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मदरसा बना मिसाल: बच्चों को 5 साल से संस्कृत पढ़ा रहे मोहम्मद साजिद

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय छात्रों ने संस्कृत विभाग में नियुक्त हुए मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को गलत ठहराया है लेकिन हरिद्वार में एक ऐसा मदरसा है, जहां एख मुस्लिम अध्यापक 5 साल से बच्चों को संस्कृत भाषा ज्ञान दे रहे हैं.

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Published : Nov 26, 2019, 11:07 AM IST

Updated : Nov 26, 2019, 1:34 PM IST

haridwar madrasa
मदरसे में संस्कृत की शिक्षा

हरिद्वार: उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को द्वितीय भाषा का दर्जा प्राप्त है. राज्य सरकार संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, लेकिन संस्कृत भाषा को लेकर बीएचयू में विवाद खड़ा हो गया है. विवाद भी सिर्फ इसलिए कि संस्कृत भाषा को पढ़ाने के लिए मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान को नियुक्त क्यों की गई. लेकिन आज ईटीवी भारत हरिद्वार के एक ऐसे मदरसे के बारे में बताने जा रहा है जहां सालों से एक मुस्लिम अध्यापक छात्रों को न सिर्फ संस्कृत भाषा की शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि संस्कृत के माध्यम से उनको अपनी पुरानी विरासत से रूबरू भी करवा रहे हैं. बच्चे भी संस्कृत भाषा को पढ़ कर काफी खुश नजर आ रहे हैं.

मोहम्मद साजिद बच्चों को पढ़ा रहे संस्कृत.

हरिद्वार के ज्वालापुर स्थित मदरसा दारुल उलूम रशीदिया में मोहम्मद साजिद 20 साल से अपनी सेवा दे रहे हैं और बच्चों को 5 साल से संस्कृत भाषा का ज्ञान दे रहे हैं. साजिद कहते हैं कि भारत में कई प्रकार की भाषाएं बोली जातीं हैं, लेकिन कई ऐसी किताबें है जो सिर्फ संस्कृत में ही है लिखी गई हैं. जब बच्चे हाई स्कूल में जाते हैं तो वहां संस्कृत जरूरी होती है. इसलिए मदरसे में कक्षा 3 से ही सभी बच्चों को संस्कृत पढ़ाई जाती है.

बीएचयू विवाद पर साजिद का कहना है कि यह विवाद गलत है और सभी भाइयों को खुशी जाहिर करनी चाहिए कि एक मुस्लिम संस्कृत भाषा का विद्वान है. साजिद ने कहा कि बीएचयू में इंटरव्यू देने कई लोग गए होंगे, लेकिन वहां एक मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान को चुना जाना उनकी काबिलियत को दर्शाता है. इसलिए उनकी नियुक्ति पर कोई भी विवाद नहीं होना चाहिए. जब देश में कई सरकारी स्कूलों में हिंदू शिक्षक उर्दू की शिक्षा देते हैं तो क्या एक मुसलमान संस्कृत भाषा की शिक्षा नहीं दे सकता. इसकी विरोध नहीं होना चाहिए.

पढ़ें- सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने Etv भारत को बताई कांग्रेस छोड़ने की वजह, राहुल के बारे में कही बड़ी बात

मदरसे में संस्कृत भाषा को पढ़ने वाले बच्चे भी काफी उत्साहित हैं. उनका का कहना है कि संस्कृत पढ़कर उन्हें काफी अच्छा लगता है. संस्कृत भाषा से हमें भारत की पुरानी विरासत सीखने को मिलती है. संस्कृत भाषा सभी स्कूलों और मदरसों में पढ़ाई जानी चाहिए.

हरिद्वार का ये मदरसा उन लोगों के लिए एक सबक है जो संस्कृत पढ़ाए जाने के लिए मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं. क्योंकि इस मदरसे में संस्कृत की शिक्षा देने वाला भी मुस्लिम है. हालांकि, बीएचयू में प्रोफसर फिरोज खान पर उपजा विवाद कब खत्म होगा, ये देखने वाली बात होगी.

हरिद्वार: उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को द्वितीय भाषा का दर्जा प्राप्त है. राज्य सरकार संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, लेकिन संस्कृत भाषा को लेकर बीएचयू में विवाद खड़ा हो गया है. विवाद भी सिर्फ इसलिए कि संस्कृत भाषा को पढ़ाने के लिए मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान को नियुक्त क्यों की गई. लेकिन आज ईटीवी भारत हरिद्वार के एक ऐसे मदरसे के बारे में बताने जा रहा है जहां सालों से एक मुस्लिम अध्यापक छात्रों को न सिर्फ संस्कृत भाषा की शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि संस्कृत के माध्यम से उनको अपनी पुरानी विरासत से रूबरू भी करवा रहे हैं. बच्चे भी संस्कृत भाषा को पढ़ कर काफी खुश नजर आ रहे हैं.

मोहम्मद साजिद बच्चों को पढ़ा रहे संस्कृत.

