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CM के निजी स्टाफ पर भारी-भरकम खर्च, RTI से मिली जानकारी में हुए चौंकाने वाले खुलासे - RTI activist Ravi Shankar Joshi

मुख्यमंत्री के पास सरकारी अमले के अलावा 28 निजी लोगों का स्टाफ है, जिन्हें हर महीने मोटा भुगतान किया जा रहा है. इतना ही नहीं कई लोगों के मोबाइल के बिलों का भुगतान भी सरकार द्वारा किया जा रहा है.

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निजी स्टाफ पर करोड़ों लुटा रहे मुख्यमंत्री
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Published : Feb 13, 2021, 9:55 PM IST

Updated : Feb 13, 2021, 10:06 PM IST

हल्द्वानी: गौलापार के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता रविशंकर जोशी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निजी स्टाफ की जानकारी मांगी है. जिसके तहत मिली जानकारी में बताया गया है कि मुख्यमंत्री के सरकारी स्टाफ के अलावा 28 निजी स्टाफ की तैनाती की गई है, जिनको हर महीने मोटा भुगतान किया जा रहा है. यही नहीं कई लोगों के मोबाइल का खर्च भी सरकार द्वारा उठाया जा रहा है.

निजी स्टाफ पर करोड़ों लुटा रहे मुख्यमंत्री

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) के तौर पर आठ लोग कार्यरत हैं. इसके अलावा मीडिया को-ऑर्डिनेटर के तौर पर एक व्यक्ति की नियुक्ति की गई है. जबकि जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर 5 लोग, प्रोटोकॉल अधिकारी एक, को-ऑर्डिनेटर एक, उप समन्वय सोशल मीडिया दो, निजी सहायक सात, कंप्यूटर सहायक एक और दो अनुसेवक मुख्यमंत्री के लिए निजी तौर पर काम कर रहे हैं.

Chief Minister of Uttarakhand is spending crores of rupees on his private staff
RTI से मिली जानकारी में हुए चौकाने वाले खुलासे

पढ़ें- चमोली आपदा: भारत-चीन सीमा पर बसे गांवों में उठने लगी विस्थापन की मांग, सामरिक दृष्टि से होगा नुकसान

यही नहीं आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक इन सभी को प्रति माह ₹60,000 से लेकर ₹2,00,000 तक का वेतन दिया जा रहा है. आरटीआई से यह भी जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री के चार विशेष कार्याधिकारी को शासन द्वारा फोन उपलब्ध कराए गए हैं, जिनके बिल का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है.

पढ़ें- चमोली आपदा: भारत-चीन सीमा पर बसे गांवों में उठने लगी विस्थापन की मांग, सामरिक दृष्टि से होगा नुकसान

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर सुमित भार्गव की नियुक्ति की गई है. जबकि जनसंपर्क अधिकारी के आवास के आवंटन के दौरान दिनेश बहुगुणा को जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर आवास का आवंटन किया गया है.

पढ़ें- चारधाम परियोजना की क्या है स्थिति, नितिन गडकरी ने दी ये जानकारी

आरटीआई कार्यकर्ता रविशंकर जोशी का कहना है कि उत्तराखंड लगातार कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है. मुख्यमंत्री के पास सरकारी अमला होने के बाद भी बड़ी संख्या में निजी लोग तैनात किये गये हैं. मुख्यमंत्री की राजनीतिक कृपा की बदौलत 28 लोगों पर हर साल वेतन के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. अगर इसी तरह से प्रदेश के खजाने से धन लुटाया जाएगा तो निश्चित ही प्रदेश की आर्थिक स्थिति कमजोर होगी.

हल्द्वानी: गौलापार के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता रविशंकर जोशी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निजी स्टाफ की जानकारी मांगी है. जिसके तहत मिली जानकारी में बताया गया है कि मुख्यमंत्री के सरकारी स्टाफ के अलावा 28 निजी स्टाफ की तैनाती की गई है, जिनको हर महीने मोटा भुगतान किया जा रहा है. यही नहीं कई लोगों के मोबाइल का खर्च भी सरकार द्वारा उठाया जा रहा है.

निजी स्टाफ पर करोड़ों लुटा रहे मुख्यमंत्री

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) के तौर पर आठ लोग कार्यरत हैं. इसके अलावा मीडिया को-ऑर्डिनेटर के तौर पर एक व्यक्ति की नियुक्ति की गई है. जबकि जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर 5 लोग, प्रोटोकॉल अधिकारी एक, को-ऑर्डिनेटर एक, उप समन्वय सोशल मीडिया दो, निजी सहायक सात, कंप्यूटर सहायक एक और दो अनुसेवक मुख्यमंत्री के लिए निजी तौर पर काम कर रहे हैं.

Chief Minister of Uttarakhand is spending crores of rupees on his private staff
RTI से मिली जानकारी में हुए चौकाने वाले खुलासे

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यही नहीं आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक इन सभी को प्रति माह ₹60,000 से लेकर ₹2,00,000 तक का वेतन दिया जा रहा है. आरटीआई से यह भी जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री के चार विशेष कार्याधिकारी को शासन द्वारा फोन उपलब्ध कराए गए हैं, जिनके बिल का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है.

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आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर सुमित भार्गव की नियुक्ति की गई है. जबकि जनसंपर्क अधिकारी के आवास के आवंटन के दौरान दिनेश बहुगुणा को जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर आवास का आवंटन किया गया है.

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आरटीआई कार्यकर्ता रविशंकर जोशी का कहना है कि उत्तराखंड लगातार कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है. मुख्यमंत्री के पास सरकारी अमला होने के बाद भी बड़ी संख्या में निजी लोग तैनात किये गये हैं. मुख्यमंत्री की राजनीतिक कृपा की बदौलत 28 लोगों पर हर साल वेतन के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. अगर इसी तरह से प्रदेश के खजाने से धन लुटाया जाएगा तो निश्चित ही प्रदेश की आर्थिक स्थिति कमजोर होगी.

Last Updated : Feb 13, 2021, 10:06 PM IST
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