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कारगिल विजय दिवस: आज भी यादों में जिंदा हैं शहीद मेजर राजेश अधिकारी

साल 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हुए नैनीताल के मेजर राजेश अधिकारी को आज भी नैनीताल वासी भूल नहीं पाए हैं. आज भी मेजर नैनीताल वासियों की यादों में जिंदा है.

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Published : Jul 26, 2019, 10:09 AM IST

Updated : Jul 26, 2019, 9:41 PM IST

कारगिल विजय दिवस

नैनीताल: कारगिल, वे जंग जिसने देश के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी और इस नापाक हिमाकत के लिए देश के दुश्मनों की रूह कंपा दी थी. यूं तो कारगिल की जंग में मातृभूमि की रक्षा में कई वीर योद्धाओं ने अपनी शहादत दी थी. जिनकी कुर्बानी को देश कभी नहीं भूल सकता. साल 1999 के इस युद्ध में देवभूमि के 75 जवान शहीद हुए थे. इनमें से एक शहीद मेजर राजेश अधिकारी हैं. युद्ध के दौरान दुश्मनों पर काबू पाने के लिए मेजर राजेश अधिकारी को कमान सौंपी गई थी.

शहीद मेजर राजेश अधिकारी की वीर गाथा.

मेजर राजेश अधिकारी का जन्म नैनीताल जिले के तल्लीताल के हरिनगर क्षेत्र में हुआ था. मेजर का बचपन भी नैनीताल के तल्लीताल क्षेत्र में ही स्कूलिंग और ग्रेजुएशन तक की शिक्षा दीक्षा भी नैनीताल के स्कूल और कॉलेज से पूरी हुई. राजेश अधिकारी बचपन से ही काफी प्रतिभावान थे. एनसीसी और स्पोर्ट्स में भी उनकी विशेष रुचि थी.

कारगिल की जंग के दौरान सबसे बड़ी चुनौती थे टाइगर हिल पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी, जो लगातार बमबारी कर रहे थे. दूसरी ओर से गोलियां चला रहे थे. चोटी पर चढ़कर दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद करना ही, भारतीय सेना का लक्ष्य था. इसके लिए भारतीय सेना ने सबसे पहले तोलो लिंग से घुसपैठियों का कब्जा हटाने की योजना बनाई गई. दुश्मन 15 हजार फीट की ऊंचाई पर बैठा गोलियां बरसा रहा था. जिस पर काबू पाने के लिए मेजर राजेश अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई.

मेजर राजेश अधिकारी ने अपने यूनिट के साथ चढ़ाई की और पाकिस्तानी घुसपैठियों के बंकर को रॉकेट लॉन्चर से उलझाये रखा. जैसे ही अधिकारी को मौका, उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों के बंकर को तबाह कर दिया और पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया.

पढ़ें- कारगिल विजय दिवस: ऑपरेशन विजय को हुए 20 साल पूरे

इस दौरान दुश्मन की गोली लगने से मेजर बुरी तरह घायल हो गए. गोली लगने के बाद भी मेजर ने कई घुसपैठियों को मार गिराया और उनके ठिकानों पर कब्जा कर लिया.

18 ग्रेनेडियर के मेजर राजेश अधिकारी ने 30 मई को टोलो लिंग पर अपनी कंपनी के साथ चढ़ाई शुरू की. 15 हजार फीट की ऊंचाई पर भारी बर्फबारी के बीच दुश्मनों ने उन पर मशीनगन से धावा बोल दिया, जिसमें वो गंभीर रूप से जख्मी हो गए. घायल हालत में ही मेजर ने दो बंकरों को नेस्तेनाबूत कर दिया और प्वाइंट 4590 पर कब्जा कर लिया. जिसके बाद मेजर राजेश अधिकारी इस जंग में शहीद हो गए.

इसके बाद भारत सरकार ने मेजर राजेश अधिकारी को इस वीरता और बलिदान के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.

ये मेजर का जज्बा ही था कि वो सेना में भर्ती हुए और देश की सेवा की. मेजर राजेश अधिकारी 22 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए और 29 साल की उम्र में शहीद हो गए.

