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हल्द्वानी: सुशीला तिवारी अस्पताल में जापानी बुखार से दूसरी मौत, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट - प्राचार्य डॉ अरुण जोशी

हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती जापानी बुखार से पीड़ित एक और महिला की मौत हो गई. कुमाऊं में जापानी बुखार से अब तक दो मरीजों की मौत हो चुकी है.

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Published : Oct 2, 2022, 7:40 AM IST

हल्द्वानी: जापानी एनसेफेलिटिस (Japanese Encephalitis) यानी जापानी बुखार ने कुमाऊं में दस्तक दे दी है. सुशीला तिवारी अस्पताल में जापानी बुखार से दूसरी मौत हुई है, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. सुशीला तिवारी अस्पताल के प्राचार्य डॉ अरुण जोशी (Principal Dr Arun Joshi) ने बताया कि रुद्रपुर निवासी 32 वर्षीय महिला को बीती 11 सितंबर को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था. महिला का बुखार लगातार बढ़ता जा रहा था, जिस कारण उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. जांच के दौरान महिला में जापानी एनसेफेलिटिस की पुष्टि हुई थी. शनिवार देर शाम उसकी मौत हुई है.

उन्होंने बताया कि अस्पताल में जापानी बुखार से पीड़ित एक और महिला भर्ती है, जिसका इलाज चल रहा है. उसके स्वास्थ्य में अब धीरे-धीरे सुधार आ रहा है. पूर्व में जापानी बुखार के कई मरीज सामने आए जो स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं. बता दें कि एसटीएच में जापानी बुखार से पीड़ित मरीज की मौत का यह दूसरा मामला है.
पढ़ें- SPECIAL: क्या होता है स्टिलबर्थ, क्यों मनाया जाता है गर्भावस्था और शिशु हानि स्मरण दिवस

इससे पहले सितंबर के महीने में काशीपुर निवासी 60 वर्षीय व्यक्ति की जापानी बुखार से मौत हो चुकी है. वहीं, जापानी बुखार के लगातार बढ़ रहे मामलों के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है. लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक भी कर रहा है.

क्यों कहा जाता है जापानी बुखार: जापानी इन्सेफेलाइटिस जिसे जापानी बुखार भी कहते हैं. इस बुखार का पहली बार पता साल 1871 में जापान में चला था. यह मच्छरों के जरिए फैलता है, इसलिए बरसात आते ही इसका असर दिखने लगता है. इसके मामले जून की शुरूआत से ही दिखने लगते हैं. हालांकिस, सर्दियां आते आते यह खत्म भी हो जाता है.

जापानी बुखार के लक्षण: जापानी बुखार में आपको बुखार, सिरदर्द और शरीर में अकड़न महसूस होगी. इसके साथ ही आपकी मांसपेशियां तेजी से सिकुड़ने लगती हैं. इस बीमारी में रोगी को झटके भी आते हैं. इससे बचाव के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे बढ़िया तरीका है टीका लगवाना. इसके साथ ही अगर आप साफ-सफाई से रहें. अपने आसपास पानी ना इकट्ठा होने दें.

हल्द्वानी: जापानी एनसेफेलिटिस (Japanese Encephalitis) यानी जापानी बुखार ने कुमाऊं में दस्तक दे दी है. सुशीला तिवारी अस्पताल में जापानी बुखार से दूसरी मौत हुई है, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. सुशीला तिवारी अस्पताल के प्राचार्य डॉ अरुण जोशी (Principal Dr Arun Joshi) ने बताया कि रुद्रपुर निवासी 32 वर्षीय महिला को बीती 11 सितंबर को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था. महिला का बुखार लगातार बढ़ता जा रहा था, जिस कारण उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. जांच के दौरान महिला में जापानी एनसेफेलिटिस की पुष्टि हुई थी. शनिवार देर शाम उसकी मौत हुई है.

उन्होंने बताया कि अस्पताल में जापानी बुखार से पीड़ित एक और महिला भर्ती है, जिसका इलाज चल रहा है. उसके स्वास्थ्य में अब धीरे-धीरे सुधार आ रहा है. पूर्व में जापानी बुखार के कई मरीज सामने आए जो स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं. बता दें कि एसटीएच में जापानी बुखार से पीड़ित मरीज की मौत का यह दूसरा मामला है.
पढ़ें- SPECIAL: क्या होता है स्टिलबर्थ, क्यों मनाया जाता है गर्भावस्था और शिशु हानि स्मरण दिवस

इससे पहले सितंबर के महीने में काशीपुर निवासी 60 वर्षीय व्यक्ति की जापानी बुखार से मौत हो चुकी है. वहीं, जापानी बुखार के लगातार बढ़ रहे मामलों के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है. लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक भी कर रहा है.

क्यों कहा जाता है जापानी बुखार: जापानी इन्सेफेलाइटिस जिसे जापानी बुखार भी कहते हैं. इस बुखार का पहली बार पता साल 1871 में जापान में चला था. यह मच्छरों के जरिए फैलता है, इसलिए बरसात आते ही इसका असर दिखने लगता है. इसके मामले जून की शुरूआत से ही दिखने लगते हैं. हालांकिस, सर्दियां आते आते यह खत्म भी हो जाता है.

जापानी बुखार के लक्षण: जापानी बुखार में आपको बुखार, सिरदर्द और शरीर में अकड़न महसूस होगी. इसके साथ ही आपकी मांसपेशियां तेजी से सिकुड़ने लगती हैं. इस बीमारी में रोगी को झटके भी आते हैं. इससे बचाव के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे बढ़िया तरीका है टीका लगवाना. इसके साथ ही अगर आप साफ-सफाई से रहें. अपने आसपास पानी ना इकट्ठा होने दें.

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