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मनसा और चंडी देवी पर चढ़ावे के फूलों से बनेगी धूपबत्ती और हवन सामग्री, जल्द ग्रीन टेम्पल माॅडल होगा तैयार

जिलाधिकारी सी.रविशंकर की अध्यक्षता में आज मां मनसा देवी व मां चंडी देवी मंदिर परिसर को ग्रीन टेम्पल माॅडल के रूप में विकसित करने को लेकर बैठक हुई. बैठक में जिलाधिकारी ने आईटीसी के अधिकारियों को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए.

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जल्द ग्रीन टेम्पल माॅडल होगा तैयार
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Published : Nov 20, 2020, 6:34 PM IST

हरिद्वार: सिडकुल स्थित आईटीसी कंपनी की तरफ से सीएसआर योजना के तहत मां मनसा देवी व मां चंडी देवी मंदिर परिसर को ग्रीन टेम्पल माॅडल के रूप में विकसित किया जाएगा. जिलाधिकारी सी.रविशंकर की अध्यक्षता में हुई बैठक में आईटीसी के अधिकारियों ने वीडियो व एनीमेशन के माध्यम से योजना के संबंध जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि मनसा देवी एवं चंडी देवी मंदिर में प्रतिदिन 15 से 20 हजार श्रद्धालु पहुंचते हैं. जबकि, नवरात्रों व अन्य विशेष पर्वों के दौरान करीब एक लाख श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. दोनों शक्तिपीठों का रास्ता काफी लंबा है. इन दोनों मंदिरों के रास्ते से तकरीबन 390 किलो कूड़ा प्रतिदिन निकलता है. जिसका निस्तारण आंशिक रूप से ही हो पाता है.

अधिकारियों ने बताया कि मंदिर के आस-पास पूजा सामग्री व खाद्य सामग्री की दुकानें है. जो कई प्रकार का कूड़ा मन्दिर परिसर अथवा आस-पास बिखेरते रहते हैं. जिससे आसपास का वातावरण दूषित होने के साथ ही जैव विविधता को भी खतरा है तथा कूड़े से आकर्षित होकर जंगली पशु आदि भी आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं.

ग्रीन टेम्पल माॅडल के संबंध में जानकारी देते हुए आईटीसी के अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए कमेटी गठित की जाएगी. मन्दिर से प्राप्त फूलों-जैसे गुलाब, गेंदा आदि को अलग-अलग करके धूपबत्ती, अगरबत्ती व हवन सामग्री बनायी जाएगी. जिसका प्लांट सबसे पहले लगाया जाएगा तथा इसकी मार्केटिंग का खास ध्यान रखा जायेगा. अवयव से खाद बनायी जाएगी, जिसका इस्तेमाल खेती में किया जाएगा. बायोगैस का इस्तेमाल मन्दिर में प्रसाद आदि बनाने में किया जायेगा. मंदिरों से निकलने वाली प्रत्येक वस्तु के निस्तारण के लिये अलग-अलग योजना बनाई जायेगी.

उन्होंने यह भी बताया कि 52 किलो कूड़ा प्रतिदिन ऐसा निकलता है, जिसे रिसाइकिल किया जा सकता है.प्लास्टिक-नायलाॅन कैरी बैग, कप आदि को प्रतिबंधित करके रोका जा सकता है. मंदिर से संबंधित लोगों को ग्रीन टेम्पल अवधारणा के अनुसार प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित किया जायेगा. जिसके साथ व्यापारियों को जागरूक किया जायेगा, ग्रीन टेम्पल की अवधारणा के अनुसार प्रचार-प्रसार किया जायेगा. रुचि रखने वाले एनजीओ को भी इसमें शामिल किया जायेगा. उन्होंने बताया कि आईटीसी तमिलनाडु में मदूरै सहित तीन मन्दिरों को ग्रीन टैम्पल के रूप में विकसित कर चुकी है. जहां व्यवस्थित ढंग से कार्य चल रहा है. उन्होंने कहा कि यहां के मन्दिरों के अनुसार योजना को डिजाइन किया जाएगा.
ये भी पढ़ें : IMPACT: जिस्मफरोशी के धंधे पर कसी नकेल, 8 महिलाएं गिरफ्तार

बैठक में दोनों मन्दिरों परिसरों को टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर करने के संबंध में भी चर्चा हुई. जिलाधिकारी ने बैठक में उपस्थित वन एवं वन्य जीव विभाग के अधिकारियों से इस सम्बन्ध में पूछा तो उन्होंने बताया कि दोनों मन्दिरों के परिसर को टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर करने में कोई परेशानी नहीं है. बैठक में दोनों मन्दिर परिसरों में वेंडिंग जोन विकसित करने, ग्रीन टेम्पल के लिए लोगों को तैयार करने, एकत्र होने वाले कूड़े के निस्तारण, मंदिर के रास्तों पर अलग-अलग रंगों के कूड़ेदान लगाने आदि के संबंध में भी चर्चा हुई.

