ETV Bharat / state

नेपाल की तर्ज पर हरिद्वार में भी है पशुपतिनाथ मंदिर, यहां दर्शन करने से पूरी होती है केदार यात्रा

हरिद्वार में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण 200 साल पहले सन 1819 (पूर्व संवत 1896) में नेपाल के तत्कालीन राजा राजेंद्र विक्रम सिंह ने अपने गुरु श्रवण नाथ मठ के स्वामी श्री श्रवण नाथ गिरी जी की प्रेरणा से करवाया था.

Pashupatinath temple Haridwa
author img

By

Published : May 22, 2019, 10:50 AM IST

Updated : May 22, 2019, 3:22 PM IST

हरिद्वार: नेपाल की तरह धर्मनगरी हरिद्वार में भी पशुपतिनाथ का विशाल मंदिर हैं, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान भोले के दर्शन करने के लिए आते हैं. यह मंदिर हुबहू नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है, जो करीब 200 साल पुराना है. विश्व में पशुपति के दो ही चतुर्मुखी मंदिर हैं, जिनमें से एक हरिद्वार में है. हरिद्वार की शिव प्रतिमा कसौटी के उसी पत्थर से बनी है, जिससे नेपाल के पशुपतिनाथ बनाए गए थे.

पढ़ें- रुड़की IIT के प्रोफेसर का नया अविष्कार, पहाड़ के लोगों के लिए होगा मददगार

हरिद्वार में पशुपतिनाथ का यह मंदिर हर की पौड़ी से कुछ ही दूर पर मोती बाजार के बीचो-बीच स्थित है. ऐसा माना जाता है 200 साल पुराने इस मंदिर में दर्शन करने से फल प्राप्त होते हैं.

हरिद्वार का पशुपतिनाथ मंदिर

1819 में हुआ था निर्माण
हरिद्वार में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण 200 साल पहले सन 1819 (पूर्व संवत 1896) में नेपाल के तत्कालीन राजा राजेंद्र विक्रम सिंह ने अपने गुरु श्रवण नाथ मठ के स्वामी श्री श्रवण नाथ गिरी जी की प्रेरणा से करवाया था.

पढ़ें- केदारनाथ: लंबी लाइन देख भड़के भक्त, 'हर-हर महादेव' छोड़ लगाने लगे प्रशासन मुर्दाबाद के नारे

ऐसा माना जाता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन तब तक पूर्ण नहीं होते हैं जब तक उनके दूसरे अर्ध रूप नेपाल स्थित भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन न कर लिया जाए, लेकिन दोनों मंदिरों के बीच की दूर बहुत अधिक है ऐसे में अधिकतर श्रद्धालु दोनों मंदिरों के दर्शन नहीं कर पाते है.

Pashupatinath temple Haridwar
हरिद्वार का पशुपतिनाथ मंदिर

पशुपतिनाथ मंदिर के बिना पूरी नहीं होती केदारनाथ यात्रा
इसी बात को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन नेपाल के राजा ने धर्मनगरी हरिद्वार में नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर का प्रतिरूप बनाया था. ताकि इस मंदिर में दर्शन करने के बाद श्रद्धालु केदारनाथ यात्रा पूर्ण कर सकें.

विश्व में ऐसा कोई भी तीसरा मंदिर मौजूद नहीं है
हरिद्वार स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में विराजमान शिवलिंग भी नेपाल में विराजमान पशुपतिनाथ महादेव के शिवलिंग की ही तरह पंचमुखी है. साथ ही शिवलिंग को बनाने में भी उसी कसौटी के पत्थर का प्रयोग किया गया है जैसा नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में है. हरिद्वार स्थित पशुपतिनाथ मंदिर एकमात्र ऐसा दूसरा मंदिर है जो पूर्ण रूप से नेपाल स्थित पशुपतिनाथ महादेव मंदिर का प्रतिरूप है. इसके अलावा विश्व में कोई भी ऐसा तीसरा मंदिर मौजूद नहीं है.

पढ़ें- EXIT POLLS से कितनी मिलती है ज्योतिषाचार्य की भविष्यवाणी, जानें मोदी और राहुल का 'भविष्य'

यहां भी शिवलिंग पर चारों दिशाओं में भगवान महादेव का एक-एक मुख और ऊपर की दिशा में एक मुख है. बता दें सभी मुखों के अपने एक विशेष नाम भी हैं, पूर्व की ओर के मुख को तत्पुरुषा, दक्षिण की ओर मुख को अघोरा, पश्चिम की ओर मुख को साधयोजटा, उत्तर के मुख को वामदेव और ऊपर की दिशा में विराजमान मुख को ईशान कहा जाता है. मान्यता है कि शिवलिंग में बने चारों दिशाओं के मुख चार वेदों के रूप है.

