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भारतीय रेलवे और IIT रुड़की मिलकर करेंगे काम

भारतीय रेलवे ने आईआईटी रुड़की के साथ ही आईआईटी कानपुर और आईआईटी मद्रास के साथ अनुसंधान के क्षेत्र में अपने सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक एमओयू को नया रूप दिया है. भारतीय रेल के लिए इस एमओयू का उद्देश्य शिक्षा और उद्योग जगत के डोमेन नॉलेज और विशेषज्ञता का लाभ लेने में तेजी लाना है.

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भारतीय रेल और IIT रुड़की मिलकर करेंगे काम
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Published : Sep 25, 2020, 12:14 PM IST

रुड़की: भारतीय रेल दुनिया का सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है. ये प्रति वर्ष 8.397 बिलियन यात्रियों को यातायात की सुविधा प्रदान करता है. प्रतिदिन 1,000 मिलियन टन से अधिक माल को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाता है. यह ट्रैक इन्फ्रास्ट्रक्चर, पुल, रोलिंग स्टॉक और सिग्नलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अपनी परिसंपत्तियों के आधुनिकीकरण और उन्नयन के रूप में एक बड़े तकनीकी परिवर्तन से गुजर रहा है. यह कंडीशन मॉनिटरिंग, प्रीडिक्टिव मेन्टेनेन्स सिस्टम्स, डेटा एनालिटिक्स और अन्य क्षेत्रों में नई तकनीकों के विकास पर भी काम कर रहा है. रेल मंत्रालय द्वारा नेटवर्क के मुख्य मार्गों पर गति-उन्नयन परियोजनाओं को भी मिशन-मोड में लिया जा रहा है.

भारतीय रेल ने आईआईटी रुड़की के साथ ही आईआईटी कानपुर और आईआईटी मद्रास के साथ अनुसंधान के क्षेत्र में अपने सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक एमओयू को नया रूप दिया है. भारतीय रेल के लिए इस एमओयू का उद्देश्य शिक्षा और उद्योग जगत के डोमेन नॉलेज और विशेषज्ञता का लाभ लेने में तेजी लाना है. ताकि भारतीय रेल नेटवर्क के लिए नई तकनीकों और अप्लीकेशन के विकास के लिए आवश्यक अनुसंधान को सही दिशा मिल सके. एमओयू रेल मंत्रालय द्वारा कोर और मौलिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अनुमोदित सेंटर फॉर रेलवे रिसर्च (सीआरआर) के माध्यम से ट्रैक, ब्रिज और स्ट्रक्चर्स, हाई-स्पीड रेल के लिए सिविल इन्फ्रास्ट्रक्चर, ब्रिज स्ट्रक्चर्स और हेल्थ मॉनिटरिंग, ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम, रेलवे एसेट्स की रिमोट मॉनिटरिंग सहित अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देगा.

भारतीय रेल की संगठनात्मक संरचना में बड़े बदलाव हुए हैं, जिसके तहत प्रबंधन, अनुसंधान और विकास संवर्गों को अलग किया गया है. अनुसंधान और विकास हमारी प्राथमिकता है, और यह तभी सफल हो सकता है जब यह मूल या जमीनी स्थिति के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ हो. आईआईटी अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए लंबे समय तक चलने वाली साझेदारी की आशा करती है, जो भारतीय रेल के परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करेगी. आगे आईआईटी में आरडीएसओ को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की तर्ज पर पुनर्गठित करने की योजना बनाई है.