हरिद्वार के ज्वालापुर स्थित मदरसा दारुल उलूम रशीदिया में मोहम्मद साजिद 20 साल से अपनी सेवा दे रहे हैं और बच्चों को 5 साल से संस्कृत भाषा का ज्ञान दे रहे हैं. साजिद कहते हैं कि भारत में कई प्रकार की भाषाएं बोली जातीं हैं, लेकिन कई ऐसी किताबें है जो सिर्फ संस्कृत में ही है लिखी गई हैं. जब बच्चे हाई स्कूल में जाते हैं तो वहां संस्कृत जरूरी होती है. इसलिए मदरसे में कक्षा 3 से ही सभी बच्चों को संस्कृत पढ़ाई जाती है.

बीएचयू विवाद पर साजिद का कहना है कि यह विवाद गलत है और सभी भाइयों को खुशी जाहिर करनी चाहिए कि एक मुस्लिम संस्कृत भाषा का विद्वान है. साजिद ने कहा कि बीएचयू में इंटरव्यू देने कई लोग गए होंगे, लेकिन वहां एक मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान को चुना जाना उनकी काबिलियत को दर्शाता है. इसलिए उनकी नियुक्ति पर कोई भी विवाद नहीं होना चाहिए. जब देश में कई सरकारी स्कूलों में हिंदू शिक्षक उर्दू की शिक्षा देते हैं तो क्या एक मुसलमान संस्कृत भाषा की शिक्षा नहीं दे सकता. इसकी विरोध नहीं होना चाहिए.

पढ़ें- सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने Etv भारत को बताई कांग्रेस छोड़ने की वजह, राहुल के बारे में कही बड़ी बात

मदरसे में संस्कृत भाषा को पढ़ने वाले बच्चे भी काफी उत्साहित हैं. उनका का कहना है कि संस्कृत पढ़कर उन्हें काफी अच्छा लगता है. संस्कृत भाषा से हमें भारत की पुरानी विरासत सीखने को मिलती है. संस्कृत भाषा सभी स्कूलों और मदरसों में पढ़ाई जानी चाहिए.

हरिद्वार का ये मदरसा उन लोगों के लिए एक सबक है जो संस्कृत पढ़ाए जाने के लिए मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं. क्योंकि इस मदरसे में संस्कृत की शिक्षा देने वाला भी मुस्लिम है. हालांकि, बीएचयू में प्रोफसर फिरोज खान पर उपजा विवाद कब खत्म होगा, ये देखने वाली बात होगी.

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भारत देश में संस्कृत भाषा को सबसे पुरानी भाषा का दर्जा प्राप्त है कई वेद पुराण संस्कृत भाषा में ही लिखे गए हैं और साथ ही कई पुरानी पुस्तकें भी संस्कृत भाषा में ही है माना जाता है संस्कृत भाषा को पढ़ने और जानने वाले लोग अपनी पुरानी संस्कृति को जान पाते हैं क्योंकि संस्कृत भाषा हिंदी भाषा से भी पहले की भाषा है उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को द्वितीय भाषा का दर्जा प्राप्त है और राज्य सरकार भी संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है मगर संस्कृत भाषा को लेकर बीएचयू विश्वविद्यालय में विवाद खड़ा हो गया है और विवाद भी सिर्फ इसलिए कि संस्कृत भाषा को पढ़ाने के लिए मुस्लिम टीचर फिरोज खान को नियुक्त किया जा रहा है मगर हम आपको आज दिखाने जा रहे है हरिद्वार का वो मदरसा जहां सालों से एक मुस्लिम टीचर मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को ना सिर्फ संस्कृत भाषा की शिक्षा दे रहा है बल्कि संस्कृत के माध्यम से उनको अपनी पुरानी विरासत से रूबरू भी करवा रहा हैं बच्चे भी संस्कृत भाषा को मदरसे में पढ़ कर काफी खुश नजर आ रहे हैं देखें ईटीवी भारत पर हमारी संस्कृति विरासत पर एक खास रिपोर्ट

पीटीसी----------------------------------------------


Body:संस्कृत देश की सबसे प्रमुख भाषाओं में एक है और संस्कृत में ही कई वेद पुराणों सहित कई पुस्तकें लिखी गई है अगर भारत की पुरानी संस्कृति को जानना है तो इसका सबसे सरल माध्यम संस्कृत भाषा ही है मगर भारत देश में संस्कृत भाषा अब बहुत कम पढ़ाई जाती है क्योंकि यह भाषा काफी कठिन भाषा है इस भाषा को पढ़ने और जानने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है मगर इस भाषा को पढ़ने और जानने के बाद हम अपनी भारतीय संस्कृति से रूबरू होते हैं संस्कृत को लेकर इस समय बीएचयू विश्वविद्यालय में विवाद खड़ा हो गया है और विवाद भी सिर्फ इसलिए कि संस्कृत को पढ़ाने के लिए वहां पर मुस्लिम टीचर की नियुक्ति की जा रही है ऐसा नहीं है कि संस्कृत को सिर्फ हिंदू धर्म को मानने वाले लोग ही पढ़ते हैं मुस्लिम समाज के लोग भी संस्कृत भाषा को पूरी लगन से पढ़ते हैं और संस्कृत के माध्यम से ज्ञान अर्जित करते हैं

