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जेपी नड्डा करेंगे उत्तराखंड का दौरा, कार्यकर्ताओं में उत्साह

नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट से सांसद अजय भट्ट ने बताया कि जल्द उत्तराखंड में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का दौरा होने वाला है. इस खबर के बाद भाजपा संगठन और कार्यकर्ताओं में बेहद उत्सुकता है. बीजेपी के सांसद अजय भट्ट ने बताया कि पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा उत्तराखंड का दौरा करेंगे

ajay bhatt
अजय भट्ट
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Published : Nov 18, 2020, 2:07 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 4:14 PM IST

हल्द्वानी: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र से सांसद अजय भट्ट ने बताया जल्द उत्तराखंड में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का दौरा होने वाला है. इस खबर के बाद भाजपा संगठन और कार्यकर्ताओं में बेहद उत्सुकता है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जब किसी प्रदेश में जाते हैं तो उस प्रदेश के संगठन के लिए उनका दौरा बेहद महत्वपूर्ण होता है.

2022 में उत्तराखंड में भी चुनाव हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे के साथ ही पूरा संगठन चुनावी मोड में आ जाएगा. इस दौरान सरकार की उपलब्धियां जनता तक पहुंचाने, संगठन के क्रियाकलापों और बूथ गठन की जानकारियों तक की समीक्षा की जाएगी.

जेपी नड्डा करेंगे उत्तराखंड का दौरा.

पढ़ें: भारत का पाक पर निशाना: कोविड-19 में भी आतंकवाद का किया समर्थन

अजय भट्ट ने कहा कि गढ़वाल में इगास और कुमाऊं में बूढ़ी दिवाली लोगों को घर पर ही मनानी चाहिए. वह हमेशा इसे अपने घर जाकर मनाते हैं. भट्ट ने कहा कि पौराणिक संस्कृति आने वाली पीढ़ी तक हस्तांतरित करने के लिए ये त्योहार मनाने जरूरी हैं.

ये होती है इगास

पहाड़ में दिवाली के ठीक 11 दिन बाद इगास मनाने की परंपरा है. इस दिन दिवाली का उत्सव अपनी पराकाष्ठा पर होता है. इसलिए इसे इगास-बग्वाल कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन लक्ष्मीजी जागृत होती हैं. इसलिए बग्वाल को लक्ष्मी पूजन किया जाता है. हरिबोधनी एकादशी यानी इगास पर श्रीहरि शयनावस्था से जागृत होते हैं. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं.

मवेशियों का भी है ये त्योहार

मवेशियों के लिए भात, झंगोरा, मंडुवे की बाड़ी,जौ का पींडू और तिल के आहार बनाए जाते हैं. मवेशियों को साफ-सुथरा कर दिया-बाती से उनकी पूजा की जाती है. मवेशियों के सींगों पर घर के सरसों के तेल का लगाया जाता है. पीतल की परात में उन्हें गौ ग्रास परोसा जाता है.

रामायण से जुड़ी है इगास

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम के वनवास से अयोध्या लौटने पर कार्तिक कृष्ण अमावस्या को घी के दिये जलाकर उनका स्वागत किया था. कहा जाता है कि उत्तराखंड के गढ़वाल में दूर-दराज के इलाकों में रामजी के अयोध्या लौटने की खबर 11 दिन बाद यानी कार्तिक शुक्ल एकादशी पहुंची थी. इसीलिए तब से दिवाली के 11 दिन बाद इगास मनाई जाती है.

माधो सिंह भंडारी को लेकर भी है लोक मान्यता

मान्यता है कि गढ़वाल राज्य के सेनापति वीर भड़ माधो सिंह भंडारी दिवाली पर नहीं लौटे. इससे दुखी और परेशान जनता ने दिवाली नहीं मनाई. दिवाली के 11 दिन बाद वो युद्ध से लौटे. उनके लौटने की खुशी में मनाई गई दिवाली को इगास कहा गया.

हल्द्वानी: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र से सांसद अजय भट्ट ने बताया जल्द उत्तराखंड में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का दौरा होने वाला है. इस खबर के बाद भाजपा संगठन और कार्यकर्ताओं में बेहद उत्सुकता है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जब किसी प्रदेश में जाते हैं तो उस प्रदेश के संगठन के लिए उनका दौरा बेहद महत्वपूर्ण होता है.

2022 में उत्तराखंड में भी चुनाव हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे के साथ ही पूरा संगठन चुनावी मोड में आ जाएगा. इस दौरान सरकार की उपलब्धियां जनता तक पहुंचाने, संगठन के क्रियाकलापों और बूथ गठन की जानकारियों तक की समीक्षा की जाएगी.

जेपी नड्डा करेंगे उत्तराखंड का दौरा.

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अजय भट्ट ने कहा कि गढ़वाल में इगास और कुमाऊं में बूढ़ी दिवाली लोगों को घर पर ही मनानी चाहिए. वह हमेशा इसे अपने घर जाकर मनाते हैं. भट्ट ने कहा कि पौराणिक संस्कृति आने वाली पीढ़ी तक हस्तांतरित करने के लिए ये त्योहार मनाने जरूरी हैं.

ये होती है इगास

पहाड़ में दिवाली के ठीक 11 दिन बाद इगास मनाने की परंपरा है. इस दिन दिवाली का उत्सव अपनी पराकाष्ठा पर होता है. इसलिए इसे इगास-बग्वाल कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन लक्ष्मीजी जागृत होती हैं. इसलिए बग्वाल को लक्ष्मी पूजन किया जाता है. हरिबोधनी एकादशी यानी इगास पर श्रीहरि शयनावस्था से जागृत होते हैं. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं.

मवेशियों का भी है ये त्योहार

मवेशियों के लिए भात, झंगोरा, मंडुवे की बाड़ी,जौ का पींडू और तिल के आहार बनाए जाते हैं. मवेशियों को साफ-सुथरा कर दिया-बाती से उनकी पूजा की जाती है. मवेशियों के सींगों पर घर के सरसों के तेल का लगाया जाता है. पीतल की परात में उन्हें गौ ग्रास परोसा जाता है.

रामायण से जुड़ी है इगास

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम के वनवास से अयोध्या लौटने पर कार्तिक कृष्ण अमावस्या को घी के दिये जलाकर उनका स्वागत किया था. कहा जाता है कि उत्तराखंड के गढ़वाल में दूर-दराज के इलाकों में रामजी के अयोध्या लौटने की खबर 11 दिन बाद यानी कार्तिक शुक्ल एकादशी पहुंची थी. इसीलिए तब से दिवाली के 11 दिन बाद इगास मनाई जाती है.

माधो सिंह भंडारी को लेकर भी है लोक मान्यता

मान्यता है कि गढ़वाल राज्य के सेनापति वीर भड़ माधो सिंह भंडारी दिवाली पर नहीं लौटे. इससे दुखी और परेशान जनता ने दिवाली नहीं मनाई. दिवाली के 11 दिन बाद वो युद्ध से लौटे. उनके लौटने की खुशी में मनाई गई दिवाली को इगास कहा गया.

Last Updated : Dec 17, 2020, 4:14 PM IST
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