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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने एनईपी पर जताई खुशी, बोले- मातृभाषा को बढ़ावा देने की जरूरत - Vice President Venkaiah Naidu

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू अपने एक दिवसीय दौरे पर हरिद्वार पहुंचे हैं. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में दक्षिण एशियाई देश शांति एवं सुलह संस्थान का उद्घाटन किया.

Vice President M Venkaiah Naidu
उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू
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Published : Mar 19, 2022, 11:20 AM IST

Updated : Mar 19, 2022, 7:05 PM IST

हरिद्वार: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू आज तीर्थनगरी हरिद्वार दौरे पर हैं. इस मौके पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में दक्षिण एशियाई देश शांति एवं सुलह संस्थान का उद्घाटन किया. इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस संस्थान के निर्माण का उद्देश्य दक्षिण एशियाई देशों के बीच आपसी सद्भाव, समन्वय में और बेहतर संबंध स्थापित बनाए रखना है. वहीं, वेकैंया नायडू ने सभी से मातृभाषा पर जोर देने की अपील की है. उन्होंने कहा कि मातृभाषा हमारी दृष्टि की तरह है जबकि विदेशी भाषा तमाशे की तरह. हमें अपनी मातृभाषा को बढ़ावा देना चाहिए.

उपराष्ट्रपति सुबह करीब 9 बजकर 30 मिनट पर विशेष विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे. यहां पहुंचने पर राज्यपाल और कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू का स्वागत जोरदार स्वागत किया. इसके बाद वह सड़क मार्ग से हरिद्वार से लिए रवाना हो गए.

हरिद्वार दौरे पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने देहरादून रायवाला स्थिति देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की. साथ ही गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में दक्षिण एशियाई देश शांति एवं सुलह संस्थान का उद्घाटन किया. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू विश्वविद्यालय की ओर से चलाए जा रहे अनेक कार्यक्रमों का अवलोकन किया.

इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने मातृ भाषा को प्रोत्साहित करने पर जोर देते हुए प्राथमिक शिक्षा और सरकारी कामकाज के अलावा न्यायपालिका के कामकाज में भी मातृ भाषा के प्रयोग पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है. इसका प्रचार-प्रसार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि एनईपी (National Education policy) मातृभाषा को बढ़ावा दे रही है. योग धर्म, जाति और राष्ट्रीयता से ऊपर उठकर है. यह मानवीय दर्शन है जो जीवन को अधिक संतुलित बनाता है.

पढ़ें- जब कार्यवाहक CM पुष्कर सिंह धामी ने छेड़ा सुरों का राग, लोग थिरकने पर हुए मजबूर

उपराष्ट्रपति ने कहा कि समाज के सभी वर्गों को शिक्षा से जोड़ना होगा. शिक्षा का भारतीयकरण ही नई शिक्षा नीति का उद्देश्य रहा है. उन्‍होंने उदाहरण देते कहा कि भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश से लेकर प्रधानमंत्री मातृ भाषा में ही शिक्षा ग्रहण कर देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि विविधता में एकता भारत की विशेषता रही है. उन्होंने कहा कि मैकाले शिक्षा पद्धति को छोड़ हमें अपने बच्चों को गुलामी की मानसिकता से दूर भारतीय संस्कृति और परंपरा से अवगत कराना होगा, तभी उनका भविष्य उज्ज्वल होगा.

इसके पहले उपराष्ट्रपति ने प्रज्ञेश्‍वर महाकाल में जलाभिषेक किया और परिसर में रुद्राक्ष का पौधा भी रोपा. पूजन के बाद शौर्य दीवार पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में राज्यपाल मेजर जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि यहां आकर मंदिर में आने जैसे अनुभव हो रहा है. उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया‌.

हरिद्वार: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू आज तीर्थनगरी हरिद्वार दौरे पर हैं. इस मौके पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में दक्षिण एशियाई देश शांति एवं सुलह संस्थान का उद्घाटन किया. इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस संस्थान के निर्माण का उद्देश्य दक्षिण एशियाई देशों के बीच आपसी सद्भाव, समन्वय में और बेहतर संबंध स्थापित बनाए रखना है. वहीं, वेकैंया नायडू ने सभी से मातृभाषा पर जोर देने की अपील की है. उन्होंने कहा कि मातृभाषा हमारी दृष्टि की तरह है जबकि विदेशी भाषा तमाशे की तरह. हमें अपनी मातृभाषा को बढ़ावा देना चाहिए.

उपराष्ट्रपति सुबह करीब 9 बजकर 30 मिनट पर विशेष विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे. यहां पहुंचने पर राज्यपाल और कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू का स्वागत जोरदार स्वागत किया. इसके बाद वह सड़क मार्ग से हरिद्वार से लिए रवाना हो गए.

हरिद्वार दौरे पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने देहरादून रायवाला स्थिति देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की. साथ ही गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में दक्षिण एशियाई देश शांति एवं सुलह संस्थान का उद्घाटन किया. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू विश्वविद्यालय की ओर से चलाए जा रहे अनेक कार्यक्रमों का अवलोकन किया.

इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने मातृ भाषा को प्रोत्साहित करने पर जोर देते हुए प्राथमिक शिक्षा और सरकारी कामकाज के अलावा न्यायपालिका के कामकाज में भी मातृ भाषा के प्रयोग पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है. इसका प्रचार-प्रसार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि एनईपी (National Education policy) मातृभाषा को बढ़ावा दे रही है. योग धर्म, जाति और राष्ट्रीयता से ऊपर उठकर है. यह मानवीय दर्शन है जो जीवन को अधिक संतुलित बनाता है.

पढ़ें- जब कार्यवाहक CM पुष्कर सिंह धामी ने छेड़ा सुरों का राग, लोग थिरकने पर हुए मजबूर

उपराष्ट्रपति ने कहा कि समाज के सभी वर्गों को शिक्षा से जोड़ना होगा. शिक्षा का भारतीयकरण ही नई शिक्षा नीति का उद्देश्य रहा है. उन्‍होंने उदाहरण देते कहा कि भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश से लेकर प्रधानमंत्री मातृ भाषा में ही शिक्षा ग्रहण कर देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि विविधता में एकता भारत की विशेषता रही है. उन्होंने कहा कि मैकाले शिक्षा पद्धति को छोड़ हमें अपने बच्चों को गुलामी की मानसिकता से दूर भारतीय संस्कृति और परंपरा से अवगत कराना होगा, तभी उनका भविष्य उज्ज्वल होगा.

इसके पहले उपराष्ट्रपति ने प्रज्ञेश्‍वर महाकाल में जलाभिषेक किया और परिसर में रुद्राक्ष का पौधा भी रोपा. पूजन के बाद शौर्य दीवार पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में राज्यपाल मेजर जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि यहां आकर मंदिर में आने जैसे अनुभव हो रहा है. उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया‌.

Last Updated : Mar 19, 2022, 7:05 PM IST
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