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इस गांव के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते हैं अमीरों के बच्चे, एडमिशन हुआ फुल

इस स्कूल में अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजते भी नहीं थे. लेकिन, प्रधानाचार्य ने हिम्मत नहीं हारी और स्कूल की दशा बेहतर बनाने में जुट गईं. इस स्कूल को बेहतर बनाने में ग्रामीणों और कुछ लोगों ने भी मदद की. साथ ही जिस स्कूल में पिछले वर्ष तक सिर्फ 16 बच्चे थे, वहीं आज इस स्कूल में 105 बच्चों के एडमिशन हो चुके हैं.

इस प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते हैं अमीरों के बच्चे.
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Published : Apr 29, 2019, 7:57 PM IST

कालाढूंगी: हर मां-बाप अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाने का सपना देखते हैं. ज्यादातर अभिभावक बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि सरकारी स्कूल में बच्चे बदइंतजामी और लापरवाही के शिकार हो जाएंगे. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कोटाबाग के गिन्ती गांव के प्राथमिक विद्यालय में संपन्न परिवार के बच्चे भी पढ़ने आ रहे हैं.

इस प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते हैं अमीरों के बच्चे.

इस प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाचार्या ममता गुप्ता ने स्कूल में मेहनत करके यहां के प्राइवेट स्कूलों से भी अच्छी शिक्षा की व्यवस्था की है. पाठशाला भवन, खूबसूरत उद्यान, शिक्षा की आधुनिक तकनीक आदि सब कुछ इस स्कूल में है.

जानकारी के अनुसार, एक समय था कि इस स्कूल में अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजते भी नहीं थे. लेकिन, प्रधानाचार्य ने हिम्मत नहीं हारी और स्कूल की दशा बेहतर बनाने में जुट गईं. इस स्कूल को बेहतर बनाने में ग्रामीणों और कुछ लोगों ने भी मदद की. साथ ही जिस स्कूल में पिछले वर्ष तक सिर्फ 16 बच्चे थे, वहीं आज इस स्कूल में 105 बच्चों के एडमिशन हो चुके हैं.

कक्षों की कमी के कारण एडमिशन रोकना पड़ा. साथ ही प्रधानाचार्य ममता गुप्ता ने इस विषय में शिक्षा विभाग को सूचित कर दिया है. साथ ही उनको आशा है कि विभाग और सरकार जल्द इसकी पूर्ति करेंगे.

कालाढूंगी: हर मां-बाप अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाने का सपना देखते हैं. ज्यादातर अभिभावक बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि सरकारी स्कूल में बच्चे बदइंतजामी और लापरवाही के शिकार हो जाएंगे. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कोटाबाग के गिन्ती गांव के प्राथमिक विद्यालय में संपन्न परिवार के बच्चे भी पढ़ने आ रहे हैं.

इस प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते हैं अमीरों के बच्चे.

इस प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाचार्या ममता गुप्ता ने स्कूल में मेहनत करके यहां के प्राइवेट स्कूलों से भी अच्छी शिक्षा की व्यवस्था की है. पाठशाला भवन, खूबसूरत उद्यान, शिक्षा की आधुनिक तकनीक आदि सब कुछ इस स्कूल में है.

जानकारी के अनुसार, एक समय था कि इस स्कूल में अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजते भी नहीं थे. लेकिन, प्रधानाचार्य ने हिम्मत नहीं हारी और स्कूल की दशा बेहतर बनाने में जुट गईं. इस स्कूल को बेहतर बनाने में ग्रामीणों और कुछ लोगों ने भी मदद की. साथ ही जिस स्कूल में पिछले वर्ष तक सिर्फ 16 बच्चे थे, वहीं आज इस स्कूल में 105 बच्चों के एडमिशन हो चुके हैं.

कक्षों की कमी के कारण एडमिशन रोकना पड़ा. साथ ही प्रधानाचार्य ममता गुप्ता ने इस विषय में शिक्षा विभाग को सूचित कर दिया है. साथ ही उनको आशा है कि विभाग और सरकार जल्द इसकी पूर्ति करेंगे.

Intro:हर मां-बाप अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाने का सपना देखते हैं। ज्यादातर परेंट्स बच्चों को कान्वेंट स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि सरकारी स्कूल बदइंतजामी और लापरवाही का शिकार हो चुके हैं। लेकिन अगर आपको यह बताएं कि अच्छा कमाने खाने वाले माता पिता अपने बच्चों को निजी स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूल में भेज रहे हैं तो आप चौंक जाएंगे।Body:कोटाबाग के गिंन्ती गाँव मे एक ऐसा ही स्कूल है राजकीय प्राथमिक विद्यालय गिंन्तीगांव।
यहां की प्रधानाचार्या ममता गुप्ता ने स्कूल में इतनी मेहनत की कि वह वहां के प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर बन गया है। पाठशाला भवन, खूबसूरत उद्यान, शिक्षा की आधुनिक तकनीक आदि सब कुछ आज यदि इस स्कूल में है तो इसका पूरा श्रेय प्रधानाचार्य ममता गुप्ता को ही जाता है।

स्कूल में शिक्षक भी नहीं थे, बच्चे भी गिनती के ही आते थे। अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने के लिए दूसरे गांवों के प्राइवेट स्कूलों में भेजते थे। 

एक समय था कि इस स्कूल में अभिभावकों को अपने बच्चो को पढ़ाने को लेकर बहुत ही निराशा भरा माहौल था। लेकिन प्रधानाचार्य ने हिम्मत नहीं हारी और स्कूल की दशा बेहतर बनाने में लग गए। उन्होंने स्कूल की दशा और दिशा को बदलने की ठानी और इसे एक चुनौती के रूप में लिया। सबसे पहले पाठशाला विकास समिति बनाई और गांव वालों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया,ग्रामीणों और भाजपा के कुछ लोगो ने भी प्रधानाचार्य की मदद की और आज पूरे स्कूल की दशा बदल चुकी है,जहा पिछले वर्ष स्कूल में 16 बच्चे थे,आज अभी तक 105 एडमिशन हो चुके है,और लगातार एडमिसन का शिलशिला बढ़ने में लगा है,और सबसे बड़ी बात ये है कि ये एड्मिसनो में 99% एडमिशन प्राइवेट स्कूलों से आये बच्चों के है,विद्यालय में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करवाई जा रही है।Conclusion:पर अब एक संकट इस स्कूल पर आ गया है कि कक्षों की कमी से ये आधुनिक सरकारी स्कूल झूझने लगा है,जहा एडमिशन का शिलशिला लगातार बढ़ रहा है,पर कक्षों की कमी से एडमिशन को रोकना पड़ रहा है,ममता गुप्ता ने इस विषय मे शिक्षा विभाग को सूचित किया है और उनको आशा है कि विभाग और सरकार जल्द इसकी पूर्ति करेंगे।
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