ETV Bharat / state

भाई-बहन की अनोखी पहल, खेल के माध्यम से संवार रहे बच्चों का भविष्य

मंगलौर के लिब्बरहेड़ी गांव में हेड कांस्टेबल शालू चौधरी अपने भाई शुभम के साथ युवाओं को नशे के खिलाफ जागरूक कर रही हैं. साथ ही बच्चों को जूडो-कराटे की ट्रेनिंग भी दे रही हैं.

shalu chaudhary
नशे के खिलाफ जागरूक
author img

By

Published : Jul 17, 2021, 7:09 PM IST

Updated : Jul 17, 2021, 7:53 PM IST

रुड़कीः युवा पीढ़ी लगातार नशे के दलदल में फंसती जा रही है. इसमें युवाओं से कहीं ज्यादा संख्या किशोरों की है, जो नशे के दलदल में फंसकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं. रुड़की के मंगलौर में दो भाई-बहन इन युवाओं और किशोरों को खेल की प्रति जागरूक कर उनका भविष्य संवारने में जुटे हैं. इसके अलावा आसपास के बच्चों को भी जूडो-कराटे आदि की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

दरअसल, मंगलौर कोतवाली क्षेत्र के लिब्बरहेड़ी गांव की रहने वाली शालू चौधरी अपने भाई के साथ बच्चों और युवाओं को नशे के खिलाफ जागरूक कर रही हैं. साथ ही खेल की प्रति प्रेरित भी कर रहे हैं. शालू चौधरी वर्तमान में उत्तराखंड पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं. जबकि, शालू के भाई शुभम चौधरी बीएसएफ में दिल्ली में तैनात हैं.

भाई-बहन की पहल से संवर रहा बच्चों का भविष्य.

ये भी पढ़ेंः हर साल 25% युवा हो रहे नशे की लत का शिकार, युवतियां भी पीछे नहीं

शालू और शुभम चौधरी दोनों स्पोर्ट्स कोटे से भर्ती हुए हैं. उन्होंने विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में ब्राउंज मेडल, सिल्वर मेडल आदि भी हासिल किए हैं. दोनों भाई-बहन मिलकर युवाओं को खेल के प्रति जागरूक कर रहे हैं और नशे के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. इतना ही नहीं युवाओं का खाने का खर्च भी खुद ही उठाते हैं.

उत्तराखंड पुलिस महकमे ने शालू को मंगलौर कोतवाली में ही अटैच किया है. जिसके चलते शालू अपने गांव से ही इस अभियान को चला रही हैं. शालू के भाई शुभम जब भी छुट्टी मनाने के लिए गांव आते हैं तो युवाओं को प्रेरित करना नहीं भूलते हैं.

ये भी पढ़ेंः ये हैं हरिद्वार की 'लेडी सिंघम', जिनकी कार्रवाई से ड्रग माफियाओं में मच जाती है खलबली

शालू चौधरी साल 2019 में इंग्लैंड में हुए कॉमनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया था. वहीं, शुभम चौधरी भी 2019 में नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल कर चुके हैं. दोनों भाई-बहन वर्तमान में भी युवाओं को खेलों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें ट्रेनिंग देने का काम भी कर रहे हैं.

शालू चौधरी ने बताया युवा पीढ़ी तेजी से नशे की लत में फंस रही है. जिन्हें जागरूक करने की जरूरत है. साथ ही कहा कि डीजीपी अशोक कुमार की ओर से प्रदेश में नशे के खिलाफ अभियान चलाया गया है. उसी अभियान के तहत वो भी काम कर रही हैं. वहीं, शुभम चौधरी ने बताया कि स्पोर्ट्स एक बेहतर प्लेटफॉर्म है, जिसमें बच्चे अपना करियर बना सकते हैं. बच्चों को ज्यादा से ज्यादा खेलों के प्रति जागरूक करना ही उनका उद्देश्य है.

बता दें कि उत्तराखंड में हर साल 25% युवा नशे की लत का शिकार हो रहे हैं. जिसमें युवतियां भी पीछे नहीं है. युवतियों की संख्या 15% के हिसाब से बढ़ रही है. देहरादून में ऑपरेशन सत्य के तहत दो महीने चले इस अभियान में 800 युवक-युवतियों की काउंसलिंग की गई थी. इसमें जहां 20% युवा अच्छे पढ़े-लिखे और रईस परिवारों के थे. वहीं, 50% युवा ऐसे थे, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से ताल्लुक रखते थे. वहीं, अगर इन युवाओं की उम्र की बात करें तो इसमें 14 साल से लेकर 30 साल से ऊपर तक के युवा शामिल थे.

