हरिद्वार: शनिवार रात से हो रही मूसलाधार बारिश (haridwar heavy rain) सिडकुल और रानीपुर कोतवाली क्षेत्र में लोगों पर आफत बनकर टूटी. आलम यह है कि इन इलाकों से होकर गुजरने वाली बरसाती रोह नदी (Haridwar Barsati Roh River) ने भारी तांडव मचाया है. नदी के उफान पर आने के चलते लाखों की लागत से बना सुमन नगर क्षेत्र का रपटा बह गया, वहीं नवोदय नगर में नदी किनारे स्थित करीब एक दर्जन से ज्यादा मकानों के जमींदोज होने का खतरा मंडरा रहा है. वहीं प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करा रहा है.
हरिद्वार में बीते कई दिनों से रुक-रुक बारिश हो रही है, लेकिन शनिवार रात हुई मूसलाधार बारिश ने कोतवाली रानीपुर और सिडकुल क्षेत्र के इलाकों में रहने वाले लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं. बता दें कि बीते साल कुंभ में सुमन नगर गढ़ मीरपुर सहित कई इलाकों के लोगों को राहत देने के नाम पर लाखों रुपए की लागत से बरसाती रोह नदी पर लापरवाही से बना रपटा बह गया है. रोह नदी में पानी इतना बढ़ा कि कंक्रीट का रपटे का नामोनिशान तक नहीं है.
जिस कारण इस क्षेत्र की रहने वाली लाखों की आबादी को अब घूम कर जाना पड़ेगा. इस बरसाती नदी ने केवल रानीपुर क्षेत्र में ही नुकसान नहीं पहुंचाया है, बल्कि थाना सिडकुल क्षेत्र की जनता भी खतरे की जद में है. सिडकुल थाना क्षेत्र के नवोदय नगर के एक छोर से होकर यह बरसाती नदी गुजरती है. बीती रात से नवोदय नगर के कई इलाकों में भू-कटाव हो रहा है, जिस कारण एक दर्जन से अधिक मकान अब खतरे की जद में आ गए हैं. वहीं प्रशासन के निर्देश पर स्थानीय लोग घरों को खाली कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं.
क्या कह रहे स्थानीय लोग: सुमन नगर निवासी सचिन गुप्ता का कहना है कि पिछले कुछ समय से इस इलाके में रह रहे हैं, करीब रात 2 बजे नदी उफान पर बह रही थी, सुबह देखा तो रपटा बह गया था. कुछ समय पहले ही रपटा बनकर तैयार हुआ था, पता नहीं प्रशासन ने स्कूल के निर्माण में कैसी सामग्री का प्रयोग किया, जो साल भर भी नहीं चल पाया. उन्होंने कहा कि इसके निर्माण में बेहद घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया.
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उन्होंने जल्द रपटा बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यदि पहले ही बनाते समय इसके नीचे से पानी निकलने का रास्ता बनता तो शायद आज यह नौबत नहीं आती. नवोदय नगर की रहने वाली अंकित का कहना है कि रात में नदी में पानी इतना बड़ा कि वह मकान तक पहुंच गया. नदी के जल से भूकटाव से मकानों को खतरा पैदा हो गया है, जिस कारण उन्होंने मकान खाली कर दिया है. उन्होंने जल्द सुरक्षा दीवार की मांग की है.
भूल गए थे पुल बनाना: कलियर से टिहरी विस्थापित कॉलोनी और इस इलाके को जोड़ने के लिए बीते साल कुंभ में ही बढ़िया सड़क का निर्माण किया गया था. लेकिन हैरानी की बात है कि सड़क बन कर तैयार हो गई तब शासन प्रशासन को लगा की नदी पर तो पुल स्वीकृत ही नहीं किया गया है. जिसके बाद यहां पर पक्के रपटे का निर्माण लाखों रुपए की लागत से किया गया था. लेकिन यह भी एक साल नहीं चल पाया और पानी के तेज बहाव में बह गया.