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हाड़ कंपाती ठंड में प्रशासन के दावों का निकला दम, हरिद्वार शहर में कहीं भी नहीं जल रहे अलाव

उत्तराखंड में इन दिनों पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक सर्दी का सितम जारी है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने हरिद्वार में चौक चौराहों पर जलने वाले अलाव का रियलिटी चेक किया. पता चला है कि हरिद्वार प्रशासन और नगर निगम ने अभी तक शहर के चौक चौराहों पर अलाव की व्यवस्था नहीं की है.

Haridwar reality check
हरिद्वार रियलिटी चेक
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Published : Dec 16, 2022, 3:01 PM IST

Updated : Dec 16, 2022, 6:18 PM IST

हरिद्वार में अलाव का रियलिटी चेक

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में कड़ाके की ठंड पड़नी शुरू हो गई है, लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम ने अभी तक सड़क पर रात गुजारने वालों और यात्रियों के लिए अलाव की व्यवस्था नहीं की है. ईटीवी भारत की टीम ने बीती रात मध्य हरिद्वार से लेकर हरकी पैड़ी तक रियलिटी चेक किया, इस दौरान शहर में एक भी स्थान पर सरकारी अलाव जलता नजर नहीं आया. ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में हरिद्वार के अधिकारियों के अलाव सभी दावे सिर्फ कागजी साबित हुए हैं.

धर्मनगरी हरिद्वार एक पौराणिक स्थल है, जहां पर 12 महीने यात्रियों का आवागमन लगा रहता है. चाहे गर्मियां हो या फिर कड़कड़ाती ठंड. यही कारण है कि दिसंबर से लेकर जनवरी अंत तक हरिद्वार में जिला प्रशासन और नगर निगम न केवल जगह-जगह अलाव जलाने की व्यवस्था करता है, बल्कि सर्दियों में अस्थाई रैन बसेरे भी बनाए जाते हैं, ताकि सड़कों पर रहने वाले लोग और बाहर से आए यात्री, जिनके पास होटल धर्मशाला में रुकने के लिए पैसा नहीं हैं, सिर छुपा सकें.

हैरानी की बात है कि पिछले कुछ दिनों से हरिद्वार में विशेष तौर पर रात में कड़ाके की ठंड पढ़ रही है लेकिन प्रशासन ने हरिद्वार शहर के अलावा कनखल, ज्वालापुर, रानीपुर और बहादराबाद में कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं की है. इतना ही नहीं रात भर मुस्तैदी से सड़कों पर ड्यूटी देने वाले पुलिसकर्मी भी अपनी व्यवस्था करके ही अलाव जला रहे हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय और यात्री: बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और हर की पैड़ी क्षेत्र में कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है, जबकि यहां पूरा साल यात्रियों का आवागमन लगा रहता है. बस स्टैंड रिक्शा यूनियन अध्यक्ष सतीश प्रधान का कहना है कि यहां ना तो पिछले साल और ना ही इस साल अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है.

सतीश प्रधान ने कहा कि बीते 5 सालों से वे अपने पैसों से ही यहां पर लकड़ी की व्यवस्था करते आ रहे हैं. क्षेत्र में करीब 200 रिक्शा चालक रहते हैं. ऐसे में सर्दियों में उनको ही आग की व्यवस्था करनी पड़ती है. उत्तर प्रदेश से हरिद्वार घूमने आए आकाश कुमार का कहना है कि यहां काफी ठंड है. यहां पर आने वाली यात्रियों के लिए भी अलाव की व्यवस्था होनी चाहिए.

नगर निगम क्षेत्र में अलाव लगाने की जिम्मेदारी मेयर और नगर आयुक्त की है. इस संबंध में जब नगर आयुक्त दयानंद सरस्वती से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है. क्योंकि अभी हरिद्वार में ठंड ही नहीं पड़ रही है, लेकिन अब ठंड बढ़ने के साथ निगम क्षेत्र में अलाव जलाने की व्यवस्था की जाएगी. अलाव के लिए जो स्थान चिन्हित है. उन स्थानों पर लकड़ी डालने की व्यवस्था की जाएगी.

क्या कहते हैं एसडीएम: ईटीवी भारत की टीम ने जब उप जिलाधिकारी पूरन सिंह राणा से शहर में अलाव की व्यवस्था के बारे में फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि जहां पर किसानों का धरना (बहादराबाद) चल रहा है. वहां पर आग जलाने की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा शहर के तमाम मुख्य चौक चौराहों के साथ रैन बसेरों में भी अलाव की व्यवस्था कर दी गई है लेकिन ईटीवी भारत की टीम जब इन जगहों पर पहुंची तो यहां पर कोई भी अलाव नहीं मिला. स्थानीय लोगों ने और पुलिसकर्मियों ने खुद ही अलाव की व्यवस्था की थी.

