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Joshimath Sinking: गोविंदानंद सरस्वती बोले- जोशीमठ में सिर्फ 5% नुकसान, अविमुक्तेश्वरानंद दे रहे भड़काऊ बयान

स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने जोशीमठ का दौरा करने के बाद चौंकाने वाला बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि जोशीमठ को लेकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है, यह सब गलत है. गोविंदानंद ने कहा है कि जोशीमठ में सिर्फ जोशीमठ में 5% नुकसान हुआ है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद लगातार लोगों को भड़काने वाली स्टेटमेंट दे रहे हैं.

Haridwar
हरिद्वार
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Published : Jan 20, 2023, 3:44 PM IST

जोशीमठ की आड़ में खुद को स्थापित करने में लगे अविमुक्तेश्वरानंद- गोविंदानंद सरस्वती

हरिद्वार: ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य स्वामी गोविंदानंद सरस्वती आज जोशीमठ का दौरा किया. उसके बाद हरिद्वार पहुंचे स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने मीडिया को बताया कि जोशीमठ में हो रहे भू-धसाव के लिए सरकार अपनी ओर से अथक प्रयास कर रही है. इतना ही नहीं स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि आने वाले समय में जिस तरह का जोशीमठ को लेकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है, यह सब गलत है.

जोशीमठ को कोई खतरा नहीं, फैलाई जा रही अफवाह: स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि जोशीमठ को कोई खतरा नहीं है, सिर्फ और सिर्फ जोशीमठ में 5% नुकसान हुआ है, जिसे मैंने खुद अपनी आंखों से देखा है. मेरी कई विशेषज्ञों से बात हुई है. उन्होंने भी यही बात मुझे बताई है. कुछ लोग जानबूझकर जोशीमठ को लेकर भ्रामक प्रचार कर रहे हैं, जो कि गलत है. उन्हें समझना चाहिए कि इस तरह के भ्रामक प्रचारों का क्या असर आम जन पर पड़ता है?

वहीं, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand) पर बोलते हुए स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि वैसे तो वह मेरे गुरु भाई हैं, लेकिन जब से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जोशीमठ गए हैं, तब से लगातार लोगों को भड़काने वाली स्टेटमेंट दे रहे हैं, जबकि इस स्थिति में लोगों को समझा कर सरकार का साथ देना चाहिए.
ये भी पढ़ें- Joshimath Snowfall: जोशीमठ में जोरदार बर्फबारी, प्रशासन ने रोका ध्वस्तीकरण कार्य

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा शुरू किए गए रक्षा महायज्ञ पर बोलते हुए स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि यह महायज्ञ अपने आपको शंकराचार्य की गद्दी पर स्थापित करने के लिए किया जा रहा है. इतना नहीं जोशीमठ में हो रही घटना का फायदा उठाकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अपने आप को स्थापित करने में लगे हुए हैं, जो कि सरासर गलत है. सबको पता है कि सुप्रीम कोर्ट में ज्योतिष मठ पीठ को लेकर विवाद चल रहा है, जिस कारण स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद लोगों के बीच जाकर और इस तरह के यज्ञ कर अपने आपको लोगों को शंकराचार्य बता रहे हैं, जो कि सुप्रीम कोर्ट के आर्डर की अवहेलना है.

जोशीमठ की आड़ में खुद को स्थापित करने में लगे अविमुक्तेश्वरानंद- गोविंदानंद सरस्वती

हरिद्वार: ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य स्वामी गोविंदानंद सरस्वती आज जोशीमठ का दौरा किया. उसके बाद हरिद्वार पहुंचे स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने मीडिया को बताया कि जोशीमठ में हो रहे भू-धसाव के लिए सरकार अपनी ओर से अथक प्रयास कर रही है. इतना ही नहीं स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि आने वाले समय में जिस तरह का जोशीमठ को लेकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है, यह सब गलत है.

जोशीमठ को कोई खतरा नहीं, फैलाई जा रही अफवाह: स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि जोशीमठ को कोई खतरा नहीं है, सिर्फ और सिर्फ जोशीमठ में 5% नुकसान हुआ है, जिसे मैंने खुद अपनी आंखों से देखा है. मेरी कई विशेषज्ञों से बात हुई है. उन्होंने भी यही बात मुझे बताई है. कुछ लोग जानबूझकर जोशीमठ को लेकर भ्रामक प्रचार कर रहे हैं, जो कि गलत है. उन्हें समझना चाहिए कि इस तरह के भ्रामक प्रचारों का क्या असर आम जन पर पड़ता है?

वहीं, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand) पर बोलते हुए स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि वैसे तो वह मेरे गुरु भाई हैं, लेकिन जब से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जोशीमठ गए हैं, तब से लगातार लोगों को भड़काने वाली स्टेटमेंट दे रहे हैं, जबकि इस स्थिति में लोगों को समझा कर सरकार का साथ देना चाहिए.
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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा शुरू किए गए रक्षा महायज्ञ पर बोलते हुए स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि यह महायज्ञ अपने आपको शंकराचार्य की गद्दी पर स्थापित करने के लिए किया जा रहा है. इतना नहीं जोशीमठ में हो रही घटना का फायदा उठाकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अपने आप को स्थापित करने में लगे हुए हैं, जो कि सरासर गलत है. सबको पता है कि सुप्रीम कोर्ट में ज्योतिष मठ पीठ को लेकर विवाद चल रहा है, जिस कारण स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद लोगों के बीच जाकर और इस तरह के यज्ञ कर अपने आपको लोगों को शंकराचार्य बता रहे हैं, जो कि सुप्रीम कोर्ट के आर्डर की अवहेलना है.

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