हरिद्वार: कोविड काल के दौरान आयोजित हो रहे कुंभ 2021 में संक्रमण से बचाव को लेकर जहां सरकार ने एसओपी जारी की है वहीं, अब अखाड़े भी लोगों से अपील कर रहे हैं कि जब भी कुंभ में आएं तो मास्क जरूर पहनें. इसके साथ ही अखाड़ों ने 2 गज की दूरी के नियमों का पालन करने की भी अपील की है.
दरअसल, इस बार कुंभ कोरोना काल में आयोजित किया जा रहा है. जिसे लेकर कोविड 19 के संक्रमण से बचाव को किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अपील जारी की है. उन्होंने कहा है कि जब भी श्रद्धालु कुंभ में आयें 2 गज की दूरी और मास्क जरूर पहनें. साथ ही उन्होंने अपील की कि उनके अखाड़े के सभी महामंडलेश्वर मास्क पहनें.
कोविड-19 के साए में आयोजित होने जा रहे इस मेले में बड़ी संख्या में साधु-संत पहुंच गए हैं. पहली बार कुंभ मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर किन्नर अखाड़ा आकर्षण का केंद्र बन रहा है.
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किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कुंभ मेले में आने वाले सभी श्रद्धालुओं से मास्क लगाकर कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि उनके सभी किन्नर संत मास्क लगा रहे हैं साथ ही उन्होंने सभी से मास्क लगाने की अपील की है जिससे सुरक्षित मेला संपन्न हो सके.
निकाली थी भव्य पेशवाई
धर्मनगरी में कुंभ के अनेक रंग देखने को मिल रहे हैं. बीते 4 मार्च को जूना, अग्नि और किन्नर अखाड़ों की पेशवाई निकाली गई. धर्मनगरी में साधु-संतों का भव्य स्वागत किया. जूना, अग्नि और किन्नर अखाड़ा के साधु संत पूरे शहर में आकर्षण का केंद्र रहे. वहीं, इस दौरान गंगा-जमुनी तहजीब भी देखने को मिली. जूना अखाड़ा की छावनी में ही इस बार किन्नर अखाड़ा को जगह दी गई है. लिहाजा, पेशवाई में किन्नरों का अलग ही आकर्षण दिखाई दे रहा था. ऊपर से नीचे तक सोने चांदी से लदी हुई किन्नर संत शहर से जब निकली तो देखने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा.
इस बार के कुंभ में किन्नर अखाड़ा सबसे बड़ी जो पहल करने जा रहा है वो यह है कि अब क 2013 से 2021 तक कोई भी इस अखाड़े में महिला और पुरुष शामिल नहीं हुआ है, लेकिन यह पहली बार होगा कि जब न केवल महिला महामंडलेश्वरों को इस अखाड़े में उपाधि दी जा रही है, बल्कि पुरुष संत भी किन्नर अखाड़ा में शामिल होंगे. किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि जब इस अखाड़े की स्थापना की गई थी तो उनका मुख्य मकसद सिर्फ एक ही था कि जो भी इस अखाड़े में शामिल होना चाहता है. वह किन्नरों के प्रति हीन भावना ना रखे. अगर उसके अंदर प्रेम है भक्ति है और गुरु के प्रति समर्पण है, तभी वह इस अखाड़े में शामिल हो सकता है.