हरिद्वारः प्रेमनगर आश्रम के सभागार में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की तीन दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक शुरू हो गई है. बैठक में उत्तराखंड हाई कोर्ट के जस्टिस लोकपाल सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान विधिक व्यवस्था का पुर्नविन्यास को लेकर चर्चा की गई. साथ ही वकालत में आ रही गिरावट पर भी चिंता जाहिर की. वहीं, इस बैठक में देश भर से करीब 500 अधिवक्ता भाग ले रहे हैं.
जस्टिस लोकपाल सिंह का कहना है कि अधिवक्ता के रूप में जो कार्यरत हो उन्हें अपने अच्छे अनुभवों को जज के रूप में आगे लाना चाहिए. जब कोई अधिवक्ता के रूप में काम करने के बाद जज बनता है, उसके कार्य में काफी निखार आता है. इसलिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में सोचना चाहिए कि कम से कम 3 साल या 5 साल अनुभव जरूरी कर दें. उसके बाद उसे जज बनाएं. जो एक अच्छे निर्णय दे सके.
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उन्होंने कहा कि आज भी जज अच्छे निर्णय दे रहे हैं, लेकिन वादकारी का दर्द नहीं समझ पा रहे हैं. क्योंकि, उन्होंने उस स्थिति को महसूस नहीं किया है. ऐसे में उनके निर्णय में थोड़ा अंतर आता है. वहीं, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा का कहना है कि वकालत में कुछ गिरावट आईं है. उसका कारण अच्छे लॉ कॉलेजों की कमी है और जो लॉ कॉलेज हैं, उनके पास अच्छे टीचर व सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि अभी तक 62 लॉ कॉलेज बंद किए जा चुके हैं. वकालत में सुधार के लिए ऑल इंडिया बार एग्जाम शुरू किया गया है. इसके तहत कोई भी वकील 2 साल के भीतर इस परीक्षा को पास नहीं करेगा तो उसे वकालत नहीं करने दिया जाएगा. साथ ही कहा कि वकीलों के लिए एक ट्रेनिंग की व्यवस्था भी की गई है. जिसमें 5 साल में 40 दिन तक सेशन करना होगा.
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मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि रिटायर जज और सीनियर वकीलों के माध्यम से वकीलों की ट्रेनिंग कराई जाएगी. हर बार एसोसिएशन में ये ट्रेनिंग होगी और इससे अगले 5 साल में अच्छे वकील निकलकर आएंगे. जिससे वकालत का स्तर भी सुधरेगा.