ETV Bharat / state

खुशखबरी: कोरोना के मरीजों को मिलेगी 'प्राण वायु', IIT रुड़की के वैज्ञानिकों ने बनाया पोर्टेबल वेंटिलेटर - कोरोना से जंग

एक अनुमान के मुताबिक, देश के अस्पतालों में अभी 40 हजार के करीब वेंटिलेटर हैं. जिस तरह कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, उसके अनुसार इससे ज्यादा वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में आईआईटी रुड़की का एक आविष्कार बहुत मददगार साबित हो सकता है.

Portable ventilator for corona treatment.
पोर्टेबल वेंटिलेटर आसान करेगा कोरोना के मरीजों का इलाज.
author img

By

Published : Apr 3, 2020, 10:11 AM IST

Updated : Apr 4, 2020, 12:01 AM IST

रुड़की: कोरोना महामारी से बचने के लिए हमारे देश में 14 अप्रैल तक लॉक डाउन है. सरकार हर वो प्रयास कर रही है जिससे कोरोना से कम से कम लोग संक्रमित हों. लेकिन जो लोग संक्रमित हो चुके हैं या हो रहे हैं उन्हें अस्पताल में वेंटिलेटर की जरूरत है. एक अनुमान के मुताबिक देश के अस्पतालों में अभी 40 हजार के करीब वेंटिलेटर हैं. जिस तरह कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, उसके अनुसार इससे ज्यादा वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में आईआईटी रुड़की का एक आविष्कार बहुत मददगार साबित हो सकता है.

पढ़ें- अच्छी खबर: 477 नए डॉक्टर्स की नियुक्ति, कोरोना से 'जंग' में निभाएंगे अहम भूमिका

आईआईटी रुड़की हमेशा से ही कुछ न कुछ नया करता आया है. इस बार यहां के वैज्ञानिकों ने पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाया है. ये वेंटिलेटर कोरोना जैसी महामारी में मरीजों के इलाज में बहुत काम आ सकता है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 'प्राण-वायु’ नाम के इस क्लोज्ड लूप वेंटिलेटर को एम्स ऋषिकेश के सहयोग से बनाया गया है.

कोरोना के मरीजों को मिलेगी 'प्राण वायु'.

पढ़ें- 21 मार्च को आबू धाबी से भारत लौटा था शख्स, क्वारंटाइन के लिए टिहरी डीएम को लिखना पड़ा लेटर

ऐसे काम करता है पोर्टेबल वेंटिलेटर

portable ventilator
IIT रुड़की ने बनाया पोर्टेबल वेंटिलेटर

आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों का बनाया वेंटिलेटर स्वचालित प्रक्रिया दबाव और प्रवाह की दर को सांस लेने और छोड़ने के अनुसार नियंत्रित करता है. इस वेंटिलेटर में ऐसी व्यवस्था है जो टाइडल वॉल्यूम और प्रति मिनट सांस को नियंत्रित कर सकती है. वेंटिलेटर सभी आयु वर्ग के रोगियों, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए खास लाभदायक होगा.

ये है प्राण वायु वेंटिलेटर की विशेषता

इस वेंटिलेटर को काम करने के लिए कंप्रेस्ड हवा की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इसलिए इससे अस्पताल के वार्ड या खुली जगह को आईसीयू में बदल सकते हैं. रियल टाइम स्पायरोमेट्री और अलार्म से सुसज्जित होने से ये सुरक्षित और विश्वसनीय बन जाता है.

आईआईटी रुड़की और एम्स ऋषिकेश की जुगलबंदी

दरअसल कोविड 19 जैसे संकट के समय जल्द उपयोगी आविष्कार के लिए सप्ताह भर पहले ही एक टीम बनाई गई थी. रिसर्च टीम में आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी और प्रो.अरूप कुमार दास के साथ एम्स ऋषिकेश से डॉ. देवेन्द्र त्रिपाठी शामिल थे. टीम ऑनलाइन एक-दूसरे को सपोर्ट कर रही थी. डॉक्टर देवेंद्र त्रिपाठी कोरोना के मरीजों के इलाज में पेश आ रही दिक्कतों को बताते थे. आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी और प्रो.अरूप कुमार दास ने उसी को ध्यान में रखते हुए प्राण वायु वेंटिलेटर बना डाला.

चूंकि, इस दौरान लॉकडाउन था तो इसलिए आईआईटी रुड़की की टिंकरिंग प्रयोगशाला की सुविधाओं का उपयोग किया गया. माइक्रोप्रोसेसर-कंट्रोल्ड नॉन-रिटर्न वॉल्व, सोलेनॉइड वॉल्व, वन-वे वॉल्व आदि जैसे कई भागों के विकास की आवश्यकता थी. इसे आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी, प्रो.अरूप कुमार दास और एम्स ऋषिकेश के डॉक्टर देवेंद्र त्रिपाठी के ऑनलाइन संवाद ने संभव कर दिखाया.

