हल्द्वानी: हर वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य बाल श्रम को रोकना और 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम न करा कर उन्हें शिक्षा का अधिकार दिलाना है. बाल श्रम कानून को अपराध मानते हुए बाल श्रम कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है. लेकिन लगातार बाल श्रम कराने के मामले सामने आ रहे हैं. प्रदेश में वर्ष 2019- 20 वित्तीय वर्ष में बाल श्रम रोकने के लिए श्रम विभाग द्वारा चलाए गए अभियान के तहत 152 बाल श्रमिकों को चिन्हित किया गया है. इसमें 69 मामलों में मुकदमा दर्ज किया गया है. आरोपियों के खिलाफ 20 हजार का जुर्माना लगाया गया है.
बता दें कि, पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा बाल श्रम के मामले ऊधम सिंह नगर और देहरादून से सामने आए हैं. श्रम आयुक्त दीप्ति सिंह के मुताबिक बाल श्रम रोकने के लिए श्रम विभाग द्वारा समय-समय पर शिकायतों के बाद कार्रवाई की जाती है. राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के तहत प्रदेश में 83 बच्चों को शिक्षा भी दिलायी जा रही है. ऊधम सिंह नगर में 21 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. नैनीताल जनपद में नौ, अल्मोड़ा में एक, चंपावत में तीन, देहरादून में 15, रुद्रप्रयाग में एक, टिहरी में तीन, चमोली में 11, हरिद्वार में तीन और उत्तरकाशी में दो मामले दर्ज किए गए हैं.
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श्रम आयुक्त दीप्ति सिंह ने बताया कि बाल श्रम कराना कानूनन अपराध है. 14 वर्ष से कम के बच्चों से मजदूरी कराना और 14 से 18 साल के बच्चों से खतरनाक उद्योग और कारखानों में काम कराना अपराध है. अगर किसी के द्वारा बाल श्रम कराने की सूचना मिलती है तो विभाग द्वारा छापेमारी कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है.
ये है बाल श्रम
- बाल श्रम आमतौर पर मजदूरी के भुगतान के बिना या भुगतान के साथ बच्चों से शारीरिक कार्य कराना है
- बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, यह एक वैश्विक समस्या है
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के बारे में जानें
- इसकी शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा वर्ष 2002 में की गई
- इसका मुख्य उद्देश्य बाल श्रम की वैश्विक सीमा पर ध्यान केंद्रित करना और बाल श्रम को पूरी तरह से खत्म करने के लिये आवश्यक प्रयास करना है