हल्द्वानी: आज मदर्स डे है. मदर यानी मां, ये एक अक्षर संपूर्ण सृष्टि के बराबर माना गया है. यही कारण है कि अलग-अलग देशों के लोगों और वहां की संस्कृति में भले ही अंतर हो लेकिन दुनिया के हर कोने में मां की ममता एक जैसी ही होती है. कुछ मां तो ऐसी भी हुई हैं, जिन्होंने अपने बच्चों के लिए ही नहीं दूसरों के बच्चों को पालने, उनकी रक्षा करने और जीवन संवारने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया.
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दुनिया में शायद ही कोई हो, जो त्याग, समर्पण और सेवा की साक्षात मूर्ति मदर टेरेसा के नाम से परिचित नहीं होगा. मदर टेरेसा जिंदगी भर दूसरों की सेवा करती रहीं और जीते जी ऐसा मार्ग प्रशस्त कर गईं कि उनके जाने के बाद भी उनका अनुसरण करके लोग अनाथ बच्चों और बेसहारा लोगों की मदद कर रहे हैं.
आज मदर टेरेसा भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन अभी भी उनका अनुसरण करने वाले लोग बेसहारा और अनाथ बच्चों का सहारा बन रहे है और उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रहे है. हम बात कर रहे है हल्द्वानी के मोती नगर स्थित आशादीप संस्था की, जो पिछले 15 सालों से लावारिस, अनाथ और शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार बच्चों की सेवा कर रहा है.
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संस्था की सिस्टर वेनेय ने बताया कि यहां ऐसे लोगों को लाया जाता है जिनका कोई नहीं होता है. जनप्रतिनिधि और पुलिस यहां लावारिस, दिव्यांग और बीमार लोगों को लाकर छोड़ देती है. संस्था उनका इलाज करने के साथ उनकी देखभाल करती है. सिस्टर वेनेय ने बताया कि इस काम को करने से उन्हें बड़ी संतुष्टि मिलती है. सिस्टर वेनेय इन मासूम बेसहारा बच्चों को मां का प्यार देती है. यही कारण है कि ये बच्चों भी सिस्टर वेनेय से बहुत प्यार करते है.