ाने के फैसले पर अड़ंगा लग चुका है.

बताया जा रहा है कि भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की सख्ती के कारण प्रदेश सरकार व अधिकारी इस पर कोई अन्य फैसला नहीं ले पा रहे हैं. हालांकि, राज्य सरकार को उम्मीद है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिलेगी, जिसके बाद खनन का कार्य फिर शुरू होगा.
ये भी पढ़ेंः गौला नदी में खनन की अवधि एक महीने बढ़ाई गई, अब 30 जून तक होगी माइनिंग

नदियों से खनन चुगान बंद होने सरकार को बड़ा नुकसान.

हल्द्वानी: मॉनसून सत्र के मद्देनजर कुमाऊं के नदियों से होने वाले खनन कार्य अगले आदेश तक बंद कर दिए गए हैं. इस साल गौला, नंधौर व शारदा नदी से होने वाले खनन चुगान से प्रदेश सरकार को करीब 109 करोड़ रुपए राजस्व मिला है. नदियों में इस बार खनन सत्र देरी से शुरू होने के कारण प्रदेश सरकार को खनन से होने वाले राजस्व का भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में राजस्व को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार ने खनन कार्य की अवधि 31 मई से बढ़ाकर 30 जून की थी. लेकिन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति नहीं मिलने के चलते खनन कार्य पर अब संकट खड़ा हो गया है.

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के गाइडलाइन के मुताबिक, हर साल नदियों से 31 मई तक खनन चुगान का कार्य होता है, लेकिन इस साल खनन कारोबारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण खनन चुगान का कार्य देरी से शुरू हुआ. ऐसे में इस बार नदियों से निकलने वाला उप खनिज कम निकलने से प्रदेश सरकार को भी राजस्व का काफी नुकसान हुआ है. उधर केंद्र सरकार की गाइडलाइन के चलते सरकार के खनन अवधि बढ़ाने के फैसले पर अड़ंगा लग चुका है.

बताया जा रहा है कि भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की सख्ती के कारण प्रदेश सरकार व अधिकारी इस पर कोई अन्य फैसला नहीं ले पा रहे हैं. हालांकि, राज्य सरकार को उम्मीद है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिलेगी, जिसके बाद खनन का कार्य फिर शुरू होगा.
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