नैनीताल: कारगिल, वे जंग जिसने देश के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी और इस नापाक हिमाकत के लिए देश के दुश्मनों की रूह कंपा दी थी. यूं तो कारगिल की जंग में मातृभूमि की रक्षा में कई वीर योद्धाओं ने अपनी शहादत दी थी. जिनकी कुर्बानी को देश कभी नहीं भूल सकता. साल 1999 के इस युद्ध में देवभूमि के 75 जवान शहीद हुए थे. इनमें से एक शहीद मेजर राजेश अधिकारी हैं. युद्ध के दौरान दुश्मनों पर काबू पाने के लिए मेजर राजेश अधिकारी को कमान सौंपी गई थी.

शहीद मेजर राजेश अधिकारी की वीर गाथा.

मेजर राजेश अधिकारी का जन्म नैनीताल जिले के तल्लीताल के हरिनगर क्षेत्र में हुआ था. मेजर का बचपन भी नैनीताल के तल्लीताल क्षेत्र में ही स्कूलिंग और ग्रेजुएशन तक की शिक्षा दीक्षा भी नैनीताल के स्कूल और कॉलेज से पूरी हुई. राजेश अधिकारी बचपन से ही काफी प्रतिभावान थे. एनसीसी और स्पोर्ट्स में भी उनकी विशेष रुचि थी.

कारगिल की जंग के दौरान सबसे बड़ी चुनौती थे टाइगर हिल पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी, जो लगातार बमबारी कर रहे थे. दूसरी ओर से गोलियां चला रहे थे. चोटी पर चढ़कर दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद करना ही, भारतीय सेना का लक्ष्य था. इसके लिए भारतीय सेना ने सबसे पहले तोलो लिंग से घुसपैठियों का कब्जा हटाने की योजना बनाई गई. दुश्मन 15 हजार फीट की ऊंचाई पर बैठा गोलियां बरसा रहा था. जिस पर काबू पाने के लिए मेजर राजेश अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई.

मेजर राजेश अधिकारी ने अपने यूनिट के साथ चढ़ाई की और पाकिस्तानी घुसपैठियों के बंकर को रॉकेट लॉन्चर से उलझाये रखा. जैसे ही अधिकारी को मौका, उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों के बंकर को तबाह कर दिया और पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया.

पढ़ें- कारगिल विजय दिवस: ऑपरेशन विजय को हुए 20 साल पूरे

इस दौरान दुश्मन की गोली लगने से मेजर बुरी तरह घायल हो गए. गोली लगने के बाद भी मेजर ने कई घुसपैठियों को मार गिराया और उनके ठिकानों पर कब्जा कर लिया.

18 ग्रेनेडियर के मेजर राजेश अधिकारी ने 30 मई को टोलो लिंग पर अपनी कंपनी के साथ चढ़ाई शुरू की. 15 हजार फीट की ऊंचाई पर भारी बर्फबारी के बीच दुश्मनों ने उन पर मशीनगन से धावा बोल दिया, जिसमें वो गंभीर रूप से जख्मी हो गए. घायल हालत में ही मेजर ने दो बंकरों को नेस्तेनाबूत कर दिया और प्वाइंट 4590 पर कब्जा कर लिया. जिसके बाद मेजर राजेश अधिकारी इस जंग में शहीद हो गए.

इसके बाद भारत सरकार ने मेजर राजेश अधिकारी को इस वीरता और बलिदान के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.

ये मेजर का जज्बा ही था कि वो सेना में भर्ती हुए और देश की सेवा की. मेजर राजेश अधिकारी 22 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए और 29 साल की उम्र में शहीद हो गए.

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1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हुए नैनीताल के मेजर राजेश अधिकारी को आज भी नैनीताल वासी भूल नहीं पाए हैं,, आज भी मेजर नैनीताल वासियों की यादों में जिंदा है।

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मेजर का जन्म नैनीताल के तल्ली ताल के हरिनगरर क्षेत्र में हुआ और मेजर का बचपन भी नैनीताल के तल्लीताल क्षेत्र में ही व्यतीत हुआ,,, जिसके बाद मेजर के प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल के बिशप शा स्कूल, उसके बाद सेंट जोसेफ स्कूल और अंत में मेजर इंटर की परीक्षा पास करने जीआईसी स्कूल गए, जीआईसी स्कूल से 12वीं पास करने के बाद मेजर नैनीताल के डीएसबी कॉलेज से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की जिसके बाद मेजर का चयन एनडीए के लिए हुआ।




