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ऑनलाइन श्राद्ध: श्री गंगा सभा को नहीं आया रास, जताया कड़ा ऐतराज

पितृ पक्ष में कोरोना और लॉकडाउन के कारण लोग श्राद्ध और पिंडदान के लिये हरिद्वार नहीं जा पा रहे थे. ऐसे में उन्होंने पंडितों द्वारा सुझाया ऑनलाइन तरीके से श्राद्ध और पिंडदान करने का रास्ता चुना लेकिन तीर्थ पुरोहितों की प्रमुख संस्था श्री गंगा सभा को ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान पसंद नहीं आ रहा है.

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ऑनलाइन श्राद्ध पर तीर्थ पुरोहितों ने जताया ऐतराज
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Published : Sep 16, 2020, 12:09 PM IST

Updated : Sep 16, 2020, 5:06 PM IST

हरिद्वार: श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का कार्य अपने पितरों की मुक्ति के लिए किया जाता है. माना जाता है कि जब तक श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान ना किया जाए तो पितरों को मुक्ति नहीं मिलती है. इस कार्य को करने का भी एक अलग विधान है. कोरोना महामारी के कारण जो लोग अपने पितरों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का कार्य नहीं कर पा रहे हैं उनके लिए कई तीर्थ पुरोहितों द्वारा ऑनलाइन व्यवस्था की गई है. तीर्थ पुरोहितों द्वारा ऑनलाइन श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का कार्य कराया जा रहा है लेकिन ये ऑनलाइन कार्यविधि तीर्थ पुरोहितों की प्रमुख संस्था श्री गंगा सभा को रास नहीं आ रही है. श्री गंगा सभा ने विरोध करते हुए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है. वहीं धर्म के जानकार ऑनलाइन श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण के कार्यों को गलत बता रहे हैं.

शास्त्रों में वर्णन है जब तक अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान या तर्पण ना किया जाए तब तक पितरों को मुक्ति नहीं मिलती है. इस वक्त श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं. पूरे देश भर से हरिद्वार में श्रद्धालु अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान और उनका तर्पण करने आते हैं. मगर कोरोना महामारी होने के कारण कई लोग हरिद्वार आकर अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध पिंडदान और तर्पण नहीं करा पा रहे हैं. इसी को लेकर कई तीर्थ पुरोहितों द्वारा उनके लिए ऑनलाइन श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण कराने की व्यवस्था की गई है. मगर हरिद्वार तीर्थ पुरोहितों की प्रमुख संस्था श्री गंगा सभा द्वारा ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान का विरोध किया जा रहा है.

गंगा सभा को ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान से एतराज.

तीर्थ परंपरा पर प्रश्नचिन्ह

श्री गंगा सभा संस्था के सदस्य और तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित का कहना है कि जो लोग इस तरह का कार्य कर रहे हैं वह तीर्थ की परंपरा और उसकी महत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगाने का कार्य कर रहे हैं. कुछ संस्थाओं द्वारा और कुछ लोगों द्वारा सिर्फ पैसा कमाने के उद्देश्य से श्रद्धालुओं को भटकाकर उनसे ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान का कार्य कराया जा रहा है. यह ब्राह्मण और तीर्थ की परंपराओं का मजाक उड़ाया जा रहा है. हम इस तरह के कार्यों का पुरजोर विरोध करते हैं. श्री गंगा सभा द्वारा इस पर कार्रवाई की गई है. उसके बाद कुछ लोगों द्वारा इस कार्य को बंद भी किया गया है. मगर हरिद्वार में कुछ संस्थाएं अभी भी इस कार्य को कर रही हैं उनके खिलाफ श्री गंगा सभा कानूनी कार्रवाई करने का प्रयास कर रही है.

पढ़ें- हरिद्वार: नारायणी शिला मंदिर में होगा ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान

वहीं, धर्म के जानकार भी ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान कार्य कराए जाने का विरोध कर रहे हैं. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी का कहना है कि अपने पितरों के निमित्त किए जाने वाले कार्यों में गंगा का किनारा आवश्यक होता है. अग्नि को टीवी पर देख कर उसकी तपिश महसूस नहीं होती है. शास्त्रों में उल्लेख है जब हम पितृ कार्यों का संकल्प लेते हैं तो जिस जगह कार्य करते हैं उसी जगह का संकल्प लिया जाता है.

