हरिद्वारः उत्तराखंड सरकार ने उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी मदरसों का सर्वे कराने का फैसला किया है. हरिद्वार के साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखाड़ा परिषद ने उत्तराखंड सरकार के फैसले का स्वागत किया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (akhil bharatiya Akhara Parishad) ने मुख्यमंत्री के फैसले पर कहा कि मदरसों की गुणवत्ता और शिक्षा प्रणाली की समय-समय पर जांच की जानी चाहिए.
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी (Shri Mahant Ravindra Puri) का कहना है कि देश में असामाजिक गतिविधियों का कारण मदरसों को बताया जा रहा है. इस कारण मुस्लिम समाज का नाम बदनाम हो रहा है. इसके चलते उत्तराखंड में मदरसों का सर्वे होना अत्यधिक जरूरी है. इससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. मुस्लिम भाइयों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए और असामाजिक तत्वों के इस सर्वे पर अपना सहयोग करना चाहिए.
सीएम धामी ने क्या कहाः सीएम धामी ने कहा कि राज्य में मदरसों के चिन्हीकरण की जरूरत है. उत्तराखंड में मदरसों का सर्वे होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि मदरसों को लेकर तमाम तरह की बातें सामने आ रही हैं. इसलिए उनका एक बार सर्वे होना जरूरी है, जिससे वस्तु स्थिति एक बार स्पष्ट हो जाए. बताया जाता है कि उत्तराखंड में करीब 103 मदरसे हैं.
500 से अधिक मदरसों को मिलती है सरकारी सहायता: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड (Uttarakhand Waqf Board) के अंतर्गत 103 मदरसे हैं, जबकि मदरसा बोर्ड के अधीन 419 हैं. इन सभी को सरकारी सहायता मिलती है. वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के मुताबिक सर्वे की शुरुआत वक्फ बोर्ड के अधीन संचालित मदरसों से होगी.
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क्यों हो रहा सर्वे: अब मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद राज्य में जल्द मदरसों का सर्वे शुरू हो सकता है. सर्वे में पता लगाने का प्रयास होगा कि क्या राज्य में मदरसे नियमों के अनुसार चल रहे हैं. कितने मदरसे नियमों के अनुसार नहीं चल रहे हैं. इसके अलावा मदरसों के रजिस्ट्रेशन की जांच के साथ ही तमाम तरह की जानकारी ली जाएगी. उत्तराखंड सरकार मदरसों के सुदृढ़ीकरण के साथ अवैध तरीके से संचालित हो रहे मदरसों पर नकेल कसने की तैयारी में है. सरकार का मानना है कि देश की सुरक्षा के लिये भी मदरसों के संचालकों और उनके फंडिंग तंत्र पर निगाह रखना जरूरी है.
डाटा सरकार के पास होगा मौजूद: सर्वे से मदरसों का पूरा डाटा सरकार के पास होगा, जिससे भविष्य में बनायी जाने वाली योजनाओं को लागू करने में आसानी होगी. दरअसल, मदरसों के आतंकी कनेक्शन को देखते हुए ही उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड भी मदरसों का सर्वे कराने जा रहा है. उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स (Uttarakhand Waqf Board Chairman Shadab Shams) का कहना है कि पूरे प्रदेश में 500 से ज्यादा मदरसे संचालित किए जा रहे हैं. जिसमें से 103 मदरसे इस वक्त बोर्ड के अधीन आते हैं.
इनमें राज्य सरकार मुस्लिम छात्रों की शिक्षा, खाने और अन्य सुविधाओं के लिए पैसा देती है. ऐसे में राज्य सरकार को यह पूरा अधिकार है कि वो इन मदरसों का समय-समय पर निरीक्षण करे. इसी के तहत वक्फ बोर्ड उत्तराखंड में मौजूद सभी अपने 103 मदरसों का सर्वे करेगा (Survey of Madrasas in Uttarakhand) और उनमें दी जाने वाली राज्य सरकार की तमाम सुविधाओं का किस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है, इसे सुनिश्चित करेगा.
शादाब शम्स ने आगे कहा कि जल्द ही ऐसे मदरसों का पता लगाया जाएगा जो उससे या उत्तराखंड मदरसा बोर्ड (यूएमबी) से संबद्ध नहीं हैं, जो इस्लामिक पढ़ाई के संस्थानों के लिए एक नियामक संस्था हैं. वक्फ बोर्ड और यूएमबी दो सरकारी संस्थाएं हैं जो मदरसों पर नियंत्रण रखती हैं. इनमें दोनों का उन मदरसों पर इख़्तियार है जो उनके अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
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भंग होंगे मदरसे: उन्होंने आगे कहा कि इसका उद्देश्य राज्य में काम कर रहे गैर-पंजीकृत मदरसों का डेटा बेस तैयार करना है और ये पता लगाना है कि वो बोर्ड के साथ पंजीकृत क्यों नहीं हैं. इस कवायद का मकसद ये भी है कि सरकारी-सहायता प्राप्त ऐसे मदरसों का भी पता लगाया जाए, जिन्हें सुधार की जरूरत है. जो मदरसे राज्य वक्फ बोर्ड या यूएमबी के साथ रजिस्टर्ड नहीं हैं, उन्हें एक चेतावनी दी जाएगी या तो रजिस्टर हो जाएं वरना उन्हें भंग कर दिया जाएगा.