नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद के नैनीताल स्थित घर में आगजनी एवं गोलीबारी करने के तीन आरोपी उमेश मेहता, राजकुमार मेहता और कृष्ण सिंह को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ में हुई.
आरोपियों ने अपनी जमानत याचिका में कहा कि वे इस वारदात में शामिल नहीं हैं. कुछ लोगों द्वारा राजनीतिक कारणों के चलते इस घटना को अंजाम दिया गया है. उन्हें इस मामले में गलत फंसाया गया है. इस केस से उनका कोई लेना देना नहीं है, न ही एफआईआर में उनका नाम दर्ज है. इतना ही नहीं उनका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है. जिसके कारण उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए.
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घर पर आगजनी की घटना: 15 नवंबर 2021 को हिंदूवादी संगठनों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद के सतखोल (सतोली) स्थित आवास के बाहर प्रदर्शन किया था. साथ ही आगजनी-पथराव और फायरिंग भी की गई थी. जिसके बाद केयरटेकर में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. जिसमें केयरटेकर ने बताया था कि प्रदर्शन के नाम पर कई लोग घर में घुसे और उनके परिवारजनों के साथ मारपीट की. साथ ही परिवार के सभी लोगों को जान से मारने की धमकी दी और घर पर फायरिंग भी की.
केयर टेकर की तहरीर पर पुलिस द्वारा भवाली थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा147, 148, 452, 436 एवं 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. जिसके बाद पुलिस ने कुछ लोगों को 18 नवंबर को गिरफ्तार कर जेल भेजा. निचली अदालत ने उनकी जमानत याचिका को निरस्त कर दिया था. जिसके बाद हाईकोर्ट में याचिका डाली गई.
क्यों मचा बवाल? दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने अपनी नई पुस्तक 'सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन अवर टाइम्स' (Sunrise Over Ayodhya: Nationhood in Our Times) में हिंदुत्व पर टिप्पणी की है. किताब में हिंदुत्व की तुलना जिहादी ग्रुप आईएसआईएस और बोको हराम से की गई है. खुर्शीद की किताब में एक चैप्टर 'द सैफ्रन स्काई' को लेकर बवाल मचा हुआ है.