मेवाड़ के राजा रतन सिंह ने भी दिया था साथ
मंदिर में लगा एक प्राचीन अभिलेख भारत-नेपाल की मित्रता का सबूत देता भी दिखता है. जिसमें मंदिर के निर्माण के समय में हुए घटनाक्रमों का जिक्र मिलता है. प्राचीन अभिलेख में लिखा हुआ है कि जब सन 1819 में नेपाल के तत्कालीन राजा राज राजेंद्र विक्रम सिंह इस मंदिर का निर्माण करा रहे थे तब इस पुण्य काम में मेवाड़ के राजा रतन सिंह ने भी उनका साथ दिया था. मेवाड़ के राजा रतन सिंह ने मंदिर निर्माण के लिए 5 हाथी, 5 घोड़े, 5 दुशाला और 10 सोने के कड़े दान दिए थे.

हरिद्वार: नेपाल की तरह धर्मनगरी हरिद्वार में भी पशुपतिनाथ का विशाल मंदिर हैं, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान भोले के दर्शन करने के लिए आते हैं. यह मंदिर हुबहू नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है, जो करीब 200 साल पुराना है. विश्व में पशुपति के दो ही चतुर्मुखी मंदिर हैं, जिनमें से एक हरिद्वार में है. हरिद्वार की शिव प्रतिमा कसौटी के उसी पत्थर से बनी है, जिससे नेपाल के पशुपतिनाथ बनाए गए थे.

पढ़ें- रुड़की IIT के प्रोफेसर का नया अविष्कार, पहाड़ के लोगों के लिए होगा मददगार

हरिद्वार में पशुपतिनाथ का यह मंदिर हर की पौड़ी से कुछ ही दूर पर मोती बाजार के बीचो-बीच स्थित है. ऐसा माना जाता है 200 साल पुराने इस मंदिर में दर्शन करने से फल प्राप्त होते हैं.

हरिद्वार का पशुपतिनाथ मंदिर

1819 में हुआ था निर्माण
हरिद्वार में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण 200 साल पहले सन 1819 (पूर्व संवत 1896) में नेपाल के तत्कालीन राजा राजेंद्र विक्रम सिंह ने अपने गुरु श्रवण नाथ मठ के स्वामी श्री श्रवण नाथ गिरी जी की प्रेरणा से करवाया था.

पढ़ें- केदारनाथ: लंबी लाइन देख भड़के भक्त, 'हर-हर महादेव' छोड़ लगाने लगे प्रशासन मुर्दाबाद के नारे

ऐसा माना जाता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन तब तक पूर्ण नहीं होते हैं जब तक उनके दूसरे अर्ध रूप नेपाल स्थित भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन न कर लिया जाए, लेकिन दोनों मंदिरों के बीच की दूर बहुत अधिक है ऐसे में अधिकतर श्रद्धालु दोनों मंदिरों के दर्शन नहीं कर पाते है.

Pashupatinath temple Haridwar
हरिद्वार का पशुपतिनाथ मंदिर

पशुपतिनाथ मंदिर के बिना पूरी नहीं होती केदारनाथ यात्रा
इसी बात को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन नेपाल के राजा ने धर्मनगरी हरिद्वार में नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर का प्रतिरूप बनाया था. ताकि इस मंदिर में दर्शन करने के बाद श्रद्धालु केदारनाथ यात्रा पूर्ण कर सकें.

विश्व में ऐसा कोई भी तीसरा मंदिर मौजूद नहीं है
हरिद्वार स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में विराजमान शिवलिंग भी नेपाल में विराजमान पशुपतिनाथ महादेव के शिवलिंग की ही तरह पंचमुखी है. साथ ही शिवलिंग को बनाने में भी उसी कसौटी के पत्थर का प्रयोग किया गया है जैसा नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में है. हरिद्वार स्थित पशुपतिनाथ मंदिर एकमात्र ऐसा दूसरा मंदिर है जो पूर्ण रूप से नेपाल स्थित पशुपतिनाथ महादेव मंदिर का प्रतिरूप है. इसके अलावा विश्व में कोई भी ऐसा तीसरा मंदिर मौजूद नहीं है.

पढ़ें- EXIT POLLS से कितनी मिलती है ज्योतिषाचार्य की भविष्यवाणी, जानें मोदी और राहुल का 'भविष्य'

यहां भी शिवलिंग पर चारों दिशाओं में भगवान महादेव का एक-एक मुख और ऊपर की दिशा में एक मुख है. बता दें सभी मुखों के अपने एक विशेष नाम भी हैं, पूर्व की ओर के मुख को तत्पुरुषा, दक्षिण की ओर मुख को अघोरा, पश्चिम की ओर मुख को साधयोजटा, उत्तर के मुख को वामदेव और ऊपर की दिशा में विराजमान मुख को ईशान कहा जाता है. मान्यता है कि शिवलिंग में बने चारों दिशाओं के मुख चार वेदों के रूप है.

