हल्द्वानी: किसान से मूर्तिकार बने हरनाम सिंह बचपन से मूर्ति बनाने की शौक रखते हैं. लेकिन खेती-बाड़ी में अधिक फायदा नहीं होने के चलते, उन्होंने मूर्ति बनाने का काम शुरू किया. आज हरनाम सिंह की वाइल्ड लाइफ से संबंधित मूर्तियां उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में सराही जा रही हैं. जिनकी मांग बढ़ती जा रही है. हरनाम सिंह ने कहा कि युवा पीढ़ी को भी इस काम को सीखना चाहिए और वो अपने बेटे को भी इस काम को सिखा रहे हैं.
हल्द्वानी के बेरीपड़ाव के रहने वाले मूर्तिकार हरनाम सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. हरनाम सिंह पहले खेती-बाड़ी करते थे. लेकिन उन्होंने अपना शौक पूरा करने के लिए बेजान मूर्तियों में जान फूंकना शुरू कर दिया. हरनाम सिंह ने बताया कि उनको बचपन से ही मूर्ति बनाने का शौक था. लेकिन किसान परिवार से होने के चलते खेती के कारोबार में लगे रहे. लेकिन उसमें ज्यादा फायदा नहीं होने के चलते, उन्होंने अपने इस हुनर को तराशना शुरू किया.
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इस दौरान उनकी मुलाकात राजस्थान के रहने वाले मूर्तिकार से हुई, जिससे उन्होंने मूर्ति बनाने की कला को सीखा. आज हरनाम सिंह वन्यजीव के साथ-साथ पर्यावरण के क्षेत्र से जुड़े पेड़ पौधों की मूर्ति तैयार कर वन विभाग के अलावा सरकारी और निजी क्षेत्रों में बिक्री करते हैं. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ ही उनकी कला का शौक भी पूरा होता है. हरनाम सिंह का कहना है कि उनको बचपन से ही पर्यावरण से प्रेम था और वह पर्यावरण से जुड़े अधिकतर मूर्तियां बनाते हैं. जहां विलुप्त हो चुकी प्रजाति डायनासोर के अलावा हाथी, टाइगर, शेर,जिराफ, मोर,सारस आदि की मूर्तियां बनाते हैं.
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उन्होंने बताया कि उनके द्वारा तैयार की गई मूर्तियों की डिमांड उत्तराखंड ही नहीं बल्कि, कई अन्य राज्यों से भी आती है. उनके हुनर की हर कोई तारीफ करता है. उन्होंने बताया कि मूर्ति को तैयार करने में वह सीमेंट, सरिया और रेत का प्रयोग करते हैं. हरनाम सिंह के मुताबिक इस तरह की मूर्तिकला केवल राजस्थान में देखी जाती है. कहा कि इस तरह की कला को नई पीढ़ी को भी सीखना चाहिए. इसलिए वो अपने बेटे को भी इस कला को सिखा रहे हैं.