पढ़ें- घर बैठे कीजिए पितरों का श्राद्ध, ऐसे होता है ऑनलाइन पिंडदान

ऑनलाइन में पूरा नहीं होता संकल्प

ऑनलाइन श्राद्ध कर्म कराने में दूर बैठा हुआ श्रद्धालु कैसे पुरोहित से संकल्प करा सकता है. इनका कहना है कि ब्राह्मण को अग्नि का मुख कहा गया है और जब ब्राह्मण के मुख से मंत्र सामने बैठे यजमान को सुनाई ना दें और ब्राह्मण अपने यजमान के सामने ना बैठा हो, तब तक पितरों के निमित्त किए जाने वाले कार्यों का फल प्राप्त नहीं होता है. यह शास्त्र सम्मत बात है. इनका कहना है कि मैं उन पुरोहितों से भी आग्रह करता हूं जो इस तरह से कार्य करा रहे हैं. वह इस कार्य को न कराएं क्योंकि इस कार्य को कराने से ना तो उनका भला होगा और ना ही उनके जजमान का भला होगा. इससे दोनों ही नर्क गामी होंगे.

पढ़ें- हरिद्वार: नारायणी शिला मंदिर में होगा ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान

प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि जो ब्राह्मण को अपना प्रतिनिधि बनाकर कार्य कराना चाहते हैं उनको अपने गोत्र का ब्राह्मण ढूंढना पड़ेगा. तभी ब्राह्मण गोत्र धारण कर सकता है. मगर ब्राह्मण उनके गोत्र का मिलना असंभव है. इनका कहना है कि पितृ कार्यों में ब्राह्मण को भोजन कराने का भी अलग विधान है. हर ब्राह्मण भी पितरों के निमित्त दिए जाने वाले भोजन को नहीं कर सकता. ऑनलाइन देव कार्य में तो प्रतिनिधि के रूप में कराया जा सकता है, मगर पितृ कार्यों के लिए स्वयं आना अनिवार्य है.

श्री गंगा सभा करेगी कानूनी कार्रवाई

पितरों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध और पिंडदान के कार्यों को ऑनलाइन कराने का विरोध हरिद्वार तीर्थ पुरोहितों की प्रमुख संस्था श्री गंगा सभा द्वारा किया जा रहा है. इस कार्य को लेकर श्री गंगा सभा द्वारा कानूनी कार्रवाई करने की बात भी की जा रही है. तो वहीं धर्म के जानकार भी ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान के कार्यों को गलत बता रहे हैं. अब देखना होगा श्री गंगा सभा द्वारा विरोध करने के बाद क्या तीर्थ पुरोहितों द्वारा ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान का कार्य बंद किया जाता है या नहीं यह देखने वाली बात होगी.

हरिद्वार: श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का कार्य अपने पितरों की मुक्ति के लिए किया जाता है. माना जाता है कि जब तक श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान ना किया जाए तो पितरों को मुक्ति नहीं मिलती है. इस कार्य को करने का भी एक अलग विधान है. कोरोना महामारी के कारण जो लोग अपने पितरों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का कार्य नहीं कर पा रहे हैं उनके लिए कई तीर्थ पुरोहितों द्वारा ऑनलाइन व्यवस्था की गई है. तीर्थ पुरोहितों द्वारा ऑनलाइन श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का कार्य कराया जा रहा है लेकिन ये ऑनलाइन कार्यविधि तीर्थ पुरोहितों की प्रमुख संस्था श्री गंगा सभा को रास नहीं आ रही है. श्री गंगा सभा ने विरोध करते हुए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है. वहीं धर्म के जानकार ऑनलाइन श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण के कार्यों को गलत बता रहे हैं.

शास्त्रों में वर्णन है जब तक अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान या तर्पण ना किया जाए तब तक पितरों को मुक्ति नहीं मिलती है. इस वक्त श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं. पूरे देश भर से हरिद्वार में श्रद्धालु अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान और उनका तर्पण करने आते हैं. मगर कोरोना महामारी होने के कारण कई लोग हरिद्वार आकर अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध पिंडदान और तर्पण नहीं करा पा रहे हैं. इसी को लेकर कई तीर्थ पुरोहितों द्वारा उनके लिए ऑनलाइन श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण कराने की व्यवस्था की गई है. मगर हरिद्वार तीर्थ पुरोहितों की प्रमुख संस्था श्री गंगा सभा द्वारा ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान का विरोध किया जा रहा है.

गंगा सभा को ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान से एतराज.

