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महंत के बेटे पर फर्जीवाड़ा का आरोप, खुद को महंत बता 50 लाख में बेची अखाड़ा की जमीन

हरिद्वार में श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े की लाखों की संपत्ति फर्जीवाड़ा कर बेचने का मामला सामने आया है. फर्जीवाड़े का आरोप महंत के बेटे पर लगा है.

Haridwar
हरिद्वार
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Published : Aug 9, 2021, 9:12 PM IST

हरिद्वारः हरिद्वार में श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े की लाखों की संपति फर्जी वसीयत के जरिए बेचने की जानकारी मिली है. अखाड़े के महंत रघु मुनि दास ने हरिद्वार कनखल थाने में मुकदमा दर्ज कराया है. फर्जीवाड़े का आरोप अखाड़े के महंत के बेटे पर है. ये सिलसिला 10 नवंबर 2010 से 9 जुलाई 2017 तक चलता रहा.

अखाड़े के महंत रघु मुनि दास ने अपनी तहरीर में बताया कि अखाड़े के महंत महेंद्र दास की मृत्यु के बाद महंत राजेंद्र दास को अखाड़े का महंत बनाया गया था. लेकिन ब्रह्मलीन महेंद्र दास के सुपुत्र जोगेंद्र दास ने खुद को अखाड़े का महंत बताते हुए फर्जी वसीयत के जरिए हरिद्वार के बहादराबाद के शांतशाह और दौलतपुर में करीब 50 लाख से ज्यादा की संपत्ति बेच डाली. जमीन बेचने का सिलसिला 10 नवंबर 2010 से 9 जुलाई 2017 तक चलता रहा.

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महंत रघु मुनि दास ने बताया की फर्जी प्रमाण पत्र और हस्ताक्षर साथ ही अखाड़े की फर्जी सील का इस्तेमाल करके लाखों की जमीन बेची गई है. महंत रघु मुनि ने यह भी बताया कि जोगेंद्र की फर्जी पूर्ण रचित दस्तावेजों की जांच फिंगर प्रिंट हैंड टाइपिंग एक्सपर्ट वीरेंद्र पाल सिंह (एडवोकेट) मुजफ्फरनगर से कराई है, जिसमें जोगेंद्र का फर्जीवाड़ा सामने आया है. मामले पर निरीक्षक कमल कुमार लुंठी ने बताया कि फिलहाल मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.

हरिद्वारः हरिद्वार में श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े की लाखों की संपति फर्जी वसीयत के जरिए बेचने की जानकारी मिली है. अखाड़े के महंत रघु मुनि दास ने हरिद्वार कनखल थाने में मुकदमा दर्ज कराया है. फर्जीवाड़े का आरोप अखाड़े के महंत के बेटे पर है. ये सिलसिला 10 नवंबर 2010 से 9 जुलाई 2017 तक चलता रहा.

अखाड़े के महंत रघु मुनि दास ने अपनी तहरीर में बताया कि अखाड़े के महंत महेंद्र दास की मृत्यु के बाद महंत राजेंद्र दास को अखाड़े का महंत बनाया गया था. लेकिन ब्रह्मलीन महेंद्र दास के सुपुत्र जोगेंद्र दास ने खुद को अखाड़े का महंत बताते हुए फर्जी वसीयत के जरिए हरिद्वार के बहादराबाद के शांतशाह और दौलतपुर में करीब 50 लाख से ज्यादा की संपत्ति बेच डाली. जमीन बेचने का सिलसिला 10 नवंबर 2010 से 9 जुलाई 2017 तक चलता रहा.

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महंत रघु मुनि दास ने बताया की फर्जी प्रमाण पत्र और हस्ताक्षर साथ ही अखाड़े की फर्जी सील का इस्तेमाल करके लाखों की जमीन बेची गई है. महंत रघु मुनि ने यह भी बताया कि जोगेंद्र की फर्जी पूर्ण रचित दस्तावेजों की जांच फिंगर प्रिंट हैंड टाइपिंग एक्सपर्ट वीरेंद्र पाल सिंह (एडवोकेट) मुजफ्फरनगर से कराई है, जिसमें जोगेंद्र का फर्जीवाड़ा सामने आया है. मामले पर निरीक्षक कमल कुमार लुंठी ने बताया कि फिलहाल मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.

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