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विदेशी राखियां नहीं आ रहीं बहनों को पसंद, देश में बनी राखी की मांग बढ़ी

लक्सर में रक्षाबंधन पर बाजार सज चुके हैं. बहनें अपने भाइयों के लिए स्वदेशी राखी खरीद रही हैं. तो वहीं दुकानदारों का कहना है कि हर साल की तरह इस बार भी स्वदेशी राखियों की धूम है.

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Published : Aug 12, 2019, 9:34 AM IST

रक्षाबंधन से पहले बाजारों में बढ़ी रौनक

लक्सर: कच्चे धागे से मजबूत रिश्ता निभाने का त्योहार है रक्षाबंधन. लक्सर बाजार की दुकानें छोटी-बड़ी, महंगी-सस्ती, रंग-बिरंगी राखियों से सज गई हैं. बहनों ने भाई के घर जाने की तैयारी शुरू कर दी है. भाइयों ने बहनों को दिए जाने वाले उपहार खरीद लिए हैं. सड़कों पर चहल-पहल है और चेहरों पर रौनक, कच्चे धागे से स्नेह का एक अटूट नाता बांधने का पावन त्योहार रक्षाबंधन एक बार फिर आने को है.

रक्षाबंधन के पर्व पर बात सिर्फ राखी या फिर धागे की होती है, लेकिन इस मौके पर भाई के माथे पर तिलक लगाना, मिठाई खिलाना और आरती उतारना भी त्योहार की कुछ महत्वपूर्ण रस्में हैं. इसके लिए बाजार में रक्षाबंधन की थाली भी उपलब्ध है, जिसमें राखी के अलावा तिलक के लिए अक्षत और चावल, सिर पर रखने के लिए कपड़ा, छोटा सा दीपक, कपूर और मुंह मीठा करने के लिए इलायची और मिसरी के पैकेट उपलब्ध हैं.

रक्षाबंधन से पहले बाजारों में बढ़ी रौनक

पढ़ें- कुमार विश्वास ने निशंक का किया बचाव, कहा- समस्या ज्ञानचंदों के माइंडसैट की है

स्वदेशी राखियों की मांग
इस बार लक्सर के बाजार में स्वदेशी राखियों की मांग काफी बढ़ गई है. बहनों का कहना है कि वो इस बार अपने देश में बनी राखियां ही अपने भाइयों की कलाई पर बांधेंगी. कुछ बहनों ने बताया कि सीमा पर जो जवान हमारे देश की रक्षा कर रहे हैं, उन जवानों के लिए भी उन्होंने राखियां खरीदी है.

लक्सर: कच्चे धागे से मजबूत रिश्ता निभाने का त्योहार है रक्षाबंधन. लक्सर बाजार की दुकानें छोटी-बड़ी, महंगी-सस्ती, रंग-बिरंगी राखियों से सज गई हैं. बहनों ने भाई के घर जाने की तैयारी शुरू कर दी है. भाइयों ने बहनों को दिए जाने वाले उपहार खरीद लिए हैं. सड़कों पर चहल-पहल है और चेहरों पर रौनक, कच्चे धागे से स्नेह का एक अटूट नाता बांधने का पावन त्योहार रक्षाबंधन एक बार फिर आने को है.

रक्षाबंधन के पर्व पर बात सिर्फ राखी या फिर धागे की होती है, लेकिन इस मौके पर भाई के माथे पर तिलक लगाना, मिठाई खिलाना और आरती उतारना भी त्योहार की कुछ महत्वपूर्ण रस्में हैं. इसके लिए बाजार में रक्षाबंधन की थाली भी उपलब्ध है, जिसमें राखी के अलावा तिलक के लिए अक्षत और चावल, सिर पर रखने के लिए कपड़ा, छोटा सा दीपक, कपूर और मुंह मीठा करने के लिए इलायची और मिसरी के पैकेट उपलब्ध हैं.

रक्षाबंधन से पहले बाजारों में बढ़ी रौनक

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स्वदेशी राखियों की मांग
इस बार लक्सर के बाजार में स्वदेशी राखियों की मांग काफी बढ़ गई है. बहनों का कहना है कि वो इस बार अपने देश में बनी राखियां ही अपने भाइयों की कलाई पर बांधेंगी. कुछ बहनों ने बताया कि सीमा पर जो जवान हमारे देश की रक्षा कर रहे हैं, उन जवानों के लिए भी उन्होंने राखियां खरीदी है.

Intro:लक्सर रक्षाबंधन

लक्सर--कच्चे धागे से मजबूत रिश्ता निभाने का त्योहार है रक्षाबंधन लक्सर बाजार में छोटी
बड़ी, महंगी सस्ती, रंग बिरंगी राखियां सज गई हैं, बहनों ने भाई के घर जाने की तैयारी शुरू कर दी है, भाइयो ने बहनों को दिए जाने वाले उपहार खरीद लिए हैं, सड़कों पर चहल पहल है और चेहरों पर रोनक , कच्चे धागे से स्नेह का एक अटूट नाता बांधने का पावन त्यौहार रक्षा बंधन एक बार फिर आने को है।
रक्षा बंधन के पर्व पर बात सिर्फ राखी या धागे की होती है, लेकिन इस मौके पर भाई के माथे पर तिलक लगाना, मिठाई खिलाना और आरती उतारना भी त्यौहार की कुछ महत्वपूर्ण रस्में हैं। इसके लिए बाजार में रक्षाबंधन की थाली भी उपलब्ध है, जिसमें राखी के अलावा तिलक के लिए अक्षत और चावल, सिर पर रखने के लिए कपड़ा, छोटा सा दीपक, कपूर और मुंह मीठा करने के लिए इलायची और मिसरी के पैकेट उपलब्ध हैं।
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लकसर रक्षाबंधन के त्योहार पर स्वदेशी राखियों की मांग । इस बार लकसर के बाजार में स्वदेशी राखियों की मांग काफी बढ़ गई है जिधर देखो उधर स्वदेशी राखियाँ बिक रही है बहनों को भी अपने भाईयों के लिए स्वदेशी राखियाँ ही पंसद आ रही है बाजारों में इस समय काफी रोनक देखने को मिल रही है हर कोई बहन अपने भाईयों के लिए सुंदर राखियाँ पंसद कर रही है वही देश प्रेम की भावना भी देखने को मिली  बहनों से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि इस बार हम अपने देश में बनी ही राखियों ही अपने भाईयों की कलाई पर बाधेगे चाईना की बनी राखियों का हम बहिष्कार करते हैं क्योंकि चाईना हम से दुश्मनी की भावना रखता है ओर हमारे देश को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता रहता है Conclusion: वही कुछ बहनों ने अपने भाईयों के लिए राखियाँ खरीदी साथ ही साथ सीमा पर जो जवान हमारे देश की रक्षा कर रहे हैं उन जवानों के लिए भी राखियाँ खरीदी वही बहनों का कहना था कि जो देश की सीमा पर  रात दिन पहरा दे रहे हैं जिनकी वजह से हम अपने घरों में चेन की नीद सोते हैं उन जवानों को भी मैंने राखियों भेजी है वही दुकानदारों का कहना है कि इस बार चाईना राखियों की बिल्कुल भी माग नही है ना ही ग्राहक चाईना की राखियों को पंसद कर रहा ओर जो माल हम पहले चाईना का ले आये तो वो भी दुकान में पडा सड रहा है 

बाइट--- वैशाली स्थानीय
बाइट--- स्थानीय निवासी

बाइट-- विपुल बंसल दुकानदार

report - krishankant sharma laksar
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