रुड़कीः युवा पीढ़ी लगातार नशे के दलदल में फंसती जा रही है. इसमें युवाओं से कहीं ज्यादा संख्या किशोरों की है, जो नशे के दलदल में फंसकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं. रुड़की के मंगलौर में दो भाई-बहन इन युवाओं और किशोरों को खेल की प्रति जागरूक कर उनका भविष्य संवारने में जुटे हैं. इसके अलावा आसपास के बच्चों को भी जूडो-कराटे आदि की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

दरअसल, मंगलौर कोतवाली क्षेत्र के लिब्बरहेड़ी गांव की रहने वाली शालू चौधरी अपने भाई के साथ बच्चों और युवाओं को नशे के खिलाफ जागरूक कर रही हैं. साथ ही खेल की प्रति प्रेरित भी कर रहे हैं. शालू चौधरी वर्तमान में उत्तराखंड पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं. जबकि, शालू के भाई शुभम चौधरी बीएसएफ में दिल्ली में तैनात हैं.

भाई-बहन की पहल से संवर रहा बच्चों का भविष्य.

ये भी पढ़ेंः हर साल 25% युवा हो रहे नशे की लत का शिकार, युवतियां भी पीछे नहीं

शालू और शुभम चौधरी दोनों स्पोर्ट्स कोटे से भर्ती हुए हैं. उन्होंने विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में ब्राउंज मेडल, सिल्वर मेडल आदि भी हासिल किए हैं. दोनों भाई-बहन मिलकर युवाओं को खेल के प्रति जागरूक कर रहे हैं और नशे के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. इतना ही नहीं युवाओं का खाने का खर्च भी खुद ही उठाते हैं.

उत्तराखंड पुलिस महकमे ने शालू को मंगलौर कोतवाली में ही अटैच किया है. जिसके चलते शालू अपने गांव से ही इस अभियान को चला रही हैं. शालू के भाई शुभम जब भी छुट्टी मनाने के लिए गांव आते हैं तो युवाओं को प्रेरित करना नहीं भूलते हैं.

ये भी पढ़ेंः ये हैं हरिद्वार की 'लेडी सिंघम', जिनकी कार्रवाई से ड्रग माफियाओं में मच जाती है खलबली

शालू चौधरी साल 2019 में इंग्लैंड में हुए कॉमनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया था. वहीं, शुभम चौधरी भी 2019 में नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल कर चुके हैं. दोनों भाई-बहन वर्तमान में भी युवाओं को खेलों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें ट्रेनिंग देने का काम भी कर रहे हैं.

शालू चौधरी ने बताया युवा पीढ़ी तेजी से नशे की लत में फंस रही है. जिन्हें जागरूक करने की जरूरत है. साथ ही कहा कि डीजीपी अशोक कुमार की ओर से प्रदेश में नशे के खिलाफ अभियान चलाया गया है. उसी अभियान के तहत वो भी काम कर रही हैं. वहीं, शुभम चौधरी ने बताया कि स्पोर्ट्स एक बेहतर प्लेटफॉर्म है, जिसमें बच्चे अपना करियर बना सकते हैं. बच्चों को ज्यादा से ज्यादा खेलों के प्रति जागरूक करना ही उनका उद्देश्य है.

बता दें कि उत्तराखंड में हर साल 25% युवा नशे की लत का शिकार हो रहे हैं. जिसमें युवतियां भी पीछे नहीं है. युवतियों की संख्या 15% के हिसाब से बढ़ रही है. देहरादून में ऑपरेशन सत्य के तहत दो महीने चले इस अभियान में 800 युवक-युवतियों की काउंसलिंग की गई थी. इसमें जहां 20% युवा अच्छे पढ़े-लिखे और रईस परिवारों के थे. वहीं, 50% युवा ऐसे थे, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से ताल्लुक रखते थे. वहीं, अगर इन युवाओं की उम्र की बात करें तो इसमें 14 साल से लेकर 30 साल से ऊपर तक के युवा शामिल थे.

Last Updated : Jul 17, 2021, 7:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.