हरिद्वार: महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव की बारात उनके ससुराल में भव्य तरीके से निकाली जाती है और मां पार्वती से उनका मिलन कराया जाता है. आयोजकों का कहना है कि महाशिवरात्रि पर्व हरिद्वार में इसलिए हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, क्योंकि कनखल दक्ष प्रजापति भगवान शिव की ससुराल है.
नीलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव की बारात रुकी थी. शिव भगवान की बारात का पुराणों में भी वर्णन है, यहीं से शिव भगवान ने वीरभद्र को राजा दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने के लिए भेजा था. ऋषिकेश में वीरभद्र का मंदिर स्थापित है और यह इस बात का प्रमाण है कि हरिद्वार एक पौराणिक नगरी है.
आयोजक राजू बक्शी ने बताया कि उनके द्वारा निकाली जाने वाली भगवान शिव की बारात हरकी पैड़ी सुभाष घाट से निकाली जाती है और उसके बाद पूरे हरिद्वार में भ्रमण करती है. उन्होंने कहा कि यह औघड़ दानी की बारात है, इसमें भूत, पिशाच, देवी-देवता सब सम्मिलित होते हैं. जिसके चलते लोगों में भगवान शिव की बारात को देखने का उत्साह बना रहता है.
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भगवान शिव की बारात को देखने के लिए पूरा शहर तो उमड़ता ही है, साथ ही भारी संख्या में श्रद्धालु भी इस बारात को देखने के लिए हरिद्वार आते हैं. स्थानीय निवासियों का कहना था कि पिछले कई वर्षों से हम भगवान शिव की बारात को देखते आ रहे हैं. जिसमें हम लोगों को बाराती बनने का मौका भी मिलता है और बारात को देखकर ऐसा लगता है कि जिस तरह से भगवान शिव की बारात उस वक्त कनखल में आई होगी ऐसा ही नजारा हुआ होगा.
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वहीं, हरकी पैड़ी स्थित सुभाष सागर से शाम को निकली भगवान शिव की बारात पूरे शहर में घूमती हुई देर रात हरकी पैड़ी स्थित भगवान शंकर के मंदिर आकर समाप्त होती है. इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के बाराती बनते हैं और भगवान शिव की बारात का शहर में जगह-जगह जमकर स्वागत किया जाता है.