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हंसी की मदद करेगी सरकार, परिवार से मिलाने का उठाया बीड़ा, इलाज का खर्च भी उठाएगी

कैबिनेट मंत्री व हरिद्वार से विधायक मदन कौशिक ने हंसी की स्थिति की जानकारी मिली उन्होंने तत्काल डीएम अल्मोड़ा नितिन भदौरिया से उनके परिवार से संपर्क करने को कहा. डीएम अल्मोड़ा की तरफ से इस विषय में कार्य किया जा रहा है.

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हंसी
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Published : Oct 19, 2020, 2:09 PM IST

Updated : Oct 19, 2020, 3:45 PM IST

हरिद्वार: ईटीवी भारत पर दिखाई गई खबर के बाद सरकार ने हंसी प्रहरी का हाल जाना है. खास बातचीत करते हुए सरकार के प्रवक्ता, कैबिनेट मंत्री व हरिद्वार से विधायक मदन कौशिक ने ईटीवी भारत का धन्यवाद करते हुए कहा है कि उन्हें जैसे ही हंसी की स्थिति की जानकारी मिली, उन्होंने तत्काल डीएम अल्मोड़ा नितिन भदौरिया से उनके परिवार से संपर्क करने को कहा. डीएम अल्मोड़ा की तरफ से इस विषय में कार्य किया जा रहा है.

इसके साथ ही मदन कौशिक का कहना है कि ईटीवी भारत के माध्यम से उठाई गई इस आवाज के बाद हो सकता है कि बहुत से भिक्षु अपने परिवार से मिल सकें. मदन कौशिक ने ईटीवी भारत का धन्यवाद करते हुये कहा कि इस तरह की खबरें सामने लेकर आना समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाता है, जिसे बखूबी निभाया गया है.

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हंसी की मदद करेगी सरकार.

गौर हो कि अपनी खबर में ईटीवी भारत ने दिखाया था कि कैसे कुमाऊं यूनिवर्सिटी से डबल एमए करने के साथ-साथ वहां छात्रा यूनियन की उपाध्यक्ष रहीं हंसी वर्तमान समय में रेलवे, बस स्टैंड और गंगा घाटों पर भिक्षा मांग कर अपने और अपने 6 साल के बच्चे का पालन-पोषण कर रही हैं.

कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक से बातचीत.

खबर पर संज्ञान लेते हुये कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने आश्वासन दिया है कि हंसी के परिवार से संपर्क साधा जा रहा है और कोशिश की जा रही है कि हंसी का परिवार उसे अपने साथ लेकर जाए, जिससे उनके स्वास्थ्य आदि का ख्याल रखा जा सके. सरकार हंसी के स्वस्थ होने तक सारा खर्चा वहन करेगी.

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दर-दर भटकने को मजबूर हंसी प्रहरी.

इसके साथ ही शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि इस खबर के बाद सरकार कुंभ मेले से पहले हरिद्वार में बड़े पैमाने पर भिक्षुकों का सत्यापन करवाएगी. हरिद्वार में बने भिक्षुक गृह को भी बदला जाएगा ताकि अधिक से अधिक भिक्षुक उसमें रह सकें.

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हंसी प्रहरी.

पढ़ें: कुमाऊं विवि की जानी-मानी छात्रा मांग रही भीख, पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ लड़ चुकीं चुनाव

क्या है हंसी की कहानी?

अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र के हवालबाग विकासखंड के अंतर्गत गोविंन्दपुर के पास रणखिला गांव निवासी हंसी बचपन से ही काफी मेधावी रही हैं. गांव से छोटे से स्कूल से पास होकर उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया. हंसी पढ़ाई लिखाई और दूसरी एक्टिविटीज में इतनी तेज थी कि साल 1998-99 और 2000 वह चर्चाओं में तब आई, जब कुमाऊं विश्वविद्यालय में छात्रा यूनियन की वाइस प्रेसिडेंट बनी. इसके साथ ही कुमाऊं विश्वविद्यालय से दो बार एमए की पढ़ाई अंग्रेजी और राजनीति विज्ञान में पास करने के बाद हंसी ने कुमाऊं विश्वविद्यालय में ही लाइब्रेरियन की नौकरी की. इसके बाद उन्होंने 2008 तक कई प्राइवेट जॉब भी कीं.

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हंसी की मार्क्सशीट.

2011 के बाद हंसी की जिंदगी में अचानक से मोड़ आया. उन्होंने बताया कि जो इस वक्त जिस तरह की जिंदगी जी रही हैं, वह शादी के बाद हुई आपसी तनातनी का नतीजा है. शादीशुदा जिंदगी में हुई उथल-पुथल के बाद हंसी कुछ समय तक अवसाद में रहीं और इसी बीच उनका धर्म की ओर झुकाव भी हो गया. उन्होंने परिवार से अलग होकर धर्मनगरी में बसने की सोची और हरिद्वार पहुंच गईं. तब से ही वो अपने परिवार से अलग हैं. वो बताती हैं कि इस दौरान उनकी शारीरिक स्थिति भी गड़बड़ रहने लगी और वह सक्षम नहीं रहीं कि कहीं नौकरी कर सकें. इसी दौरान वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि वो आज ऐसी स्थिति में भिक्षा मांगने को मजबूर हैं. वह साल 2012 के बाद से ही हरिद्वार में भिक्षा मांग कर अपना और अपने 6 साल के बच्चे का लालन-पालन कर रही हैं.

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हंसी ने नौकरी से लिये लगाई गुहार.

