हरिद्वार: जिले में लॉकडाउन के तीसरे चरण में मिली छूट के बाद यहां के सभी घाटों पर अस्थि विसर्जन पर लगी रोक हट गई है, जिसके बाद हरकी पैड़ी सहित अन्य घाटों की लगभग डेढ़ महीने की वीरानगी अब हट चुकी है. सरकार द्वारा अस्थि विसर्जन के लिए मिली छूट के बाद मृतकों का अस्थि विसर्जन करने लोग हरकी पैड़ी पहुंचे.
हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित राज्य सरकार से पिछले कई दिनों से हरकी पैड़ी में अस्थि विसर्जन की अनुमति मांग रहे थे. गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने हरिद्वार में अस्थि विसर्जन की अनुमति दी. राज्य सरकार ने लोगों से अस्थि विसर्जन करते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को भी कहा है.
इसके अलावा सरकार ने अस्थि विसर्जन के लिए केवल तीन लोगों के आने की अनुमति दी है. वहीं, अस्थि विसर्जन घाट पर लोग अस्थि विसर्जन करने पहुंचे और पिंड दान भी करवाया. प्रदेश सरकार के इस फैसले को तीर्थ पुरोहितों और अस्थि विसर्जन के लिए आए लोगों ने आभार जताया है.
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दरअसल, गरुड़ पुराण के अनुसार मोक्ष दायिनी मां गंगा में अस्थि विसर्जन करने से मृतक की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. भागीरथी मां गंगा को धरती पर अपने पूर्वज राजा सगर के साठ हजार पुत्रों का उद्धार करने के लिए भगवान शिव ने अपनी जटाओं में जगह दी थी, जिससे होते हुए वो धरती पर पहुंची. तभी से गंगा में अस्थि विसर्जन और कर्मकांड कराने की धार्मिक रीति चली आ रही है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब 45 दिनों तक गंगा में अस्थियों का विसर्जन नहीं हुआ है.