नैनीतालः कुमाऊं विश्वविद्यालय (Kumaun University) के कुलपति प्रोफेसर एनके जोशी (Professor NK Joshi) की नियुक्ति का मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया है. मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कुलपति समेत विश्वविद्यालय प्रशासन को अगले हफ्ते जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने कुलपति समेत विश्वविद्यालय से पूछा है कि कुलपति चयन प्रक्रिया में कौन-कौन सदस्य शामिल थे.
बता दें कि देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान (Ravindra Jugran) ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति एनके जोशी कुलपति पद के लिए योग्य नहीं हैं. एनके जोशी ने कुलपति बनने के लिए अपने बायोडाटा में अधिकांश जानकारी गलत दी है. याचिकाकर्ता रविंद्र जुगरान का कहना है कि कुलपति की नियुक्ति में यूजीसी (University Grants Commission) के नियमों समेत यूपी यूनिवर्सिटी एक्ट (UP University act) का भी उल्लंघन किया गया है.
रविंद्र जुगरान का कहना है कि विश्वविद्यालय का कुलपति बनने के लिए उम्मीदवार को कम से कम प्रोफेसर के पद पर 10 साल का अनुभव या किसी रिसर्च इंस्टीट्यूट या अकादमिक प्रशासनिक संस्थान (academic administrative institution) में समान पद पर होना आवश्यक है. जिसके बाद ही उम्मीदवार के द्वारा कुलपति पद के लिए आवेदन किया जा सकता है. लेकिन प्रोफेसर एनके जोशी के द्वारा नियमों को ताक पर रखते हुए आवेदन किया. इसके अलावा कुलपति की नियुक्ति करने वाले चयन कमेटी के द्वारा भी प्रोफेसर एनके जोशी को अयोग्य होते हुए उनका नाम राज्यपाल के पास भेज दिया गया.
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याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि प्रोफेसर एनके जोशी के शैक्षणिक दस्तावेजों में भी कई अनियमितताएं हैं. क्योंकि प्रोफेसर एनके जोशी के द्वारा अपने आप को भौतिक विज्ञान में एमएससी, वन विज्ञान में पीएचडी व कुलपति के पद हेतु अपने आपको कंप्यूटर विज्ञान का प्रोफेसर बताया है जो गलत है. याचिकाकर्ता रविंद्र जुगरान ने कोर्ट को बताया है कि एनके जोशी किसी भी सरकारी विश्वविद्यालय या कॉलेज में कभी प्रोफेसर के पद में नियुक्त नहीं रहे. एनके जोशी ने कुलपति का पद गलत जानकारी देकर प्राप्त किया. लिहाज उनको तत्काल पद से हटाया जाए.