हरिद्वार: पंजाब में चल रही राजनीति का असर अब उत्तराखंड में भी देखने को मिल रहा है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने प्रभारी के पद से हटने की इच्छा जताई है. हरीश रावत ने कहा वह उत्तराखंड की राजनीति में ध्यान देना चाहते हैं, लेकिन अभी फिलहाल हाईकमान से उन्हें कोई निर्देश नहीं मिला है.
बता दें जब से पंजाब में कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का नया मुख्यमंत्री बनाया है, तब राजनीतिक गहमागहमी बनी हुई. नवजोत सिंह सिद्धू का कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना इसे और बढ़ा गया है. इन सबके बीच पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत उत्तराखंड से पंजाब की दौड़ में लगे रहे. अब हरीश रावत भी अपने पद से कार्य मुक्त होना चाहते हैं.
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हरीश रावत का कहना है कि मैंने पहले ही अपनी इच्छा जताई थी कि मैं उत्तराखंड की राजनीति पर फोकस करना चाहता हूं. लेकिन अभी फिलहाल हाईकमान से मेरे लिए कोई निर्देश नहीं आया है. जब तक हाईकमान चाहेगा, तब तक मैं सेवा करता रहूंगा. जिस दिन वह मुझे कार्यमुक्त करेंगे, मैं खुशी दिखाते हुए बड़े दिल से उनका धन्यवाद करूंगा. नये पंजाब प्रभारी के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस मामले में हाईकमान को निर्णय लेना है.
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पंजाब में हुए बदलाव को लेकर हरीश रावत ने कहा पंजाब के सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए गए हैं. आगे भी सभी की सहमति से सारे फैसले लिए जाएंगे. उन्होंने कहा अगर किसी दलित के बेटे के मुख्यमंत्री बनना किसी को रास नहीं आ रहा है तो इसमें किसी का कोई दोष नहीं है.
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हरीश रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को सलाह देते हुए कहा कि वह मेरे पुराने दोस्त हैं, मैं उन्हें सलाह दूंगा कि वह हाईकमान और सर्वसम्मति से लिए गए फैसले का स्वागत करें. वे वास्तविकता को समझें. उन्होंने कहा मैं सिर्फ उन्हें सलाह दे रहा हूं कि वे बीजेपी का दामन ना थामें, क्योंकि पंजाब में बीजेपी एक विलेन के रूप में अपनी जगह बनाए हुए है.
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हरीश रावत ने सिद्धू के इस्तीफे पर कहा कि उन्हें अपनी बात को रखनी चाहिए थी, क्योंकि पंजाब में कांग्रेस की ही सरकार है. मुझे लगता है कि जल्द ही वह अब इस बात को समझेंगे.