देहरादून: उत्तराखंड में करीब 71 फीसदी क्षेत्र में जंगल मौजूद हैं. यही वजह है कि फायर सीजन के दौरान जब जंगलों में आग लगती है तो हजारों हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो जाता है. लिहाजा वन विभाग जंगलों में लगने वाली आग के नियंत्रण और रोकथाम को लेकर कोशिशों में जुटा है. इसी क्रम में राजाजी टाइगर रिजर्व ने अपने फील्ड कर्मचारियों को जीआईएस की ट्रेनिंग दी गई, ताकि फील्ड कर्मचारी अपने-अपने क्षेत्रों की जीआईएस एनालिसिस कर सके. जिससे न सिर्फ वो अपने क्षेत्र को बेहतर ढंग से जान सकेंगे, बल्कि राजाजी टाइगर रिजर्व का रिसर्च वर्क भी होगा.
राजाजी टाइगर रिजर्व के उप निदेशक महातिम यादव ने बताया कि राजाजी टाइगर रिजर्व के फील्ड कर्मचारी जो भी डाटा एकत्रित करते हैं या फिर जो भी कार्रवाई करते हैं, वो जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) के माध्यम से होती है. हालांकि, वन विभाग पिछले 15 सालों से जीआईएस का इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन साल 10 साल नई-नई टेक्नोलॉजी सामने आती जा रही है. जिसको देखते हुए उत्तराखंड में फील्ड कर्मचारियों की ट्रेनिंग कराई गई है. ताकि फील्ड स्टाफ अपनी कार्रवाई में अधिक से अधिक जीआईएस का इस्तेमाल कर सके.
ऐसे में राजाजी टाइगर रिजर्व के फील्ड स्टाफ को क्यूजीआईएस (Quantum Geographic Information System) इंस्टॉल करना सिखाया गया है.जीपीएस फॉर्मेट्स की जानकारी समेत तमाम अन्य जानकारियां भी दी गई हैं. साथ ही, फायर सीजन के दौरान जहां आग लगी होती है, वहां जल्द से जल्द पहुंचना होता है. जिसको देखते हुए राजाजी टाइगर रिजर्व में नई तकनीक के जरिए मैप बनाए जाने हैं. जीआईएस मैप को तैयार करना और उनको पढ़ने की जानकारी दी गई है. इसके अलावा, अलग-अलग सेटेलाइट से डाटा डाउनलोड करना जैसी जानकारी दी गई है.
फील्ड स्टाफ फायर वाइल्ड लाइफ मॉनिटरिंग के साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व में चल रहे तमाम प्रोजेक्ट्स को बेहतर तरीके से लागू करना समेत तमाम चीजों में काफी मदद मिलेगी. साथ ही कहा कि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के वैज्ञानिक से ये भी चर्चा की गई है कि तमाम फील्ड स्टाफ ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं, जिन्हें कंप्यूटर और इंग्लिश भी आती है. ऐसे में वो अपने क्षेत्र का डिटेल्ड जीआईएस एनालिसिस करें. पिछले कुछ दशकों में किस तरह से ट्री कवर में बदलाव आया है, उनके क्षेत्र में किस किस प्रजाति के वृक्षों का जंगल है, जिससे फील्ड स्टाफ की प्रैक्टिस होने के साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व का रिसर्च वर्क भी होगा.
पिछले 20 सालों में किस तरह से जंगल बदला है, जिसको करने के लिए जीआईएस एनालिसिस एक अच्छा टूल है. जिस दिशा में प्रयास किया जा रहा है, इसके लिए उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (U-SAC) भी सहयोग दे रहा है. लिहाजा जो फॉरेस्टर्स और फॉरेस्ट गार्ड इच्छुक हैं, उनको ट्रेनिंग दी जा रही है. साथ ही जब ये फॉरेस्टर्स और फॉरेस्ट गार्ड अपने क्षेत्र में काम करेंगे. साथ ही बताएं कि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में चार दिवसीय ट्रेनिंग का आयोजन किया गया. जिसमें राजाजी टाइगर रिजर्व से 24 कार्मिक ट्रेनिंग में शामिल हुए थे. एक दो हफ्ते बाद 20 से 22 और कर्मचारियों को उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र भेजा जाएगा, ताकि उन्हें जीआईएस एनालिसिस की जानकारी दी जा सके.
पढ़ें-फायर सीजन की तैयारियों में जुटा वन विभाग, ड्रोन से होगी राजाजी टाइगर रिजर्व की निगरानी