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महाकुंभ: शाही स्नान में क्यों नहीं होती VIP की एंट्री, क्या है इससे जुड़ा पंडित नेहरू का नाता?

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Published : Jan 3, 2021, 2:13 PM IST

Updated : Jan 3, 2021, 4:18 PM IST

आजादी के बाद से होने वाले कुंभ में वीआइपी के आने पर प्रतिबंध लगाया गया था. तब सभी अखाड़ों ने उस वक्त बैठक कर एक निर्णय लिया कि कुंभ मेले में जब भी शाही स्नान होगा तो देश के प्रधानमंत्री सहित कोई भी वीआईपी शाही स्नान में नहीं आएगा.

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वीआइपीओं की एंट्री बैन

हरिद्वार: कुंभ मेला हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है. हर 12 साल में चार स्थानों पर कुंभ मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में देश और विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. कुंभ मेले के शाही स्नान का काफी महत्व होता है. इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, लेकिन कुंभ मेले में होने वाले शाही स्नान के दिन किसी भी वीआईपी को एंट्री नहीं मिलती है. आखिर क्यों वीआइपीओ को शाही स्नान वाले दिन कुंभ मेले में आना प्रतिबंधित है और इस मामले से क्यों जुड़ा है देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाता. देखिए यह रिपोर्ट.

शाही स्नान में क्यों नहीं होती VIP की एंट्री.

कुंभ मेले के शाही स्नान में साधु संत और देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य के भागी बनते हैं, लेकिन भारत देश आजाद होने के बाद से जितने भी कुंभ आयोजित हुए हैं. उसमें वीआइपी के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. वह भी इस कारण कि जब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू देश आजाद होने के बाद प्रयागराज कुंभ में पहुंचे थे, तब कुंभ में एक बड़ा हादसा हो गया था. उसमें कई लोगों की जान गई थी.

13 अखाड़ों में प्रमुख बड़े अखाड़े के मुख्य महंत और कुंभ मेला प्रभारी दुर्गादास का कहना है कि देश आजाद होने के बाद पहला कुंभ प्रयागराज में हुआ था. शाही स्नान वाले दिन सभी अखाड़ों के संत अपने समय के अनुसार स्नान करने जा रहे थे. इस दौरान देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी प्रयागराज पहुंचे और नाव पर सवार होकर संगम की ओर जाने रहे थे. तभी लाखों की संख्या में प्रयागराज कुंभ में पहुंचे श्रद्धालु, उन्हें देखने के लिए पहुंचे और वहां पर भगदड़ मच गई. इसी वक्त अखाड़ों के साधु संत भी स्नान करने निकले थे और इस घटना में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई.

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महाकुंभ शाही स्नान.

ये भी पढ़ें: GMVN के राजस्व में हुआ इजाफा, आमदनी बढ़ाने को लेकर उठाए ये कदम

प्रशासन द्वारा आरोप लगाया गया कि अखाड़ों द्वारा शाही स्नान में भगदड़ मची, लेकिन अखाड़ों का कहना था कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आने की वजह से भगदड़ मची. तब सभी अखाड़ों ने उस वक्त बैठक कर एक निर्णय लिया कि कुंभ मेले में जब भी शाही स्नान होगा तो देश के प्रधानमंत्री सहित कोई भी वीआईपी शाही स्नान में नहीं आएगा. अगर किसी भी वीआईपी को आना है तो, वह शाही स्नान के बाद ही आएगा. यह परंपरा तब से आज तक चली आ रही है.

इस बार धर्मनगरी हरिद्वार में कुंभ मेला आयोजित होने वाला है. कुंभ मेले में वीआइपीओ के शाही स्नान पर आने को लेकर मेला प्रशासन भी सतर्क नजर आ रहा है. कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है कि कुंभ मेले में वीआइपीओ के आने को लेकर उनके द्वारा केंद्र सरकार को पत्र भेजा जाएगा. उनके द्वारा ही सभी राज्यों की सरकारों को पत्र भेजा जाएगा कि हरिद्वार में लगने वाले महाकुंभ में शाही स्नान के दिन कोई भी वीआईपी हरिद्वार ना आए. क्योंकि शाही स्नान वाले दिन मेला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर नियंत्रण को लेकर काफी दबाव रहता है. वीआइपी के आने से ऐसी स्थिति ना बनें, जिससे भीड़ नियंत्रण करने में परेशानियों का सामना करना पड़े. इस बार के हरिद्वार महाकुंभ में भी किसी भी वीआईपी को शाही स्नान के दिन हरिद्वार में प्रवेश नहीं दिया जाएगा, इसको लेकर मेला प्रशासन द्वारा पूरी रूपरेखा तैयार की जा रही है.