उन्होंने अपनी स्थिति को लेकर कई बार मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा, यहां तक कि कई बार सचिवालय विधानसभा में भी चक्कर काट चुकी हैं. इस बात के दस्तावेज भी हंसी के पास मौजूद हैं. वह कहती हैं कि अगर सरकार उनकी सहायता करती है तो आज भी वह बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकती हैं.

हरिद्वार: ईटीवी भारत पर दिखाई गई खबर के बाद सरकार ने हंसी प्रहरी का हाल जाना है. खास बातचीत करते हुए सरकार के प्रवक्ता, कैबिनेट मंत्री व हरिद्वार से विधायक मदन कौशिक ने ईटीवी भारत का धन्यवाद करते हुए कहा है कि उन्हें जैसे ही हंसी की स्थिति की जानकारी मिली, उन्होंने तत्काल डीएम अल्मोड़ा नितिन भदौरिया से उनके परिवार से संपर्क करने को कहा. डीएम अल्मोड़ा की तरफ से इस विषय में कार्य किया जा रहा है.

इसके साथ ही मदन कौशिक का कहना है कि ईटीवी भारत के माध्यम से उठाई गई इस आवाज के बाद हो सकता है कि बहुत से भिक्षु अपने परिवार से मिल सकें. मदन कौशिक ने ईटीवी भारत का धन्यवाद करते हुये कहा कि इस तरह की खबरें सामने लेकर आना समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाता है, जिसे बखूबी निभाया गया है.

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हंसी की मदद करेगी सरकार.

गौर हो कि अपनी खबर में ईटीवी भारत ने दिखाया था कि कैसे कुमाऊं यूनिवर्सिटी से डबल एमए करने के साथ-साथ वहां छात्रा यूनियन की उपाध्यक्ष रहीं हंसी वर्तमान समय में रेलवे, बस स्टैंड और गंगा घाटों पर भिक्षा मांग कर अपने और अपने 6 साल के बच्चे का पालन-पोषण कर रही हैं.

कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक से बातचीत.

खबर पर संज्ञान लेते हुये कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने आश्वासन दिया है कि हंसी के परिवार से संपर्क साधा जा रहा है और कोशिश की जा रही है कि हंसी का परिवार उसे अपने साथ लेकर जाए, जिससे उनके स्वास्थ्य आदि का ख्याल रखा जा सके. सरकार हंसी के स्वस्थ होने तक सारा खर्चा वहन करेगी.

HANSI
दर-दर भटकने को मजबूर हंसी प्रहरी.

इसके साथ ही शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि इस खबर के बाद सरकार कुंभ मेले से पहले हरिद्वार में बड़े पैमाने पर भिक्षुकों का सत्यापन करवाएगी. हरिद्वार में बने भिक्षुक गृह को भी बदला जाएगा ताकि अधिक से अधिक भिक्षुक उसमें रह सकें.

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हंसी प्रहरी.

पढ़ें: कुमाऊं विवि की जानी-मानी छात्रा मांग रही भीख, पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ लड़ चुकीं चुनाव

क्या है हंसी की कहानी?

अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र के हवालबाग विकासखंड के अंतर्गत गोविंन्दपुर के पास रणखिला गांव निवासी हंसी बचपन से ही काफी मेधावी रही हैं. गांव से छोटे से स्कूल से पास होकर उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया. हंसी पढ़ाई लिखाई और दूसरी एक्टिविटीज में इतनी तेज थी कि साल 1998-99 और 2000 वह चर्चाओं में तब आई, जब कुमाऊं विश्वविद्यालय में छात्रा यूनियन की वाइस प्रेसिडेंट बनी. इसके साथ ही कुमाऊं विश्वविद्यालय से दो बार एमए की पढ़ाई अंग्रेजी और राजनीति विज्ञान में पास करने के बाद हंसी ने कुमाऊं विश्वविद्यालय में ही लाइब्रेरियन की नौकरी की. इसके बाद उन्होंने 2008 तक कई प्राइवेट जॉब भी कीं.

HANSI
हंसी की मार्क्सशीट.

2011 के बाद हंसी की जिंदगी में अचानक से मोड़ आया. उन्होंने बताया कि जो इस वक्त जिस तरह की जिंदगी जी रही हैं, वह शादी के बाद हुई आपसी तनातनी का नतीजा है. शादीशुदा जिंदगी में हुई उथल-पुथल के बाद हंसी कुछ समय तक अवसाद में रहीं और इसी बीच उनका धर्म की ओर झुकाव भी हो गया. उन्होंने परिवार से अलग होकर धर्मनगरी में बसने की सोची और हरिद्वार पहुंच गईं. तब से ही वो अपने परिवार से अलग हैं. वो बताती हैं कि इस दौरान उनकी शारीरिक स्थिति भी गड़बड़ रहने लगी और वह सक्षम नहीं रहीं कि कहीं नौकरी कर सकें. इसी दौरान वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि वो आज ऐसी स्थिति में भिक्षा मांगने को मजबूर हैं. वह साल 2012 के बाद से ही हरिद्वार में भिक्षा मांग कर अपना और अपने 6 साल के बच्चे का लालन-पालन कर रही हैं.

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हंसी ने नौकरी से लिये लगाई गुहार.

उन्होंने अपनी स्थिति को लेकर कई बार मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा, यहां तक कि कई बार सचिवालय विधानसभा में भी चक्कर काट चुकी हैं. इस बात के दस्तावेज भी हंसी के पास मौजूद हैं. वह कहती हैं कि अगर सरकार उनकी सहायता करती है तो आज भी वह बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकती हैं.

Last Updated : Oct 19, 2020, 3:45 PM IST
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