हरिद्वारः मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और बाबा रामदेव जिस बेस अस्पताल का उद्घाटन करके फूले नहीं समा रहे थे, उस अस्पताल पर अब ताला लग गया है. यह अस्पताल महज सफेद हाथी साबित हुआ है. जबकि, इसे कोरोना मरीजों के इलाज में अहम माना जा रहा था, लेकिन अब हरिद्वार प्रशासन ने बंद करने का निर्णय लिया है. हालांकि, इसके पीछे कोरोना के कम आंकड़े और मॉनसून का हवाला दिया जा रहा है. जबकि, तथ्यों की बात करें तो हकीकत कुछ और ही है.
गौर हो कि बेस अस्पताल का संचालन पतंजलि और राज्य सरकार मिलकर कर रही थी. बाबा रामदेव और आईएमए के बीच भी लगातार विवाद जारी है. ऐसे में कहीं न कहीं यह भी माना जा रहा है कि बेस अस्पताल को बंद करने का मुख्य कारण यह भी है.
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वहीं, बात करें बेस अस्पताल की शुरुआत की तो पतंजलि ने बेस अस्पताल का जोर-शोर से प्रचार-प्रसार किया था. इसका उद्घाटन बीते 5 मई को सूबे के मुखिया तीरथ सिंह रावत और बाबा रामदेव ने मिलकर किया था, लेकिन यह अस्पताल मरीजों के मर्ज के काम न आ सका.
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तमाम दावों की पोल तब खुल गई, जब उद्घाटन के कुछ दिनों बाद पूरा अस्पताल जलमग्न हो गया था. इतना ही नहीं बीते सोमवार को आंधी और तेज हवाओं के कारण पूरा अस्पताल क्षतिग्रस्त हो गया. ऐसे में यह बेस अस्पताल 3 हफ्ते भी नहीं टिक पाया.
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वहीं, मामले में हरिद्वार के मुख्य चिकित्साधिकारी शंभूनाथ झा का कहना है कि कुंभ मेला प्रशासन की ओर से स्थापित आधार अस्पताल का संचालन प्रदेश सरकार और पतंजलि योगपीठ के सहयोग से किया जा रहा है. इस अस्पताल में कोविड-19 के द्वितीय चरण में काफी संक्रमित लोगों का सफल इलाज किया गया.
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उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिले में संक्रमण की घटती दर को देखते हुए बेस अस्पताल में कोरोना का कोई भी मरीज भर्ती न होने, अस्थाई निर्माण होने और आगामी मॉनसून सत्र के मद्देनजर इसे स्थगित करने का निर्णय लिया गया है.
शंभूनाथ झा की मानें तो पतंजलि की ओर से शुरू से ही सहयोग किया जा रहा था. उसी दिशा में पतंजलि योगपीठ बाबा बर्फानी अस्पताल के संचालन के लिए 51 लाख की धनराशि का सहयोग करेगी. इसके अलावा गुरूकुल परिसर में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 80 बेड का डेडीकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर (DCHC) निर्माणाधीन थी, वह अब तैयार कर ली गई है.