हरिद्वार: कुंभ मेला हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है. हर 12 साल में चार स्थानों पर कुंभ मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में देश और विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. कुंभ मेले के शाही स्नान का काफी महत्व होता है. इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, लेकिन कुंभ मेले में होने वाले शाही स्नान के दिन किसी भी वीआईपी को एंट्री नहीं मिलती है. आखिर क्यों वीआइपीओ को शाही स्नान वाले दिन कुंभ मेले में आना प्रतिबंधित है और इस मामले से क्यों जुड़ा है देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाता. देखिए यह रिपोर्ट.

शाही स्नान में क्यों नहीं होती VIP की एंट्री.

कुंभ मेले के शाही स्नान में साधु संत और देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य के भागी बनते हैं, लेकिन भारत देश आजाद होने के बाद से जितने भी कुंभ आयोजित हुए हैं. उसमें वीआइपी के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. वह भी इस कारण कि जब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू देश आजाद होने के बाद प्रयागराज कुंभ में पहुंचे थे, तब कुंभ में एक बड़ा हादसा हो गया था. उसमें कई लोगों की जान गई थी.

13 अखाड़ों में प्रमुख बड़े अखाड़े के मुख्य महंत और कुंभ मेला प्रभारी दुर्गादास का कहना है कि देश आजाद होने के बाद पहला कुंभ प्रयागराज में हुआ था. शाही स्नान वाले दिन सभी अखाड़ों के संत अपने समय के अनुसार स्नान करने जा रहे थे. इस दौरान देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी प्रयागराज पहुंचे और नाव पर सवार होकर संगम की ओर जाने रहे थे. तभी लाखों की संख्या में प्रयागराज कुंभ में पहुंचे श्रद्धालु, उन्हें देखने के लिए पहुंचे और वहां पर भगदड़ मच गई. इसी वक्त अखाड़ों के साधु संत भी स्नान करने निकले थे और इस घटना में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई.

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महाकुंभ शाही स्नान.

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प्रशासन द्वारा आरोप लगाया गया कि अखाड़ों द्वारा शाही स्नान में भगदड़ मची, लेकिन अखाड़ों का कहना था कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आने की वजह से भगदड़ मची. तब सभी अखाड़ों ने उस वक्त बैठक कर एक निर्णय लिया कि कुंभ मेले में जब भी शाही स्नान होगा तो देश के प्रधानमंत्री सहित कोई भी वीआईपी शाही स्नान में नहीं आएगा. अगर किसी भी वीआईपी को आना है तो, वह शाही स्नान के बाद ही आएगा. यह परंपरा तब से आज तक चली आ रही है.

इस बार धर्मनगरी हरिद्वार में कुंभ मेला आयोजित होने वाला है. कुंभ मेले में वीआइपीओ के शाही स्नान पर आने को लेकर मेला प्रशासन भी सतर्क नजर आ रहा है. कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है कि कुंभ मेले में वीआइपीओ के आने को लेकर उनके द्वारा केंद्र सरकार को पत्र भेजा जाएगा. उनके द्वारा ही सभी राज्यों की सरकारों को पत्र भेजा जाएगा कि हरिद्वार में लगने वाले महाकुंभ में शाही स्नान के दिन कोई भी वीआईपी हरिद्वार ना आए. क्योंकि शाही स्नान वाले दिन मेला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर नियंत्रण को लेकर काफी दबाव रहता है. वीआइपी के आने से ऐसी स्थिति ना बनें, जिससे भीड़ नियंत्रण करने में परेशानियों का सामना करना पड़े. इस बार के हरिद्वार महाकुंभ में भी किसी भी वीआईपी को शाही स्नान के दिन हरिद्वार में प्रवेश नहीं दिया जाएगा, इसको लेकर मेला प्रशासन द्वारा पूरी रूपरेखा तैयार की जा रही है.

Last Updated : Jan 3, 2021, 4:18 PM IST
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