हरिद्वार के ज्वालापुर स्थित मदरसा दारुल उलूम रशीदिया मैं कई सालों से एक मुस्लिम टीचर मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को ना सिर्फ संस्कृत भाषा की शिक्षा दे रहे हैं बल्कि संस्कृत के माध्यम से इन बच्चों को अपनी पुरानी विरासत से रूबरू भी करा रहे हैं मदरसे में संस्कृत भाषा को पढ़ाने वाले टीचर मोहम्मद साजिद का कहना है कि इस मदरसे में मुझे पढ़ाते हुए 20 साल हो गए हैं और तकरीबन 5 साल से मैं सभी बच्चों को संस्कृत भाषा पढ़ा रहा हूं भारत देश में कई प्रकार की भाषा बोली जाती है मगर कई ऐसी किताबें है जो सिर्फ संस्कृत में ही है लिखी गई है जब बच्चे हाई स्कूल में जाते हैं तो वहां संस्कृत काफी जरूरी होती है इसलिए हमारे मदरसे में कक्षा 3 से ही सभी बच्चों को संस्कृत पढ़ाई जाती है संस्कृत एक बहुत ही अच्छी भाषा है और हिंदी से पहले संस्कृत भाषा ही पढ़ाई जाती थी यहां पढ़ने वाले बच्चे भी संस्कृत भाषा को बहुत अच्छे से सीखते हैं बच्चों का इतना मन लगता है कि संस्कृत भाषा को सीखने के लिए वह एक दिन भी छुट्टी नहीं करते हैं

बाइट-- मोहम्मद साजिद--मदरसे में संस्कृत पढ़ाने वाले टीचर

बीएचयू विश्वविद्यालय में मुस्लिम टीचर द्वारा संस्कृत बढ़ाए जाने को लेकर हुए विवाद पर मोहम्मद साजिद का कहना है कि यह बहुत ही गलत विवाद हो रहा है सभी भाइयों को खुशी जाहिर करनी चाहिए कि एक मुस्लिम लड़का संस्कृत भाषा का विद्वान है और बीएचयू विश्वविद्यालय में इंटरव्यू देने कई लोग गए होंगे मगर वहां मुस्लिम टीचर फिरोज खान का चुना जाना उनकी काबिलियत को दर्शाता है कि वह संस्कृत भाषा को बहुत अच्छे से जानते हैं इसलिए उनकी नियुक्ति पर कोई भी विवाद नहीं होना चाहिए जब देश में कई सरकारी स्कूलों में हिंदू शिक्षक उर्दू की शिक्षा देते हैं तो क्या एक मुसलमान टीचर संस्कृत भाषा की शिक्षा नहीं दे सकता जो लोग भी इसका विरोध कर रहे हैं उनको विरोध नहीं करना चाहिए

बाइट-- मोहम्मद साजिद--मदरसे में संस्कृत पढ़ाने वाले टीचर

मदरसे में संस्कृत भाषा को पढ़ने वाले बच्चे भी काफी उत्साहित नजर आते हैं बच्चों द्वारा संस्कृत भाषा में श्लोक को इस तरह से बोला गया कि कोई कह नहीं सकता कि मुस्लिम बच्चों द्वारा संस्कृत के श्लोक बोले जा रहे हैं मदरसे में संस्कृत को पढ़ने वाले बच्चों का कहना है कि संस्कृत पढ़कर हमें काफी अच्छा लगता है और संस्कृत को पढ़ने के लिए हम हर रोज मदरसे में आते हैं एक दिन भी छुट्टी नहीं लेते हैं संस्कृत भाषा से हमें भारत की पुरानी विरासत सीखने को मिलती है बच्चों का कहना है कि संस्कृत भाषा सभी स्कूलों और मदरसों में पढ़ाई जानी चाहिए आप भी सुने इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों द्वारा संस्कृत के श्लोकों को जिसे हमें बोलने में भी काफी कठिनाई होती है और यह बच्चे इन श्लोकों को बड़ी ही सादगी से बोल देते हैं

बाइट- छात्र--मदरसे में संस्कृत पढ़ने वाले


Conclusion:पीटीसी-----------------------------------------------

बीएचयू विश्वविद्यालय में मुस्लिम टीचर द्वारा संस्कृत भाषा को बढ़ाए जाने को लेकर विवाद खड़ा कर दिया गया है मगर हरिद्वार का या मदरसा उन लोगों के लिए एक सबक है जो मुस्लिम टीचर द्वारा संस्कृत पढ़ाए जाने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि इस मदरसे में संस्कृत की शिक्षा देने वाला भी मुस्लिम टीचर है और संस्कृत की शिक्षा लेने वाले भी मुस्लिम छात्र है जो संस्कृत भाषा को पढ़कर भारत की पुरानी विरासत से रूबरू हो रहे हैं अब देखना होगा बीएचयू विश्वविद्यालय में मुस्लिम टीचर द्वारा संस्कृत पढ़ाए जाने का विवाद कब खत्म होता है यह देखने वाली बात होगी
Last Updated : Nov 26, 2019, 1:34 PM IST
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