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हरिद्वार: लाल किले की घटना को लेकर संतों में आक्रोश - विहिप की फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची

धर्मनगरी हरिद्वार के संतों में गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर तिरंगे का अपमान कर दूसरा झंडा फहराए जाने को लेकर आक्रोश है.

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संतों में आक्रोश
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Published : Jan 29, 2021, 1:21 PM IST

Updated : Jan 29, 2021, 1:39 PM IST

हरिद्वार: 26 जनवरी को किसान आंदोलन की आड़ में हुई हिंसा के बाद संतों में आक्रोश देखा जा रहा है. धर्मनगरी हरिद्वार के संत गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर तिरंगे का अपमान कर दूसरा झंडा फहराए जाने को लेकर आक्रोशित हैं. सभी ने इस घटना की घोर निंदा की है.

लाल किले की घटना को लेकर संतों में आक्रोश.

विहिप की फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची ने कहा कि वो पहले से कहती आई हैं कि किसानों की आड़ लेकर आंदोलन में खालिस्तान समर्थक बैठे हैं. जिसका पुख्ता सबूत 26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले पर तिरंगे के अपमान और उसकी जगह कोई अन्य झंडा फहराने से मिल गया है. वो दिल्ली पुलिस का धन्यवाद करती हैं कि उन्होंने धैर्य का परिचय दिया, नहीं तो 26 जनवरी के दिन दिल्ली में लाशों के ढेर लग जाते. उन्होंने मांग की है कि दिल्ली बॉर्डर पर बैठे लोगों को जल्द से जल्द वहां से हटायें और घर भेजें. जो दिल्ली की घटना के आरोपी हैं उन पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए.

पढ़ें: 24 घंटे में ही पुलिस ने किया राजू बॉक्सर हत्याकांड का खुलासा, पार्टनर ही निकला साजिशकर्ता

वहीं, महंत लोकेशदास ने कहा कि संविधान भले ही सब को धरना-प्रदर्शन कर अपनी बात रखने का अधिकार देता है, लेकिन किसी को यह अधिकार नहीं देता कि वो राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाए. उनका कहना है कि अगर वो 26 जनवरी के दिन वहां होते तो तिरंगे का अपमान करने वाले शख्स को गोली से मार देते. उन्होंने कहा कि अगर किसी को मोदी, योगी का विरोध करना है तो करे लेकिन तिरंगे का अपमान कोई भी देशभक्त सहन नहीं करेगा.

हरिद्वार: 26 जनवरी को किसान आंदोलन की आड़ में हुई हिंसा के बाद संतों में आक्रोश देखा जा रहा है. धर्मनगरी हरिद्वार के संत गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर तिरंगे का अपमान कर दूसरा झंडा फहराए जाने को लेकर आक्रोशित हैं. सभी ने इस घटना की घोर निंदा की है.

लाल किले की घटना को लेकर संतों में आक्रोश.

विहिप की फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची ने कहा कि वो पहले से कहती आई हैं कि किसानों की आड़ लेकर आंदोलन में खालिस्तान समर्थक बैठे हैं. जिसका पुख्ता सबूत 26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले पर तिरंगे के अपमान और उसकी जगह कोई अन्य झंडा फहराने से मिल गया है. वो दिल्ली पुलिस का धन्यवाद करती हैं कि उन्होंने धैर्य का परिचय दिया, नहीं तो 26 जनवरी के दिन दिल्ली में लाशों के ढेर लग जाते. उन्होंने मांग की है कि दिल्ली बॉर्डर पर बैठे लोगों को जल्द से जल्द वहां से हटायें और घर भेजें. जो दिल्ली की घटना के आरोपी हैं उन पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए.

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वहीं, महंत लोकेशदास ने कहा कि संविधान भले ही सब को धरना-प्रदर्शन कर अपनी बात रखने का अधिकार देता है, लेकिन किसी को यह अधिकार नहीं देता कि वो राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाए. उनका कहना है कि अगर वो 26 जनवरी के दिन वहां होते तो तिरंगे का अपमान करने वाले शख्स को गोली से मार देते. उन्होंने कहा कि अगर किसी को मोदी, योगी का विरोध करना है तो करे लेकिन तिरंगे का अपमान कोई भी देशभक्त सहन नहीं करेगा.

Last Updated : Jan 29, 2021, 1:39 PM IST
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