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मदर्स डे: अनाथ बच्चों में उम्मीद की किरण जगा रही है 'आशादीप'

आज मदर टेरेसा भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन अभी भी उनका अनुसरण करने वाले लोग बेसहारा और अनाथ बच्चों का सहारा बन रहे है और उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रहे है.

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Published : May 12, 2019, 5:27 AM IST

हल्द्वानी: आज मदर्स डे है. मदर यानी मां, ये एक अक्षर संपूर्ण सृष्टि के बराबर माना गया है. यही कारण है कि अलग-अलग देशों के लोगों और वहां की संस्कृति में भले ही अंतर हो लेकिन दुनिया के हर कोने में मां की ममता एक जैसी ही होती है. कुछ मां तो ऐसी भी हुई हैं, जिन्होंने अपने बच्चों के लिए ही नहीं दूसरों के बच्चों को पालने, उनकी रक्षा करने और जीवन संवारने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया.

पढ़ें- कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या में आई कमी, अधिकारियों की ये मुहिम लाई रंग

दुनिया में शायद ही कोई हो, जो त्याग, समर्पण और सेवा की साक्षात मूर्ति मदर टेरेसा के नाम से परिचित नहीं होगा. मदर टेरेसा जिंदगी भर दूसरों की सेवा करती रहीं और जीते जी ऐसा मार्ग प्रशस्त कर गईं कि उनके जाने के बाद भी उनका अनुसरण करके लोग अनाथ बच्चों और बेसहारा लोगों की मदद कर रहे हैं.

अनाथ बच्चों में उम्मीद की किरण जगा रही है 'आशादीप'

आज मदर टेरेसा भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन अभी भी उनका अनुसरण करने वाले लोग बेसहारा और अनाथ बच्चों का सहारा बन रहे है और उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रहे है. हम बात कर रहे है हल्द्वानी के मोती नगर स्थित आशादीप संस्था की, जो पिछले 15 सालों से लावारिस, अनाथ और शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार बच्चों की सेवा कर रहा है.

पढ़ें- पड़ताल: राजस्व और पुलिस विभाग से जुड़े हैं सबसे ज्यादा दलित उत्पीड़न के मामले

संस्था की सिस्टर वेनेय ने बताया कि यहां ऐसे लोगों को लाया जाता है जिनका कोई नहीं होता है. जनप्रतिनिधि और पुलिस यहां लावारिस, दिव्यांग और बीमार लोगों को लाकर छोड़ देती है. संस्था उनका इलाज करने के साथ उनकी देखभाल करती है. सिस्टर वेनेय ने बताया कि इस काम को करने से उन्हें बड़ी संतुष्टि मिलती है. सिस्टर वेनेय इन मासूम बेसहारा बच्चों को मां का प्यार देती है. यही कारण है कि ये बच्चों भी सिस्टर वेनेय से बहुत प्यार करते है.

हल्द्वानी: आज मदर्स डे है. मदर यानी मां, ये एक अक्षर संपूर्ण सृष्टि के बराबर माना गया है. यही कारण है कि अलग-अलग देशों के लोगों और वहां की संस्कृति में भले ही अंतर हो लेकिन दुनिया के हर कोने में मां की ममता एक जैसी ही होती है. कुछ मां तो ऐसी भी हुई हैं, जिन्होंने अपने बच्चों के लिए ही नहीं दूसरों के बच्चों को पालने, उनकी रक्षा करने और जीवन संवारने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया.

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दुनिया में शायद ही कोई हो, जो त्याग, समर्पण और सेवा की साक्षात मूर्ति मदर टेरेसा के नाम से परिचित नहीं होगा. मदर टेरेसा जिंदगी भर दूसरों की सेवा करती रहीं और जीते जी ऐसा मार्ग प्रशस्त कर गईं कि उनके जाने के बाद भी उनका अनुसरण करके लोग अनाथ बच्चों और बेसहारा लोगों की मदद कर रहे हैं.

अनाथ बच्चों में उम्मीद की किरण जगा रही है 'आशादीप'

आज मदर टेरेसा भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन अभी भी उनका अनुसरण करने वाले लोग बेसहारा और अनाथ बच्चों का सहारा बन रहे है और उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रहे है. हम बात कर रहे है हल्द्वानी के मोती नगर स्थित आशादीप संस्था की, जो पिछले 15 सालों से लावारिस, अनाथ और शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार बच्चों की सेवा कर रहा है.

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संस्था की सिस्टर वेनेय ने बताया कि यहां ऐसे लोगों को लाया जाता है जिनका कोई नहीं होता है. जनप्रतिनिधि और पुलिस यहां लावारिस, दिव्यांग और बीमार लोगों को लाकर छोड़ देती है. संस्था उनका इलाज करने के साथ उनकी देखभाल करती है. सिस्टर वेनेय ने बताया कि इस काम को करने से उन्हें बड़ी संतुष्टि मिलती है. सिस्टर वेनेय इन मासूम बेसहारा बच्चों को मां का प्यार देती है. यही कारण है कि ये बच्चों भी सिस्टर वेनेय से बहुत प्यार करते है.

Intro: स्लग-मदर्स डे स्पेशल
रिपोर्टर- भावनाथ पंडित हल्द्वानी
एंकर- आज मदर्स डे है मां का दर्जा भगवान से ऊपर माना जाता है। उन्हीं मां में एक मा है मदर टेरेसा वह मां जिसने अपनी पूरी जिंदगी दूसरों के नाम कर दी। मदर टेरेसा के नक्शे कदम पर यहां भी एक मां है जो अपनी जिंदगी दूसरों के नाम कर रही हैं
देखिए एक रिपोर्ट


Body: मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन आशाओं के लिए समर्पित कर दिया था। उन्हीं के नक्शे कदम पर हल्द्वानी के मोती नगर स्थित आशादीप संस्था इन दिनों लावारिस और दिव्यांग लोगों को सहारा दे रहा है। इस संस्था में 60 से अधिक मानसिक और शारीरिक दिव्यांग है जिन की देखभाल कर उनको नई जिंदगी दी जा रही है। मोती नगर स्थित इस संस्था में पिछले 15 वषों लावारिस, दिव्यांग,बीमार लोगों को सेवा कर रहा है इनमें यह लोग हैं जिनको अपनों ने छोड़ दिया है।
संस्था के सिस्टर वेनेय का कहना है कि इधर उधर सड़क के किनारे पड़े लावारिस बीमार लोगों को जिनका कोई नहीं है उनको लाकर यहां देखभाल की जाती है। जनप्रतिनिधि और पुलिस यहां लावारिस दिव्यांग और बीमार लोगों को लाकर छोड़ देती है जिनका इलाज कर उनकी उचित देखरेख किया जाता है। सिस्टर वेनेय का कहना है कि इस तरह से लोगों को सेवा कर उनको संतुष्टि मिलती है और यह सेवा उनके लिए समर्पित है।


Conclusion: इन दिव्यांग और बीमारों को मां का प्यार सिस्टर वेनेय दे रही है और यहां रहने वाले बीमार और दिव्यांग इस मां के प्यार से हमेशा खुश रहते हैं।
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