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जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क ने धूमधाम से मनाया 84वां स्थापना दिवस

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की स्थापना आज ही के दिन हुई थी. सन् 1819 तक यह टिहरी गढ़वाल के राजा की सम्पत्ति थी. 1955 में जिम कॉर्बेट की मृत्यु के बाद उनकी याद में 1957 में भारत सरकार ने इसका नाम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया था.

Ramnagar
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क ने धूमधाम से मनाया 84वां स्थापना दिवस
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Published : Aug 8, 2020, 4:49 PM IST

Updated : Aug 9, 2020, 6:04 PM IST

रामनगर: शनिवार को एशिया का पहला राष्ट्रीय उद्यान कॉर्बेट नेशनल पार्क अपनी 84वीं वर्षगांठ मना रहा है. बता दें कि 8 अगस्त 1936 को अस्तित्व में आए इस पार्क के गठन में जिम कॉर्बेट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी, इसलिए उनकी याद में इसका नाम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया.

दरअसल, विश्व विख्यात जिम कॉर्बेट पार्क अपनी जैव विविधताओं के लिए काफि मशहूर है. कॉर्बेट पार्क सन् 1819 तक टिहरी राजा की संपत्ति थी, जिसे 1820 में उन्होंने अंग्रेजों को दे दिया था. 1858 में पहली बार रैमजे ने इसके संरक्षण की योजना बनाई और तब 1868 में पहली बार वन विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद 1879 में इसे आरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था.

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क ने धूमधाम से मनाया 84वां स्थापना दिवस

पढ़े- रुद्रपुर: टिड्डी दल ने किसानों की फसल को किया चौपट, कृषि विभाग की बढ़ी मुश्किलें

वहीं, सन् 1934 में तत्कालीन गवर्नर सर हैली ने इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाने की सिफारिश ब्रिटिश सरकार से की थी. जिसके बाद जिम कॉर्बेट ने इसकी सीमाओं का निर्धारण करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. 1955 में जिम कॉर्बेट की मृत्यु के बाद उनकी याद में 1957 में भारत सरकार ने इसका नाम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया.

रामनगर: शनिवार को एशिया का पहला राष्ट्रीय उद्यान कॉर्बेट नेशनल पार्क अपनी 84वीं वर्षगांठ मना रहा है. बता दें कि 8 अगस्त 1936 को अस्तित्व में आए इस पार्क के गठन में जिम कॉर्बेट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी, इसलिए उनकी याद में इसका नाम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया.

दरअसल, विश्व विख्यात जिम कॉर्बेट पार्क अपनी जैव विविधताओं के लिए काफि मशहूर है. कॉर्बेट पार्क सन् 1819 तक टिहरी राजा की संपत्ति थी, जिसे 1820 में उन्होंने अंग्रेजों को दे दिया था. 1858 में पहली बार रैमजे ने इसके संरक्षण की योजना बनाई और तब 1868 में पहली बार वन विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद 1879 में इसे आरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था.

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वहीं, सन् 1934 में तत्कालीन गवर्नर सर हैली ने इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाने की सिफारिश ब्रिटिश सरकार से की थी. जिसके बाद जिम कॉर्बेट ने इसकी सीमाओं का निर्धारण करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. 1955 में जिम कॉर्बेट की मृत्यु के बाद उनकी याद में 1957 में भारत सरकार ने इसका नाम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया.

Last Updated : Aug 9, 2020, 6:04 PM IST
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