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Republic Day 2023: गणतंत्र दिवस पर हल्द्वानी जेल से रिहा होंगे सात कैदी

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Published : Jan 23, 2023, 9:51 PM IST

हल्द्वानी जेल में अलग-अलग अपराधों में सालों से सजा काट रहे सात कैदियों को गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी को छोड़ा जाएगा. इन कैदियों के अच्छे आचरण के चलते राज्यपाल ने इन कैदियों की बची हुई सजा को माफ कर दिया है.

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हल्द्वानी: नैनीताल जिले की हल्द्वानी जेल में बंद सात कैदी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर आजाद होंगे. हल्द्वानी जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा ने इसकी पुष्टि की है. ये सभी कैदी अपने जीवन काल की 66 प्रतिशत से अधिक की सजा काट चुके हैं.

हल्द्वानी जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा ने बताया कि शासन द्वारा किए गए पत्राचार के बाद राज्यपाल ने हल्द्वानी जेल से सजा काट रहे सात कैदियों को रिहा करने की स्वीकृति दे दी गई है. उन्होंने बताया कि जिन कैदियों को छोड़ा जा रहा है वो धारा 306, 307, 420 और 326 के मामले में सजायाफ्ता हैं. जिन्होंने 66 प्रतिशत से अधिक समय हल्द्वानी जेल में सजा काटी है, उन्हें रिहा किया जा रहा है.
पढ़ें- हल्द्वानी जेल प्रशासन ने किया जेल दोष की खबरों का खंडन, कही ये बात

सतीश सुखीजा वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि इन कैदियों की जेल के अंदर व्यवहार काफी अच्छा था. इसीलिए इन्हें 26 जनवरी को छोड़ा जाएगा, जिसके बाद वह अपने घर जा सकेंगे. सातों कैदी अपने रिहाई को लेकर काफी खुश हैं. क्योंकि सालों बाद उन्हें खुला हवा में सांस लेने का मौका मिलेगा.

बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के अनुसरण में राष्ट्रपति और संविधान के अनुच्छेद 161 के अनुसरण में राज्यपाल को सजा को माफ करने का अधिकार प्राप्त है, जिसके तहत किसी की सजा को माफ़ या स्थगित कर सकते हैं. सजा को कम कर सकते हैं या उसमें बदलाव कर सकते हैं.

हालांकि फांसी की सजा को माफ करने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति के पास ही है. ये फैसला राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. रिहाई के प्रस्ताव में जेल में रहने के दौरान बंदियों का चरित्र सबसे प्रमुख होता है. इसके अलावा उम्र और सजा काटने की सीमा को भी ध्यान में रखा जाता है. अधिक उम्र होने पर यदि बंदी ने सजा कम समय का काटी है तो भी उसकी रिहाई के आदेश नहीं होते है.

हल्द्वानी: नैनीताल जिले की हल्द्वानी जेल में बंद सात कैदी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर आजाद होंगे. हल्द्वानी जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा ने इसकी पुष्टि की है. ये सभी कैदी अपने जीवन काल की 66 प्रतिशत से अधिक की सजा काट चुके हैं.

हल्द्वानी जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा ने बताया कि शासन द्वारा किए गए पत्राचार के बाद राज्यपाल ने हल्द्वानी जेल से सजा काट रहे सात कैदियों को रिहा करने की स्वीकृति दे दी गई है. उन्होंने बताया कि जिन कैदियों को छोड़ा जा रहा है वो धारा 306, 307, 420 और 326 के मामले में सजायाफ्ता हैं. जिन्होंने 66 प्रतिशत से अधिक समय हल्द्वानी जेल में सजा काटी है, उन्हें रिहा किया जा रहा है.
पढ़ें- हल्द्वानी जेल प्रशासन ने किया जेल दोष की खबरों का खंडन, कही ये बात

सतीश सुखीजा वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि इन कैदियों की जेल के अंदर व्यवहार काफी अच्छा था. इसीलिए इन्हें 26 जनवरी को छोड़ा जाएगा, जिसके बाद वह अपने घर जा सकेंगे. सातों कैदी अपने रिहाई को लेकर काफी खुश हैं. क्योंकि सालों बाद उन्हें खुला हवा में सांस लेने का मौका मिलेगा.

बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के अनुसरण में राष्ट्रपति और संविधान के अनुच्छेद 161 के अनुसरण में राज्यपाल को सजा को माफ करने का अधिकार प्राप्त है, जिसके तहत किसी की सजा को माफ़ या स्थगित कर सकते हैं. सजा को कम कर सकते हैं या उसमें बदलाव कर सकते हैं.

हालांकि फांसी की सजा को माफ करने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति के पास ही है. ये फैसला राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. रिहाई के प्रस्ताव में जेल में रहने के दौरान बंदियों का चरित्र सबसे प्रमुख होता है. इसके अलावा उम्र और सजा काटने की सीमा को भी ध्यान में रखा जाता है. अधिक उम्र होने पर यदि बंदी ने सजा कम समय का काटी है तो भी उसकी रिहाई के आदेश नहीं होते है.

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