"प्राण-वायु" पोर्टेबल वेंटिलेटर को विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के इलाज के लिए डिजाइन किया गया है. यह कम लागत वाला, सुरक्षित और विश्वसनीय मॉडल है. इसका निर्माण तेजी से किया जा सकता है. अब देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है तो "प्राण-वायु" पोर्टेबल वेंटिलेटर उनके इलाज में काम आएगा. इससे डॉक्टरों को भी इलाज में आसानी होगी.

रुड़की: कोरोना महामारी से बचने के लिए हमारे देश में 14 अप्रैल तक लॉक डाउन है. सरकार हर वो प्रयास कर रही है जिससे कोरोना से कम से कम लोग संक्रमित हों. लेकिन जो लोग संक्रमित हो चुके हैं या हो रहे हैं उन्हें अस्पताल में वेंटिलेटर की जरूरत है. एक अनुमान के मुताबिक देश के अस्पतालों में अभी 40 हजार के करीब वेंटिलेटर हैं. जिस तरह कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, उसके अनुसार इससे ज्यादा वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में आईआईटी रुड़की का एक आविष्कार बहुत मददगार साबित हो सकता है.

पढ़ें- अच्छी खबर: 477 नए डॉक्टर्स की नियुक्ति, कोरोना से 'जंग' में निभाएंगे अहम भूमिका

आईआईटी रुड़की हमेशा से ही कुछ न कुछ नया करता आया है. इस बार यहां के वैज्ञानिकों ने पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाया है. ये वेंटिलेटर कोरोना जैसी महामारी में मरीजों के इलाज में बहुत काम आ सकता है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 'प्राण-वायु’ नाम के इस क्लोज्ड लूप वेंटिलेटर को एम्स ऋषिकेश के सहयोग से बनाया गया है.

कोरोना के मरीजों को मिलेगी 'प्राण वायु'.

पढ़ें- 21 मार्च को आबू धाबी से भारत लौटा था शख्स, क्वारंटाइन के लिए टिहरी डीएम को लिखना पड़ा लेटर

ऐसे काम करता है पोर्टेबल वेंटिलेटर

portable ventilator
IIT रुड़की ने बनाया पोर्टेबल वेंटिलेटर

आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों का बनाया वेंटिलेटर स्वचालित प्रक्रिया दबाव और प्रवाह की दर को सांस लेने और छोड़ने के अनुसार नियंत्रित करता है. इस वेंटिलेटर में ऐसी व्यवस्था है जो टाइडल वॉल्यूम और प्रति मिनट सांस को नियंत्रित कर सकती है. वेंटिलेटर सभी आयु वर्ग के रोगियों, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए खास लाभदायक होगा.

ये है प्राण वायु वेंटिलेटर की विशेषता

इस वेंटिलेटर को काम करने के लिए कंप्रेस्ड हवा की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इसलिए इससे अस्पताल के वार्ड या खुली जगह को आईसीयू में बदल सकते हैं. रियल टाइम स्पायरोमेट्री और अलार्म से सुसज्जित होने से ये सुरक्षित और विश्वसनीय बन जाता है.

आईआईटी रुड़की और एम्स ऋषिकेश की जुगलबंदी

दरअसल कोविड 19 जैसे संकट के समय जल्द उपयोगी आविष्कार के लिए सप्ताह भर पहले ही एक टीम बनाई गई थी. रिसर्च टीम में आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी और प्रो.अरूप कुमार दास के साथ एम्स ऋषिकेश से डॉ. देवेन्द्र त्रिपाठी शामिल थे. टीम ऑनलाइन एक-दूसरे को सपोर्ट कर रही थी. डॉक्टर देवेंद्र त्रिपाठी कोरोना के मरीजों के इलाज में पेश आ रही दिक्कतों को बताते थे. आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी और प्रो.अरूप कुमार दास ने उसी को ध्यान में रखते हुए प्राण वायु वेंटिलेटर बना डाला.

चूंकि, इस दौरान लॉकडाउन था तो इसलिए आईआईटी रुड़की की टिंकरिंग प्रयोगशाला की सुविधाओं का उपयोग किया गया. माइक्रोप्रोसेसर-कंट्रोल्ड नॉन-रिटर्न वॉल्व, सोलेनॉइड वॉल्व, वन-वे वॉल्व आदि जैसे कई भागों के विकास की आवश्यकता थी. इसे आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी, प्रो.अरूप कुमार दास और एम्स ऋषिकेश के डॉक्टर देवेंद्र त्रिपाठी के ऑनलाइन संवाद ने संभव कर दिखाया.

"प्राण-वायु" पोर्टेबल वेंटिलेटर को विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के इलाज के लिए डिजाइन किया गया है. यह कम लागत वाला, सुरक्षित और विश्वसनीय मॉडल है. इसका निर्माण तेजी से किया जा सकता है. अब देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है तो "प्राण-वायु" पोर्टेबल वेंटिलेटर उनके इलाज में काम आएगा. इससे डॉक्टरों को भी इलाज में आसानी होगी.

Last Updated : Apr 4, 2020, 12:01 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.