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अनुपमा गुलाटी हत्याकांड: आरोपी को HC से राहत नहीं, 14 सितंबर को फिर होगी सुनवाई - गुलाटी हत्याकांड के मामले में राजेश गुलाटी की तरफ से दायर अंतरिम जमानत प्रार्थना

हाईकोर्ट ने देहरादून के चर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के मामले में राजेश गुलाटी की तरफ से दायर अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र सुनवाई करते हुए याचिकर्ता से ठीक तरीके से शपथपत्र पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी.

Nanital High court
अनुपमा गुलाटी हत्याकांड
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Published : Sep 2, 2020, 10:57 PM IST

नैनीताल: देहरादून की चर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के दोषी राजेश गुलाटी को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सकी है. हाईकोर्ट ने राजेश की अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए राजेश गुलाटी को शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है. हाईकोर्ट अब इस मामले पर 14 सितंबर को सुनवाई करेगा.

आपको बता दें कि 17 अक्टूबर 2010 को राजेश गुलाटी ने ही अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की हत्या कर दी थी. फिर उसके शव को 72 टुकड़े कर फ्रीज में डाल दिया था. 12 दिसंबर 2010 को अनुपमा के भाई दिल्ली से देहरादून पहुंचे तो हत्या का खुलासा हुआ.

ये भी पढ़ें: देहरादून: वकालत पर कोरोना की मार, पेशा छोड़ने की फिराक में युवा

वहीं, 1 सितंबर को निचली अदालत ने दोषी राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 15 लाख का जुर्माना भी लगाया था. कोर्ट ने कहा था कि अर्थदंड से 70 हजार राजकीय कोष में जमा करने होंगे. बाकि राशि बच्चों के बालिग होने तक बैंक में जमा करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने भी इस हत्याकांड को जघन्य अपराध की श्रेणी में माना था. इस आदेश को राजेश गुलाटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

नैनीताल: देहरादून की चर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के दोषी राजेश गुलाटी को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सकी है. हाईकोर्ट ने राजेश की अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए राजेश गुलाटी को शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है. हाईकोर्ट अब इस मामले पर 14 सितंबर को सुनवाई करेगा.

आपको बता दें कि 17 अक्टूबर 2010 को राजेश गुलाटी ने ही अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की हत्या कर दी थी. फिर उसके शव को 72 टुकड़े कर फ्रीज में डाल दिया था. 12 दिसंबर 2010 को अनुपमा के भाई दिल्ली से देहरादून पहुंचे तो हत्या का खुलासा हुआ.

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वहीं, 1 सितंबर को निचली अदालत ने दोषी राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 15 लाख का जुर्माना भी लगाया था. कोर्ट ने कहा था कि अर्थदंड से 70 हजार राजकीय कोष में जमा करने होंगे. बाकि राशि बच्चों के बालिग होने तक बैंक में जमा करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने भी इस हत्याकांड को जघन्य अपराध की श्रेणी में माना था. इस आदेश को राजेश गुलाटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

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