हरिद्वार: कनखल स्थित हरे राम आश्रम में साधु-संतों की समस्या के समाधान के लिए एक बैठक आयोजित की गई थी. जो कुछ देर बाद ही राजनीति के अखाड़े में तब्दील हो गया. इस बैठक में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक और कांग्रेस नेता संत सतपाल ब्रह्मचारी के बीच तीखी नोकझोंक हो गयी. दोनों ही नेताओं ने एक दूसरे की पार्टी पर हरिद्वार में विकास विरोधी होने का आरोप लगाया. इस बैठक में दोनों नेताओं की जबरदस्त और तीखी नोकझोंक में संतों की मांगों से जुड़े मुद्दे गायब होते दिखाई दिए.
दरअसल, कुछ दिनों पहले उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हरिद्वार के कई आश्रम और मठों को एसटीपी लगाने का नोटिस जारी किया गया था. जिसके विरोध में यह बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में सभी संतों के साथ ही शहरी विकास मंत्री को भी बुलाया गया था. इसी बीच पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने आश्रम पर लगने वाले कॉमर्शियल टैक्स और एसटीपी के नोटिस के लिए बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया.
इतना सुनकर मंत्री मदन कौशिक का पारा हाई हो गया. उन्होंने सतपाल ब्रह्मचारी पर संतों की बैठक में राजनीति करने का आरोप लगाया. इसके बाद हरिद्वार में हॉस्पिटल सड़क और टैक्स को लेकर कई देर तक तीखी नोकझोंक होती रही, बाद में साधु संतों द्वारा बीच-बचाव करने पर मामला शांत हुआ. हालांकि बाद में मदन कौशिक ने सतपाल ब्रह्मचारी को अपना छोटा भाई बताया और चुटकी भी ली. सतपाल ब्रह्मचारी जिस पार्टी में है वह पार्टी पूरा देश खा गई है और जल्द ही सतपाल ब्रह्मचारी भी बीजेपी में हमारे साथ ही आने वाले है.
वहीं, कांग्रेसी नेता और पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी का कहना है कि शहरी विकास मंत्री ने आश्वासन दिया है यह आश्वासनों की सरकार है. धर्मनगरी हरिद्वार की जितनी दुर्दशा भाजपा के कार्यकाल में हुई है, इतनी कभी नहीं हुई. बात पूछने का अधिकार सबका है. उन्होंने कहा कि आज मेरे द्वारा साधु संतों को सचेत किया गया है. एनजीटी के द्वारा रोजाना संतों को नोटिस भेजे जा रहे हैं.
सतपाल ब्रह्मचारी ने शहरी विकास मंत्री पर तंज कसा और कहा कि मंत्री जी कहते हैं हरिद्वार को पेरिस बना देंगे, तो पेरिस आपके सामने हैं. हमारे द्वारा व्यवस्थाएं ठीक ना होने तक कुंभ मेले के बहिष्कार की बात कही गई, तो मंत्री को और सरकार को पीड़ा होने लगी. शहरी विकास मंत्री ने बैठक में जितने भी दावे किए हैं, वह खोखले है और पूरे नहीं होंगे.
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बैठक के बाद शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लोग इस विषय को गलत दिशा में लेकर जा रहे हैं. साधु संतों को एनजीटी के द्वारा जारी नोटिस के मामले में पहले रुपए देकर रजिस्ट्रेशन किए जाने की व्यवस्था थी और एनजीटी प्लांट लगाना अनिवार्य था. इसको लेकर राज्य सरकार कोर्ट भी गई. कोर्ट द्वारा आदेशित किया गया है कि जहां सीवरेज के निस्तारण की व्यवस्था है. वहां पर छूट दी जाए और एनजीटी ने हमारी इस छूट को माना है. अब हमारी सरकार द्वारा तय किया गया है कि इसमें साधु संतों को एसटीपी नहीं लगाना पड़ेगा. रजिस्ट्रेशन की कोई फीस नहीं देनी पड़ेगी और किसी तरह का कोई बिल नहीं आएगा. इसमें साधु-संतों को केवल सूचना सरकार को देनी है.
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साधु संतों की समस्याओं के समाधान के लिए आयोजित इस बैठक में हुई तीखी बहस पर प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के अध्यक्ष रूपेंद्र प्रकाश का कहना है कि शहरी विकास मंत्री ने सभी संतों को आश्वस्त किया है कि नोटिस के विपरीत कोई टैक्स साधु संतों को नहीं देना पड़ेगा. साधु-संतों के लिए यह सौहार्द की बात है. सरकार ने हमारी मांगों को माना है संतों की सभी समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन भी सरकार ने साधु संतों को इस बैठक में दिया है.