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नैनीताल में स्थापित पहला मेथोडिस्ट चर्च, शीशे से बने प्रभु यीशु की मूर्ति बनी आकर्षण का केंद्र

नैनीताल के मल्लीताल में स्थित मेथोडिस्ट चर्च का इतिहास काफी पुराना है. इस चर्च की स्थापना 1858 में एक अंग्रेज विलियम बटलर ने की थी. इसके साथ ही अंग्रेजों द्वारा सदन एशिया में स्थापित किया गया पहला मेथोडिस्ट चर्च भी बन गया.

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Published : Dec 24, 2019, 11:55 PM IST

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मेथोडिस्ट चर्च

नैनीतालः पर्यटन के लिए विख्यात सरोवर नगरी ईसाई धर्म का केंद्र भी रहा है. क्रिसमस के मौके पर गिरजाघरों की बात की जाए तो कम ही लोग जानते हैं कि सदन एशिया का पहला मेथाडिस्ट चर्च केवल नैनीताल में मौजूद है. इतना ही नहीं इस शहर में कई ऐतिहासिक चर्च और चैपल भी मौजूद हैं. लिहाजा इस शहर को चर्चों का शहर भी कहा जाता है.

नैनीताल में स्थित मेथोडिस्ट चर्च.

नैनीताल शहर में करीब आधा दर्जन मुख्य चर्चों के अलावा एक दर्जन से अधिक चैपल मौजूद हैं. इन चर्चों में मल्लीताल रिक्शा स्टेशन के पास स्थित मेथोडिस्ट चर्च का इतिहास काफी पुराना है. इस चर्च की स्थापना 1858 में एक अंग्रेज विलियम बटलर ने की थी. इसी के साथ ही अंग्रेजों द्वारा सदन एशिया में स्थापित किया गया पहला मेथोडिस्ट चर्च भी बन गया.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंडः क्रिसमस के लिए सजे चर्च, बाजारों में खूब बिक रहे गिफ्ट और केक

अंग्रेजों को नैनीताल शहर बेहद पसंद था. वो इस शहर की तुलना यूरोपीय देशों से किया करते थे और अंग्रेजों ने ही इस शहर को छोटी विलायत का नाम भी दिया था. शायद यही कारण है कि अंग्रेजों ने इस खूबसूरत शहर में पहली बार मेथाडिस्ट चर्च की नींव रखी.

अपने ऐतिहासिक महत्व के चलते नैनीताल के चर्च लोगों की आस्था और पर्यटन का मुख्य केंद्र बनते जा रहे हैं. नैनीताल पहुंचने वाले विदेशी सैलानियों के साथ-साथ भारतीय सैलानियों के लिए भी मेथोडिस्ट चर्च प्रार्थना के लिए पसंद किया जाता है. इसके अलावा शहर के अन्य चर्चाओं में भी लोग पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ेंः हेरिटेज एविएशन के प्लेन में फिर आई तकनीकी खराबी, सभी उड़ानें रद्द

खासकर क्रिसमस के समय नैनीताल के चर्च में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. साल 1844 में स्थापित हुए इस शहर के सेंट जोंस का इतिहास भी बहुत पुराना रहा है. इस चर्च को लेक(झील) चर्च भी कहा जाता है. ब्रिटिश स्थापित कला का यह गिरजाघर अद्भुत नमूना है. जिसमें जर्मनी से लाए शीशों से प्रभु यीशु की विधि (मूर्ति) बनाई गई है.

ये भी पढ़ेंः रामनगर कोर्ट परिसर में हथियारबंद संदिग्धों के घूसने की खबर, छावनी में तब्दील हुआ पूरा इलाका

शहर में करीब एक दर्जन चर्च और चैपल मौजूद हैं. इस लिहाज से सरोवर नगरी को ईसाई धर्म का आस्था का केंद्र भी माना जाता है. क्रिसमस के चलते नैनीताल पर्यटकों से गुलजार है. सैलानी माल रोड में चहलकदमी करते नजर आ रहे हैं तो वहीं दुल्हन की तरह से सजे चर्चाें में खुद को जाने से रोक नहीं पा रहे हैं.

नैनीतालः पर्यटन के लिए विख्यात सरोवर नगरी ईसाई धर्म का केंद्र भी रहा है. क्रिसमस के मौके पर गिरजाघरों की बात की जाए तो कम ही लोग जानते हैं कि सदन एशिया का पहला मेथाडिस्ट चर्च केवल नैनीताल में मौजूद है. इतना ही नहीं इस शहर में कई ऐतिहासिक चर्च और चैपल भी मौजूद हैं. लिहाजा इस शहर को चर्चों का शहर भी कहा जाता है.

नैनीताल में स्थित मेथोडिस्ट चर्च.

नैनीताल शहर में करीब आधा दर्जन मुख्य चर्चों के अलावा एक दर्जन से अधिक चैपल मौजूद हैं. इन चर्चों में मल्लीताल रिक्शा स्टेशन के पास स्थित मेथोडिस्ट चर्च का इतिहास काफी पुराना है. इस चर्च की स्थापना 1858 में एक अंग्रेज विलियम बटलर ने की थी. इसी के साथ ही अंग्रेजों द्वारा सदन एशिया में स्थापित किया गया पहला मेथोडिस्ट चर्च भी बन गया.

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अंग्रेजों को नैनीताल शहर बेहद पसंद था. वो इस शहर की तुलना यूरोपीय देशों से किया करते थे और अंग्रेजों ने ही इस शहर को छोटी विलायत का नाम भी दिया था. शायद यही कारण है कि अंग्रेजों ने इस खूबसूरत शहर में पहली बार मेथाडिस्ट चर्च की नींव रखी.