वहीं, जिलाधिकारी के सवाल का जवाब देते हुए आईटीसी अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर प्रथम सप्ताह में ग्रीन टेम्पल का माॅडल प्रस्तुत कर दिया जाएगा. जिलाधिकारी ने बताया कि कि ग्रीन टेम्पल प्रोजेक्ट पर काफी कार्य हो चुका है. इसे जल्द ही धरातल पर उतार दिया जाएगा.

हरिद्वार: सिडकुल स्थित आईटीसी कंपनी की तरफ से सीएसआर योजना के तहत मां मनसा देवी व मां चंडी देवी मंदिर परिसर को ग्रीन टेम्पल माॅडल के रूप में विकसित किया जाएगा. जिलाधिकारी सी.रविशंकर की अध्यक्षता में हुई बैठक में आईटीसी के अधिकारियों ने वीडियो व एनीमेशन के माध्यम से योजना के संबंध जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि मनसा देवी एवं चंडी देवी मंदिर में प्रतिदिन 15 से 20 हजार श्रद्धालु पहुंचते हैं. जबकि, नवरात्रों व अन्य विशेष पर्वों के दौरान करीब एक लाख श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. दोनों शक्तिपीठों का रास्ता काफी लंबा है. इन दोनों मंदिरों के रास्ते से तकरीबन 390 किलो कूड़ा प्रतिदिन निकलता है. जिसका निस्तारण आंशिक रूप से ही हो पाता है.

अधिकारियों ने बताया कि मंदिर के आस-पास पूजा सामग्री व खाद्य सामग्री की दुकानें है. जो कई प्रकार का कूड़ा मन्दिर परिसर अथवा आस-पास बिखेरते रहते हैं. जिससे आसपास का वातावरण दूषित होने के साथ ही जैव विविधता को भी खतरा है तथा कूड़े से आकर्षित होकर जंगली पशु आदि भी आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं.

ग्रीन टेम्पल माॅडल के संबंध में जानकारी देते हुए आईटीसी के अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए कमेटी गठित की जाएगी. मन्दिर से प्राप्त फूलों-जैसे गुलाब, गेंदा आदि को अलग-अलग करके धूपबत्ती, अगरबत्ती व हवन सामग्री बनायी जाएगी. जिसका प्लांट सबसे पहले लगाया जाएगा तथा इसकी मार्केटिंग का खास ध्यान रखा जायेगा. अवयव से खाद बनायी जाएगी, जिसका इस्तेमाल खेती में किया जाएगा. बायोगैस का इस्तेमाल मन्दिर में प्रसाद आदि बनाने में किया जायेगा. मंदिरों से निकलने वाली प्रत्येक वस्तु के निस्तारण के लिये अलग-अलग योजना बनाई जायेगी.

उन्होंने यह भी बताया कि 52 किलो कूड़ा प्रतिदिन ऐसा निकलता है, जिसे रिसाइकिल किया जा सकता है.प्लास्टिक-नायलाॅन कैरी बैग, कप आदि को प्रतिबंधित करके रोका जा सकता है. मंदिर से संबंधित लोगों को ग्रीन टेम्पल अवधारणा के अनुसार प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित किया जायेगा. जिसके साथ व्यापारियों को जागरूक किया जायेगा, ग्रीन टेम्पल की अवधारणा के अनुसार प्रचार-प्रसार किया जायेगा. रुचि रखने वाले एनजीओ को भी इसमें शामिल किया जायेगा. उन्होंने बताया कि आईटीसी तमिलनाडु में मदूरै सहित तीन मन्दिरों को ग्रीन टैम्पल के रूप में विकसित कर चुकी है. जहां व्यवस्थित ढंग से कार्य चल रहा है. उन्होंने कहा कि यहां के मन्दिरों के अनुसार योजना को डिजाइन किया जाएगा.
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बैठक में दोनों मन्दिरों परिसरों को टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर करने के संबंध में भी चर्चा हुई. जिलाधिकारी ने बैठक में उपस्थित वन एवं वन्य जीव विभाग के अधिकारियों से इस सम्बन्ध में पूछा तो उन्होंने बताया कि दोनों मन्दिरों के परिसर को टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर करने में कोई परेशानी नहीं है. बैठक में दोनों मन्दिर परिसरों में वेंडिंग जोन विकसित करने, ग्रीन टेम्पल के लिए लोगों को तैयार करने, एकत्र होने वाले कूड़े के निस्तारण, मंदिर के रास्तों पर अलग-अलग रंगों के कूड़ेदान लगाने आदि के संबंध में भी चर्चा हुई.

वहीं, जिलाधिकारी के सवाल का जवाब देते हुए आईटीसी अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर प्रथम सप्ताह में ग्रीन टेम्पल का माॅडल प्रस्तुत कर दिया जाएगा. जिलाधिकारी ने बताया कि कि ग्रीन टेम्पल प्रोजेक्ट पर काफी कार्य हो चुका है. इसे जल्द ही धरातल पर उतार दिया जाएगा.

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