ये भी पढ़ें : आईआईटी रुड़की में विकसित किया जाएगा 'आईहब', ऐसे करेगा काम

विनोद कुमार यादव, अध्यक्ष और सीईओ, रेलवे बोर्ड, ने कहा भारतीय रेल की प्रमुख तकनीकी समस्याओं को हल करने में आईआईटी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. न्यूनतम ऊर्जा अपव्यय, धूल का कम-से-कम जमाव और न्यूनतम कंपन के साथ-साथ संचालन के प्रबंधन में रिमोट मॉनिटरिंग जैसी तकनीकी प्रगति के माध्यम से रोलिंग स्टॉक की दक्षता सुनिश्चित करना हमारी प्रमुख चुनौतियों में है. मुझे विश्वास है कि भारतीय रेल की आकांक्षाओं को पूरा करने में इस एमओयू की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

रुड़की: भारतीय रेल दुनिया का सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है. ये प्रति वर्ष 8.397 बिलियन यात्रियों को यातायात की सुविधा प्रदान करता है. प्रतिदिन 1,000 मिलियन टन से अधिक माल को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाता है. यह ट्रैक इन्फ्रास्ट्रक्चर, पुल, रोलिंग स्टॉक और सिग्नलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अपनी परिसंपत्तियों के आधुनिकीकरण और उन्नयन के रूप में एक बड़े तकनीकी परिवर्तन से गुजर रहा है. यह कंडीशन मॉनिटरिंग, प्रीडिक्टिव मेन्टेनेन्स सिस्टम्स, डेटा एनालिटिक्स और अन्य क्षेत्रों में नई तकनीकों के विकास पर भी काम कर रहा है. रेल मंत्रालय द्वारा नेटवर्क के मुख्य मार्गों पर गति-उन्नयन परियोजनाओं को भी मिशन-मोड में लिया जा रहा है.

भारतीय रेल ने आईआईटी रुड़की के साथ ही आईआईटी कानपुर और आईआईटी मद्रास के साथ अनुसंधान के क्षेत्र में अपने सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक एमओयू को नया रूप दिया है. भारतीय रेल के लिए इस एमओयू का उद्देश्य शिक्षा और उद्योग जगत के डोमेन नॉलेज और विशेषज्ञता का लाभ लेने में तेजी लाना है. ताकि भारतीय रेल नेटवर्क के लिए नई तकनीकों और अप्लीकेशन के विकास के लिए आवश्यक अनुसंधान को सही दिशा मिल सके. एमओयू रेल मंत्रालय द्वारा कोर और मौलिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अनुमोदित सेंटर फॉर रेलवे रिसर्च (सीआरआर) के माध्यम से ट्रैक, ब्रिज और स्ट्रक्चर्स, हाई-स्पीड रेल के लिए सिविल इन्फ्रास्ट्रक्चर, ब्रिज स्ट्रक्चर्स और हेल्थ मॉनिटरिंग, ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम, रेलवे एसेट्स की रिमोट मॉनिटरिंग सहित अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देगा.

भारतीय रेल की संगठनात्मक संरचना में बड़े बदलाव हुए हैं, जिसके तहत प्रबंधन, अनुसंधान और विकास संवर्गों को अलग किया गया है. अनुसंधान और विकास हमारी प्राथमिकता है, और यह तभी सफल हो सकता है जब यह मूल या जमीनी स्थिति के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ हो. आईआईटी अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए लंबे समय तक चलने वाली साझेदारी की आशा करती है, जो भारतीय रेल के परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करेगी. आगे आईआईटी में आरडीएसओ को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की तर्ज पर पुनर्गठित करने की योजना बनाई है.

ये भी पढ़ें : आईआईटी रुड़की में विकसित किया जाएगा 'आईहब', ऐसे करेगा काम

विनोद कुमार यादव, अध्यक्ष और सीईओ, रेलवे बोर्ड, ने कहा भारतीय रेल की प्रमुख तकनीकी समस्याओं को हल करने में आईआईटी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. न्यूनतम ऊर्जा अपव्यय, धूल का कम-से-कम जमाव और न्यूनतम कंपन के साथ-साथ संचालन के प्रबंधन में रिमोट मॉनिटरिंग जैसी तकनीकी प्रगति के माध्यम से रोलिंग स्टॉक की दक्षता सुनिश्चित करना हमारी प्रमुख चुनौतियों में है. मुझे विश्वास है कि भारतीय रेल की आकांक्षाओं को पूरा करने में इस एमओयू की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

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