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जिनकी याचिका पर सरकार को बदलने पड़े कई फैसले, जानिए कौन हैं सच्चिदानंद डबराल

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Published : May 23, 2021, 2:56 PM IST

Updated : May 23, 2021, 9:50 PM IST

सामाजिक कार्यकर्ता सच्चिदानंद डबराल की याचिका पर उत्तराखंड को अपने कई फैसले बदलने पड़े हैं. हाईकोर्ट ने भी सच्चिदानंद डबराल के जनहित के कार्यों की सराहना की है.

Haridwar
हरिद्वार

हरिद्वारः हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड-19 के तहत सरकार ने नियम बनाए थे. नैनीताल होईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता सच्चिदानंद डबराल के याचिका पर ही हाईकोर्ट ने तीरथ सरकार को महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना महामारी के तहत गाइडलाइन का पालन कराने के निर्देश दिए थे. इसी तरह सच्चिदानंद डबराल आम लोगों की हितों में कई याचिका दायर कर चुके हैं.

सच्चिदानंद डबराल की याचिका पर सरकार को बदलने पड़े कई फैसले.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनका याचिका दायर करने का केवल एक मकसद रहता है कि हर शख्स को उसके नैतिक अधिकार मिले. अधिकार नहीं मिलने पर आम आदमी को लड़कर या छीनकर लेना चाहिए. हर आदमी को इसमें आगे आना चाहिए. जब तक आप अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ेंगे, कोई भी आपका साथ नहीं देगा.

इसलिए दायर करनी पड़ी याचिका

सच्चिदानंद डबराल बताते हैं कि 21 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 दिन का जनता कर्फ्यू पूरे भारत में लगाया था. जिसके बाद सभी राज्यों ने लॉकडाउन को बढ़ाया. सरकार द्वारा लॉकडाउन का फैसला जल्दबाजी में लिया गया, किसी तरह की किसी भी वर्ग के लिए लॉकडाउन में कोई व्यवस्था नहीं की गई. इतना ही नहीं, फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए सरकार ने कुछ नहीं सोचा.

जिसको देखते हुए मैंने अपने अधिवक्ता मित्र शिव भट्ट से सलाह ली. उन्होंने बताया कि आप अपनी बात हाईकोर्ट के माध्यम से सरकार तक पहुंचा सकते हैं. जिसके बाद मेरे द्वारा कोरोना काल में हो रही अव्यवस्थाओं को ठीक करने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका डाली गई. मेरी इस याचिका के जरिए हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य अव्यवस्थाओं का संज्ञान लिया. अभी तक मेरी याचिका पर हाईकोर्ट की तरफ से 66 ऑर्डर आ चुके हैं.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में मौत के आंकड़ों से 'खेल' रहे अस्पताल, हरिद्वार इसमें सबसे आगे

सरकार तक पहुंचाएं अपनी आवाज

सच्चिदानंद डबराल का कहना है आप अपनी बात सरकार तक पहुंचा सकते हैं, लेकिन उसके लिए आपको एक आम नागरिक की तरह सोचना होगा. आपको सोचना होगा कि सरकार की व्यवस्थाओं के कारण आपको किन अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए आपको किसी पार्टी विशेष का होना जरूरी नहीं है. आप अगर समाज के हित में कार्य करना चाहते हैं, तो आपको सफलता जरुर मिलेगी.

सच्चिदानंद डबराल की याचिका का असर

सच्चिदानंद डबराल द्वारा लगाई गई हाईकोर्ट में याचिका पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कई डिसीजन लिए है, जिसमें मुख्य पिछले साल लॉकडाउन में अन्य राज्यों में आ रहे और प्रवासियों को लेकर था. जिसमें हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को अन्य राज्यों से आ रहे प्रवासियों की थर्मल स्कैनिंग, आरटीपीसीआर जांच कराने के आदेश दिए. साथ ही रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर 14 दिन का आइसोलेशन का खर्च भी राज्य सरकार को उठाने के आदेश दिए थे.

