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केदारनाथ आपदा में मारे गए लोगों को समाजसेवियों ने दी श्रद्धांजलि

16 जून 2013 को केदारनाथ में आई आपदा को आज तक कोई नहीं भूल पाया है. हरिद्वार के समाजसेवियों ने आपदा में मारे गए लोगों को प्रेमनगर घाट पर श्रद्धांजलि दी.

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Published : Jun 16, 2020, 6:33 PM IST

Updated : Jun 16, 2020, 8:46 PM IST

हरिद्वार: 16 जून 2013 को केदारनाथ में आई आपदा को आज तक कोई नहीं भूल पाया है. आपदा के 7 साल बीत जाने के बाद भी जख्म ताजा हैं. हरिद्वार के समाजसेवियों ने आपदा में मारे गए लोगों को प्रेमनगर घाट पर श्रद्धांजलि दी. मां गंगा से उनकी आत्मा की शांति की कामना की.

इस दौरान श्री ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि 2013 की आपदा से पूरे देश में शोक की लहर फैल गई थी. ये आपदा लोगों के लिए संदेश था कि प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. समाजसेवी संजीव चौधरी ने कहा कि जिस तरह 2013 में केदारनाथ आपदा आई थी उसी तरह इस समय संपूर्ण विश्व में कोरोना महामारी आई है.

केदारनाथ आपदा में मारे गए लोगों को समाजसेवियों ने दी श्रद्धांजलि

पढ़ें: उत्तराखंड त्रासदी के सात साल, जानिए कितना बदला केदारधाम का स्वरूप

प्रकृति अपना स्वरूप बार-बार हमें किसी न किसी रूप में दिखाती रहती है. हमें इसे समझना चाहिए कि भगवान रचित प्रकृति से जितनी बार इंसान छेड़छाड़ करेगा उतना ही उसे उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है.

हरिद्वार: 16 जून 2013 को केदारनाथ में आई आपदा को आज तक कोई नहीं भूल पाया है. आपदा के 7 साल बीत जाने के बाद भी जख्म ताजा हैं. हरिद्वार के समाजसेवियों ने आपदा में मारे गए लोगों को प्रेमनगर घाट पर श्रद्धांजलि दी. मां गंगा से उनकी आत्मा की शांति की कामना की.

इस दौरान श्री ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि 2013 की आपदा से पूरे देश में शोक की लहर फैल गई थी. ये आपदा लोगों के लिए संदेश था कि प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. समाजसेवी संजीव चौधरी ने कहा कि जिस तरह 2013 में केदारनाथ आपदा आई थी उसी तरह इस समय संपूर्ण विश्व में कोरोना महामारी आई है.

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प्रकृति अपना स्वरूप बार-बार हमें किसी न किसी रूप में दिखाती रहती है. हमें इसे समझना चाहिए कि भगवान रचित प्रकृति से जितनी बार इंसान छेड़छाड़ करेगा उतना ही उसे उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है.

Last Updated : Jun 16, 2020, 8:46 PM IST
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