हरिद्वार: 13 साल पहले सिडकुल थाना क्षेत्र के जंगलों में हुए फर्जी एनकाउंटर (Fake encounter in forests of Sidkul area) के मामले में आखिरकार कोर्ट ने राजाजी टाइगर रिजर्व के वन दरोगा आरक्षित सहित कई अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज (Case against many unknown including inspector) करने के आदेश दिए हैं. जिसके बाद सिडकुल थाना पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.
सिडकुल पुलिस ने पूर्व के राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के वन दरोगा एवं आरक्षी सहित कई अज्ञात कर्मचारियों के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया है. आरोप है कि अब से 13 वर्ष पूर्व वन कर्मियों ने फर्जी मुठभेड़ दिखाकर हजारा ग्रंट निवासी सुलेमान की हत्या की थी. सिडकुल पुलिस के मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम हजारा ग्रंट निवासी साकिब ने अपने अधिवक्ता अखलाक अहमद के माध्यम से कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि पांच मई 2009 को उसके पिता सुलेमान को दोपहर एक बजे धोलखंड पूर्वी रेंज चौकी सेंधल राजाजी राष्ट्रीय पार्क के वन दरोगा खिलपत सिंह, आरक्षी द्वारिका प्रसाद पूछताछ के लिए अपने साथ लेकर गए थे.
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आरोप है कि दोपहर में दो बजे फर्जी मुठभेड़ दिखाकर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. वन कर्मियों ने रानीपुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था कि सुलेमान ने उन पर गोली चलाई और आत्मरक्षा में उन्होंने उसे मुठभेड़ में मार गिराया. सुलेमान के सीने पर चार गोलियां लगी थीं. रानीपुर पुलिस ने विवेचना में सत्यता सामने न आने के बाद फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में प्रेषित कर दी थी. सुलेमान की मौत के दौरान उसके पुत्र साकिब की उम्र महज 8 वर्ष थी. परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर था. पुत्र ने बालिग होने के बाद पिता के इंसाफ के लिए कोर्ट की शरण ली. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश चंद्र आर्य ने सुनवाई करते हुए अधिवक्ता अखलाक अहमद के तर्कों से सहमति जताते हुए मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे. सिडकुल थाना प्रभारी प्रमोद कुमार उनियाल ने बताया कोर्ट के आदेश पर वन कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. मामले की जांच शुरू कर दी गई है.