हरिद्वार में अलाव का रियलिटी चेक

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में कड़ाके की ठंड पड़नी शुरू हो गई है, लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम ने अभी तक सड़क पर रात गुजारने वालों और यात्रियों के लिए अलाव की व्यवस्था नहीं की है. ईटीवी भारत की टीम ने बीती रात मध्य हरिद्वार से लेकर हरकी पैड़ी तक रियलिटी चेक किया, इस दौरान शहर में एक भी स्थान पर सरकारी अलाव जलता नजर नहीं आया. ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में हरिद्वार के अधिकारियों के अलाव सभी दावे सिर्फ कागजी साबित हुए हैं.

धर्मनगरी हरिद्वार एक पौराणिक स्थल है, जहां पर 12 महीने यात्रियों का आवागमन लगा रहता है. चाहे गर्मियां हो या फिर कड़कड़ाती ठंड. यही कारण है कि दिसंबर से लेकर जनवरी अंत तक हरिद्वार में जिला प्रशासन और नगर निगम न केवल जगह-जगह अलाव जलाने की व्यवस्था करता है, बल्कि सर्दियों में अस्थाई रैन बसेरे भी बनाए जाते हैं, ताकि सड़कों पर रहने वाले लोग और बाहर से आए यात्री, जिनके पास होटल धर्मशाला में रुकने के लिए पैसा नहीं हैं, सिर छुपा सकें.

हैरानी की बात है कि पिछले कुछ दिनों से हरिद्वार में विशेष तौर पर रात में कड़ाके की ठंड पढ़ रही है लेकिन प्रशासन ने हरिद्वार शहर के अलावा कनखल, ज्वालापुर, रानीपुर और बहादराबाद में कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं की है. इतना ही नहीं रात भर मुस्तैदी से सड़कों पर ड्यूटी देने वाले पुलिसकर्मी भी अपनी व्यवस्था करके ही अलाव जला रहे हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय और यात्री: बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और हर की पैड़ी क्षेत्र में कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है, जबकि यहां पूरा साल यात्रियों का आवागमन लगा रहता है. बस स्टैंड रिक्शा यूनियन अध्यक्ष सतीश प्रधान का कहना है कि यहां ना तो पिछले साल और ना ही इस साल अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है.

सतीश प्रधान ने कहा कि बीते 5 सालों से वे अपने पैसों से ही यहां पर लकड़ी की व्यवस्था करते आ रहे हैं. क्षेत्र में करीब 200 रिक्शा चालक रहते हैं. ऐसे में सर्दियों में उनको ही आग की व्यवस्था करनी पड़ती है. उत्तर प्रदेश से हरिद्वार घूमने आए आकाश कुमार का कहना है कि यहां काफी ठंड है. यहां पर आने वाली यात्रियों के लिए भी अलाव की व्यवस्था होनी चाहिए.

नगर निगम क्षेत्र में अलाव लगाने की जिम्मेदारी मेयर और नगर आयुक्त की है. इस संबंध में जब नगर आयुक्त दयानंद सरस्वती से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है. क्योंकि अभी हरिद्वार में ठंड ही नहीं पड़ रही है, लेकिन अब ठंड बढ़ने के साथ निगम क्षेत्र में अलाव जलाने की व्यवस्था की जाएगी. अलाव के लिए जो स्थान चिन्हित है. उन स्थानों पर लकड़ी डालने की व्यवस्था की जाएगी.

क्या कहते हैं एसडीएम: ईटीवी भारत की टीम ने जब उप जिलाधिकारी पूरन सिंह राणा से शहर में अलाव की व्यवस्था के बारे में फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि जहां पर किसानों का धरना (बहादराबाद) चल रहा है. वहां पर आग जलाने की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा शहर के तमाम मुख्य चौक चौराहों के साथ रैन बसेरों में भी अलाव की व्यवस्था कर दी गई है लेकिन ईटीवी भारत की टीम जब इन जगहों पर पहुंची तो यहां पर कोई भी अलाव नहीं मिला. स्थानीय लोगों ने और पुलिसकर्मियों ने खुद ही अलाव की व्यवस्था की थी.

Last Updated : Dec 16, 2022, 6:18 PM IST
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