तीर्थ परंपरा पर प्रश्नचिन्ह

श्री गंगा सभा संस्था के सदस्य और तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित का कहना है कि जो लोग इस तरह का कार्य कर रहे हैं वह तीर्थ की परंपरा और उसकी महत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगाने का कार्य कर रहे हैं. कुछ संस्थाओं द्वारा और कुछ लोगों द्वारा सिर्फ पैसा कमाने के उद्देश्य से श्रद्धालुओं को भटकाकर उनसे ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान का कार्य कराया जा रहा है. यह ब्राह्मण और तीर्थ की परंपराओं का मजाक उड़ाया जा रहा है. हम इस तरह के कार्यों का पुरजोर विरोध करते हैं. श्री गंगा सभा द्वारा इस पर कार्रवाई की गई है. उसके बाद कुछ लोगों द्वारा इस कार्य को बंद भी किया गया है. मगर हरिद्वार में कुछ संस्थाएं अभी भी इस कार्य को कर रही हैं उनके खिलाफ श्री गंगा सभा कानूनी कार्रवाई करने का प्रयास कर रही है.

पढ़ें- हरिद्वार: नारायणी शिला मंदिर में होगा ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान

वहीं, धर्म के जानकार भी ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान कार्य कराए जाने का विरोध कर रहे हैं. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी का कहना है कि अपने पितरों के निमित्त किए जाने वाले कार्यों में गंगा का किनारा आवश्यक होता है. अग्नि को टीवी पर देख कर उसकी तपिश महसूस नहीं होती है. शास्त्रों में उल्लेख है जब हम पितृ कार्यों का संकल्प लेते हैं तो जिस जगह कार्य करते हैं उसी जगह का संकल्प लिया जाता है.

पढ़ें- घर बैठे कीजिए पितरों का श्राद्ध, ऐसे होता है ऑनलाइन पिंडदान

ऑनलाइन में पूरा नहीं होता संकल्प

ऑनलाइन श्राद्ध कर्म कराने में दूर बैठा हुआ श्रद्धालु कैसे पुरोहित से संकल्प करा सकता है. इनका कहना है कि ब्राह्मण को अग्नि का मुख कहा गया है और जब ब्राह्मण के मुख से मंत्र सामने बैठे यजमान को सुनाई ना दें और ब्राह्मण अपने यजमान के सामने ना बैठा हो, तब तक पितरों के निमित्त किए जाने वाले कार्यों का फल प्राप्त नहीं होता है. यह शास्त्र सम्मत बात है. इनका कहना है कि मैं उन पुरोहितों से भी आग्रह करता हूं जो इस तरह से कार्य करा रहे हैं. वह इस कार्य को न कराएं क्योंकि इस कार्य को कराने से ना तो उनका भला होगा और ना ही उनके जजमान का भला होगा. इससे दोनों ही नर्क गामी होंगे.

पढ़ें- हरिद्वार: नारायणी शिला मंदिर में होगा ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान

प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि जो ब्राह्मण को अपना प्रतिनिधि बनाकर कार्य कराना चाहते हैं उनको अपने गोत्र का ब्राह्मण ढूंढना पड़ेगा. तभी ब्राह्मण गोत्र धारण कर सकता है. मगर ब्राह्मण उनके गोत्र का मिलना असंभव है. इनका कहना है कि पितृ कार्यों में ब्राह्मण को भोजन कराने का भी अलग विधान है. हर ब्राह्मण भी पितरों के निमित्त दिए जाने वाले भोजन को नहीं कर सकता. ऑनलाइन देव कार्य में तो प्रतिनिधि के रूप में कराया जा सकता है, मगर पितृ कार्यों के लिए स्वयं आना अनिवार्य है.

श्री गंगा सभा करेगी कानूनी कार्रवाई

पितरों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध और पिंडदान के कार्यों को ऑनलाइन कराने का विरोध हरिद्वार तीर्थ पुरोहितों की प्रमुख संस्था श्री गंगा सभा द्वारा किया जा रहा है. इस कार्य को लेकर श्री गंगा सभा द्वारा कानूनी कार्रवाई करने की बात भी की जा रही है. तो वहीं धर्म के जानकार भी ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान के कार्यों को गलत बता रहे हैं. अब देखना होगा श्री गंगा सभा द्वारा विरोध करने के बाद क्या तीर्थ पुरोहितों द्वारा ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान का कार्य बंद किया जाता है या नहीं यह देखने वाली बात होगी.

Last Updated : Sep 16, 2020, 5:06 PM IST
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