मेवाड़ के राजा रतन सिंह ने भी दिया था साथ
मंदिर में लगा एक प्राचीन अभिलेख भारत-नेपाल की मित्रता का सबूत देता भी दिखता है. जिसमें मंदिर के निर्माण के समय में हुए घटनाक्रमों का जिक्र मिलता है. प्राचीन अभिलेख में लिखा हुआ है कि जब सन 1819 में नेपाल के तत्कालीन राजा राज राजेंद्र विक्रम सिंह इस मंदिर का निर्माण करा रहे थे तब इस पुण्य काम में मेवाड़ के राजा रतन सिंह ने भी उनका साथ दिया था. मेवाड़ के राजा रतन सिंह ने मंदिर निर्माण के लिए 5 हाथी, 5 घोड़े, 5 दुशाला और 10 सोने के कड़े दान दिए थे.

Intro:एंकर- हिंदू धर्म में बताए गए द्वादश ज्योतिर्लिंग को में उल्लेखनीय उत्तराखंड स्थित केदारनाथ मंदिर का एक आधा भाग पशुपतिनाथ मंदिर माना जाता है, यूनेस्को द्वारा नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर को विश्व धरोहर घोषित किया गया है क्योंकि अपने आप यह मंदिर बहुत ही अद्भुत है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भारत स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पूरे शरीर के हिस्से हैं जो कि जगह जगह पर स्थापित है और नेपाल स्थित पशुपतिनाथ भगवान शिव का सर है। नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के जैसा ही एक और मंदिर है जो कि धर्मनगरी हरिद्वार में स्थापित है। हर की पौड़ी से कुछ ही दूर मोती बाजार के बीचो-बीच बना हुआ यह मंदिर हुबहू नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है। ऐसा माना जाता है 200 साल पुराने इस मंदिर में दर्शन करने से वही फल प्राप्त होते है जो नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन से मिलते है।


Body:VO 1 - हरिद्वार स्थित दिव्य पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण आज से 200 साल पूर्व संवत 1896 - वर्ष 1819 में नेपाल के तत्कालीन राजा राज राजेंद्र विक्रम सिंह ने अपने गुरु श्रवण नाथ मठ के स्वामी श्री श्रवण नाथ गिरी जी की प्रेरणा से करवाया था, ऐसा माना जाता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन तब तक पूर्ण नहीं होते हैं जब तक उनके दूसरे अर्ध रूप नेपाल स्थित भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन न कर लिया जाए, लेकिन दोनों मंदिरों के बीच बहुत बड़े फैसले के कारण ज्यादातर श्रद्धालु दोनों मंदिरों के दर्शन नहीं कर पाते हैं, इसी बात को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन नेपाल के राजा ने धर्मनगरी हरिद्वार जिसे केदारनाथ यात्रा का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है वहां नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर का प्रतिरूप बनाया था जिस के दर्शन कर श्रद्धालु केदारनाथ यात्रा पूर्ण कर सके। हरिद्वार स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में विराजमान शिवलिंग भी नेपाल में विराजमान पशुपतिनाथ महादेव के शिवलिंग की ही तरह पंचमुखी है साथ ही शिवलिंग को बनाने में भी उसी कसौटी के पत्थर का प्रयोग किया गया है जैसा नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में है। हरिद्वार स्थित पशुपतिनाथ मंदिर एकमात्र ऐसा दूसरा मंदिर है जो पूर्ण रूप से नेपाल स्थित पशुपतिनाथ महादेव मंदिर का प्रतिरूप है इसके अलावा विश्व में कोई भी ऐसा तीसरा मंदिर मौजूद नहीं है।


VO2 - नेपाल के मंदिर में स्थापित शिवलिंग की ही तरह हरिद्वार पशुपतिनाथ मंदिर का शिवलिंग पंचमुखी है, शिवलिंग में चारों दिशाओं में भगवान महादेव का एक-एक मुख एवं ऊपर की दिशा में एक मुख है। बता दें सभी मुखो के अपने एक विशेष नाम भी हैं, पूर्व की ओर के मुख्य तत्पुरुषा, दक्षिण की ओर मुख को अघोरा, पश्चिम की ओर मुख को साधयोजटा, उत्तर के मुख को वामदेव और ऊपर की दिशा में विराजमान मुख को ईशान कहा जाता है। मान्यता है कि शिवलिंग में बने चारों दिशाओं के मुख चार वेदों के रूप है।


Conclusion:VO3- मंदिर में लगा एक प्राचीन अभिलेख भारत नेपाल की मित्रता का सबूत देता भी दिखता है जिसमें मंदिर के निर्माण के समय में हुई घटनाक्रमों का जिक्र मिलता है, प्राचीन अभिलेख में लिखा हुआ है कि जब सन 1819 में नेपाल के तत्कालीन राजा राज राजेंद्र विक्रम सिंह इस मंदिर का निर्माण करा रहे थे तब इस पुण्य काम में मेवाड़ के राजा रतन सिंह ने भी उनका साथ दिया था। मेवाड़ के राजा रतन सिंह ने मंदिर निर्माण के लिए 5 हाथी, 5 घोड़े, 5 दुशाला, 10 सोने के कड़े दान दिए थे।


बाइट- पुजारी, हरिद्वार पशुपतिनाथ मंदिर

बाइट- श्रद्धालु

पीटीसी
Last Updated : May 22, 2019, 3:22 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.