Body:भले ही आज कारगिल युद्ध को 20 साल पूरे हो गए हो लेकिन आज भी उस युद्ध की यादें देशवासियों के सीने में ज्यूँ कि त्यों बसी हुई है आज भी लोग 1999 के उस मंजर को याद कर सिहर उठते हैं,,, 1999 के युद्ध में केवल उत्तराखंड से करीब 74 जांबाज बैठे हुए जिसमें से एक थे शहीद मेजर राजेश अधिकारी जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन के छक्के छुड़ाए थे-
कारगिल की जंग के दौरान सबसे मुसीबत चुनौती थी टाइगर हिल पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी, जो लगातार बमबारी कर रहे थे दूसरी ओर से गोलियां चला रहे थे,, चोटी पर चढ़कर दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद करना ही भारतीय सेना का पहला लक्ष्य था इसके लिए सबसे पहले तोलो लिंग से घुसपैठियों का कब्जा हटाने की योजना बनाई गई,, दुश्मन 15000 फीट की ऊंचाई पर बैठा गोलियां बरसा रहा था जिस पर काबू पाने के लिए मेजर राजेश अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई।
मेजर राजेश अधिकारी ने अपने यूनिट के साथ चढ़ाई की और पाकिस्तानी घुसपैठियों के बंकर को रॉकेट लॉन्चर से उलझये रखा और जैसे ही अधिकारी को मौका मिलते उन्होंने पाकिस्तान के बंकर को तबाह कर दिया,, ओर पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया।
इस दौरान पाकिस्तानियो की गोली लगने से वो गंभीर रूप से घायल हो गए, गोली लगने के बाद भी वो लड़ते रहे और घायल होने के बाद भी मेजर ने कई घुसपैठियों को मार गिराया साथ ही उनके ठिकानों पर कब्जा भी करा,,,
18 ग्रेनेडियर के मेजर राजेश अधिकारी ने टोलो लिंग पर 30 मई को अपनी कंपनी के साथ चढ़ाई शुरू की 15 हजार फीट की ऊंचाई पर भारी बर्फबारी के बीच दुश्मनों ने उनपर मशीनगन से धावा बोल दिया, जिसमे वो गंभीर रूप से जख्मी हो गए और घायल हालत में मेजर ने दो बंकर ध्वस्त करें, और पॉइंट 4590 पर कब्जा किया जिसके बाद मेजर राजेश अधिकारी इस जंग में शहीद हो गए,,,
मेजर राजेश अधिकारी की इस वीरता और बलिदान के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

बाईट- मीना अधिकारी, मेजर की भाभी।


Conclusion:कारगिल वो जंग जिसने देश के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ दी और जो अब तक की सबसे बड़ी जंग साबित हुई, यूं तो कारगिल की जंग में मातृभूमि की रक्षा में कई वीर योद्धाओं ने अपनी शहादत दी थी जिनकी कुर्बानी को देश कभी नहीं भूल सकता, 1999 के इस युद्ध में देवभूमि के 74 जवान सैनिक शहीद हुए थे इनमें से एक कारगिल शहीद मेजर राजेश अधिकारी हैं जिनका जन्म 25 दिसंबर 1970 को नैनीताल के हरी नगर क्षेत्र में हुआ और उनका बचपन नैनीताल में ही बीता साथ ही उनकी स्कूलिंग और ग्रेजुएशन तक की शिक्षा दीक्षा भी नैनीताल के स्कूल और कॉलेज से पूरी हुई,,,
मेजर बचपन से ही काफी प्रतिभावान थे और वो एनसीसी समेत स्पोर्ट्स में भी अच्छे खिलाड़ी थे,,,
ये मेजर का जज्बा था कि वो सेना में भर्ती हुए और देश की सेवा की मेजर 22 साल की उम्र में सेना में भर्ती वे और 29 साल की उम्र में शहीद हो गए।

बाईट- एस एस एस अधिकारी, मेजर के भाई।
Last Updated : Jul 26, 2019, 9:41 PM IST
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