अपने ऐतिहासिक महत्व के चलते नैनीताल के चर्च लोगों की आस्था और पर्यटन का मुख्य केंद्र बनते जा रहे हैं. नैनीताल पहुंचने वाले विदेशी सैलानियों के साथ-साथ भारतीय सैलानियों के लिए भी मेथोडिस्ट चर्च प्रार्थना के लिए पसंद किया जाता है. इसके अलावा शहर के अन्य चर्चाओं में भी लोग पहुंचते हैं.

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खासकर क्रिसमस के समय नैनीताल के चर्च में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. साल 1844 में स्थापित हुए इस शहर के सेंट जोंस का इतिहास भी बहुत पुराना रहा है. इस चर्च को लेक(झील) चर्च भी कहा जाता है. ब्रिटिश स्थापित कला का यह गिरजाघर अद्भुत नमूना है. जिसमें जर्मनी से लाए शीशों से प्रभु यीशु की विधि (मूर्ति) बनाई गई है.

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शहर में करीब एक दर्जन चर्च और चैपल मौजूद हैं. इस लिहाज से सरोवर नगरी को ईसाई धर्म का आस्था का केंद्र भी माना जाता है. क्रिसमस के चलते नैनीताल पर्यटकों से गुलजार है. सैलानी माल रोड में चहलकदमी करते नजर आ रहे हैं तो वहीं दुल्हन की तरह से सजे चर्चाें में खुद को जाने से रोक नहीं पा रहे हैं.

Intro:Summry देश भर में केवल नैनीताल को कहा जाता है चर्चाओं का शहर नैनीताल में है करीब दर्जन भर से अधिक चर्च। Intro पर्यटन के लिए विख्यात सरोवर नगरी नैनीताल में ईसाई धर्म का विशेष इतिहास रहा है, क्रिसमस के मौके पर अगर बात गिरजाघरो की की जाए तो कम ही लोग जानते हैं कि सदन एशिया का पहला मेथाडिस्ट चर्च ना केवल नैनीताल में मौजूद है बल्कि इस शहर में कई ऐतिहासिक चर्च और चैपल मौजूद है लिहाजा इस शहर को चर्चों का शहर भी कहा जाता है


Body:प्राकृतिक खूबसूरती के साथ ही नैनीताल शहर ईसाई धर्म का केंद्र भी रहा है, करीब आधा दर्जन मुख्य चर्चों के अलावा एक दर्जन से अधिक चैपल मौजूद है, इन चर्चाओं में मल्लीताल रिक्शा स्टेशन के समीप स्थित मेथोडिस्ट चर्च का इतिहास बहुत पुराना है इस चर्च की स्थापना 1858 में एक अंग्रेज विलियम बटलर द्वारा की गई इसी के साथ ही अंग्रेजों द्वारा सदन एशिया में स्थापित किया गया पहला मेथोडिस्ट चर्च भी बन गया, अंग्रेजों को नैनीताल शहर बेहद पसंद था वो इस शहर की तुलना यूरोपीय देशों से क्या करते थे और अंग्रेजों ने ही इस शहर को छोटी विलायत का नाम भी दिया, शायद यही कारण है कि अंग्रेजों ने इस खूबसूरत शहर में पहली बार मेथाडिस्ट चर्च की नींव रखी और इसके अलावा भी कदम कदम पर नैनीताल शहर में और एप्पल मौजूद है।


Conclusion:अपने ऐतिहासिक महत्व के चलते नैनीताल के चर्च लोगों की आस्था और पर्यटन का मुख्य केंद्र बनते जा रहे हैं नैनीताल पहुंचने वाले विदेशी सैलानियों के साथ-साथ भारतीय सैलानियों के लिए भी मेथोडिस्ट चर्च प्रार्थना के लिए पसंद किया जाता है, इसके अलावा शहर के अन्य चर्चाओं में भी लोग पहुंचते हैं खासकर क्रिसमस के समय नैनीताल के चर्च में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। 1844 में स्थापित हुए इस शहर के सेंट जोंस का इतिहास भी बहुत पुराना रहा है इस चर्च को लेक चर्च भी कहा जाता है ब्रिटिश स्थापित कला का यह गिरजाघर अद्भुत नमूना है जिसमें जर्मनी से लाए शीशों से प्रभु यीशु की विधि ( मूर्ति ) बनाई है, शहर में करीब एक दर्जन चर्च और चैपल मौजूद हैं इस लिहाज से सरोवर नगरी को ईसाई धर्म का आस्था का केंद्र भी माना जाता है और क्रिसमस की खुशियां इससे दोगुनी हो जाती है। क्रिसमस के चलते सरोवर नगरी नैनीताल पर्यटकों से गुलजार है सैलानी माल रोड में चहलकदमी करते नजर आ रहे हैं तो वहीं दुल्हन की तरह से सजे चर्चाओं में खुद को जाने से रोक नहीं पा रहे क्रिसमस के मौके पर भीड़ इन चर्चाओं में जुट रही है और नैनीताल की प्रसिद्ध माल रोड में भी क्रिश्चियन समुदाय के लोग कैरल सिंगिंग करते हुए हाथों में मोमबत्ती पकड़कर शांति जूस निकाल रहे हैं और प्रभु यीशु के भजन गा रहे हैं। बाईट- हेनरी, फादर कैथोलिक चर्च।
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