इतना ही नहीं, हरिद्वार महाकुंभ कार्यों को लेकर भी हाईकोर्ट ने एक कमेटी बनाकर डबराल के ही याचिका पर निरीक्षण करने के लिए उन्हें हरिद्वार भेजा. जिसमें उनकी बात सत्य पाई गई. कमेटी ने हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट सबमिट की. जिस पर चीफ जस्टिस आर मलिमत ने डबराल और उनके वकील की सराहना भी की.

हरिद्वारः हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड-19 के तहत सरकार ने नियम बनाए थे. नैनीताल होईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता सच्चिदानंद डबराल के याचिका पर ही हाईकोर्ट ने तीरथ सरकार को महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना महामारी के तहत गाइडलाइन का पालन कराने के निर्देश दिए थे. इसी तरह सच्चिदानंद डबराल आम लोगों की हितों में कई याचिका दायर कर चुके हैं.

सच्चिदानंद डबराल की याचिका पर सरकार को बदलने पड़े कई फैसले.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनका याचिका दायर करने का केवल एक मकसद रहता है कि हर शख्स को उसके नैतिक अधिकार मिले. अधिकार नहीं मिलने पर आम आदमी को लड़कर या छीनकर लेना चाहिए. हर आदमी को इसमें आगे आना चाहिए. जब तक आप अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ेंगे, कोई भी आपका साथ नहीं देगा.

इसलिए दायर करनी पड़ी याचिका

सच्चिदानंद डबराल बताते हैं कि 21 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 दिन का जनता कर्फ्यू पूरे भारत में लगाया था. जिसके बाद सभी राज्यों ने लॉकडाउन को बढ़ाया. सरकार द्वारा लॉकडाउन का फैसला जल्दबाजी में लिया गया, किसी तरह की किसी भी वर्ग के लिए लॉकडाउन में कोई व्यवस्था नहीं की गई. इतना ही नहीं, फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए सरकार ने कुछ नहीं सोचा.

जिसको देखते हुए मैंने अपने अधिवक्ता मित्र शिव भट्ट से सलाह ली. उन्होंने बताया कि आप अपनी बात हाईकोर्ट के माध्यम से सरकार तक पहुंचा सकते हैं. जिसके बाद मेरे द्वारा कोरोना काल में हो रही अव्यवस्थाओं को ठीक करने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका डाली गई. मेरी इस याचिका के जरिए हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य अव्यवस्थाओं का संज्ञान लिया. अभी तक मेरी याचिका पर हाईकोर्ट की तरफ से 66 ऑर्डर आ चुके हैं.

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सरकार तक पहुंचाएं अपनी आवाज

सच्चिदानंद डबराल का कहना है आप अपनी बात सरकार तक पहुंचा सकते हैं, लेकिन उसके लिए आपको एक आम नागरिक की तरह सोचना होगा. आपको सोचना होगा कि सरकार की व्यवस्थाओं के कारण आपको किन अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए आपको किसी पार्टी विशेष का होना जरूरी नहीं है. आप अगर समाज के हित में कार्य करना चाहते हैं, तो आपको सफलता जरुर मिलेगी.

सच्चिदानंद डबराल की याचिका का असर

सच्चिदानंद डबराल द्वारा लगाई गई हाईकोर्ट में याचिका पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कई डिसीजन लिए है, जिसमें मुख्य पिछले साल लॉकडाउन में अन्य राज्यों में आ रहे और प्रवासियों को लेकर था. जिसमें हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को अन्य राज्यों से आ रहे प्रवासियों की थर्मल स्कैनिंग, आरटीपीसीआर जांच कराने के आदेश दिए. साथ ही रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर 14 दिन का आइसोलेशन का खर्च भी राज्य सरकार को उठाने के आदेश दिए थे.

इतना ही नहीं, हरिद्वार महाकुंभ कार्यों को लेकर भी हाईकोर्ट ने एक कमेटी बनाकर डबराल के ही याचिका पर निरीक्षण करने के लिए उन्हें हरिद्वार भेजा. जिसमें उनकी बात सत्य पाई गई. कमेटी ने हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट सबमिट की. जिस पर चीफ जस्टिस आर मलिमत ने डबराल और उनके वकील की सराहना भी की.

Last Updated : May 23, 2021, 9:50 PM IST
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