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उत्तराखंड: यहां ठंड से बचने के लिए घोड़े पीते हैं शराब, ये है उनकी फेवरेट ब्रांड

नैनीताल में घोड़ों को सर्दी के बचाने के लिए रम पिलाई जाती है. साथ ही उन्हें रात में कंबल से ढका जाता है. घोड़ों के पैरों को सर्दी से बचाने के लिए गरम पट्टियां बांधी जाती हैं.

Nainital news
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Published : Jan 16, 2020, 8:22 AM IST

नैनीताल: इन दिनों समूचा उत्तर भारत कड़ाके की ठंड के आगोश में है. हिमालय से सटे राज्यों में भारी बर्फबारी हो रही है. ऐसे में इंसानों को परेशानी हो ही रही है, साथ ही जानवरों के लिए भी ये ठंड जानलेवा साबित हो रही है. लोग अपने जानवरों को ठंड से बचाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं. वहीं, नैनीताल के लोग अपने घोड़ों को ठंड से बचाने के लिए उनको शराब पिला रहे हैं, शराब में ज्यादातर उन्हें रम दिया जाता है. जबकि अच्छी सेहत के लिए गुड़, तेल, अजवाइन पका कर खिलाया जा रहा है.

नैनीताल में घोड़े पीते हैं शराब

घोड़ा संचालकों का मानना है कि घोड़ों को ठंड से बचाने के लिए वो तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. घोड़ों को रात के समय कंबल और मोटे कपड़ों से ढका जा रहा है. ठंड से बचाने के लिए उनके पैरों में गरम पट्टी बांधी जा रही है. माथे और गालों पर मफलर भी बांधे जा रहे हैं, ताकि घोड़े इस ठंड के मौसम में आराम से रह सकें.

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घोड़े के पैरों में बांधी गई पट्टियां.

पढ़ें- उत्तरायणी पर्व पर बच्चों ने दी सांस्कृतिक प्रस्तुति, मंत्री अरविंद पांडे ने की सराहना

घोड़ों के पांव में नाल लगा रहे अब्दुल रऊफ बताते हैं कि करीब 3 महीने के अंदर घोड़ों की नाल को बदलना पड़ता है, ताकि पहाड़ों में सफर करते समय घोड़ों को चलने में दिक्कत न हो.

नैनीताल: इन दिनों समूचा उत्तर भारत कड़ाके की ठंड के आगोश में है. हिमालय से सटे राज्यों में भारी बर्फबारी हो रही है. ऐसे में इंसानों को परेशानी हो ही रही है, साथ ही जानवरों के लिए भी ये ठंड जानलेवा साबित हो रही है. लोग अपने जानवरों को ठंड से बचाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं. वहीं, नैनीताल के लोग अपने घोड़ों को ठंड से बचाने के लिए उनको शराब पिला रहे हैं, शराब में ज्यादातर उन्हें रम दिया जाता है. जबकि अच्छी सेहत के लिए गुड़, तेल, अजवाइन पका कर खिलाया जा रहा है.

नैनीताल में घोड़े पीते हैं शराब

घोड़ा संचालकों का मानना है कि घोड़ों को ठंड से बचाने के लिए वो तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. घोड़ों को रात के समय कंबल और मोटे कपड़ों से ढका जा रहा है. ठंड से बचाने के लिए उनके पैरों में गरम पट्टी बांधी जा रही है. माथे और गालों पर मफलर भी बांधे जा रहे हैं, ताकि घोड़े इस ठंड के मौसम में आराम से रह सकें.

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घोड़े के पैरों में बांधी गई पट्टियां.

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घोड़ों के पांव में नाल लगा रहे अब्दुल रऊफ बताते हैं कि करीब 3 महीने के अंदर घोड़ों की नाल को बदलना पड़ता है, ताकि पहाड़ों में सफर करते समय घोड़ों को चलने में दिक्कत न हो.

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नैनीताल में घोड़ों को ठंड से बचाने के लिए पिला रहे हैं रम।

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इन दिनों पूरे देश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, इंसानों के साथ साथ जानवरों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और लोग अपने जानवरों को ठंड से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग कर रहे हैं ताकि इन बेजुबानो को इस कड़कड़ाती ठंड से बचाया जा सके।


Body:यूं तो सरोवर नगरी नैनीताल हर साल लाखो की संख्या में देश और विदेशी पर्यटक नैनीताल आते हैं और नैनीताल आकर घुड़सवारी करना नहीं भूलते लेकिन नैनीताल आने वाले पर्यटक ये नहीं जानते कि ठंड के दौरान जिन घोड़ो में नैनीताल की शांत और हसीन वादियों का लुफ्त उठा रहे हैं उन घोड़ो को पालने में नैनीताल की ठंड के दौरान कितनी मशक्कत करनी पड़ती है,
घोड़े वाले बताते हैं कि इन दिनों नैनीताल में पड़ रही कड़ाके की ठंड को देखते दे वह अपने घोड़ों को उनकी उम्र और सेहत के अनुसार रम (शराब) पिलाते हैं, और घोड़ों की सेहत बने रहे इसके लिए घोड़ों को गुड़, तेल, अजवाइन पका कर खिला रहे है वहीं रात के समय में घोड़ों को गर्म कंबल और झूलों से ढका जा रहा है, इतना ही नहीं घोड़ों के हाथ पांव में ठंड से दर्द ना हो इसको लेकर हाथ पांव में गरम पटिया भी बांटी जाती हैं वहीं घोड़ो के माथे और गालों पर मफलर भी बांधे जा रहे हैं ताकि घोड़े इस ठंड के मौसम में आराम से रह सकें।

बाईट- अहमब जान,घोड़ा चालक।


Conclusion:वही घोड़ा संचालक अपने घोड़ों के पांव की सलामती और उनकी ग्रिप बने रहे इसके लिए उनकी नालों का बदल रहे है,ताकि घोड़े तो सुरक्षित रह सकें और घोड़ों पर सवारी करने वाले पर्यटक भी सुरक्षित रह सके।
घोड़ों के पांव में नाल लगा रहे अब्दुल रऊफ बताते हैं कि करीब 3 महीने के अंदर घोड़ों के पांव में पहने जाने वाले जूते यानी नालों को बदलना पड़ता है ताकि पहाड़ों में सफर करते समय घोड़ों कुछ चलने में दिक्कत ना हो इसी वजह से समय-समय पर घोड़ों के पांव में नालों को बदला जाता है इन नालों को बदलने से पहले घोड़े के पांव की नाप भी ली जाती है ताकि सटीक नाल घोड़े के पांव में आ सके।
वही मोहम्मद रऊफ बताते हैं घोड़े के पांव से निकली हुई पुरानी नाल बेहद कीमती और महत्वपूर्ण होती है जिसका प्रयोग लोग नजर से बचने समेत विभिन्न प्रकार की पूजा करने के लिए, घर की देहली पर लगाने, नए वाहन को नजर से बचाने के लिए करते हैं और यही कारण है कि घोड़े के पांव से निकाली गई नाल की मांग बहुत ज्यादा रहती है।

बाईट- मोहमद रऊफ, घोड़ो की नाल बदलने वाले।
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