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पिरान कलियर के बगल में स्थित हैं चार मजारें, जहां हर धर्म के लोगों की पूरी होती हैं मुरादें

रुड़की में पिरान कलियर काफी विख्यात है. इसके अलावा कई और मजारें भी मौजूद हैं जो अपना अलग महत्व रखते हैं. पिरान कलियर के पास ही चार मजारें हैं. जिसमें हर धर्म के लोग पहुंचते हैं. इतना ही नहीं कहा जाता है कि यहां पर नमक और झाड़ू चढ़ाने से हर मुरादें पूरी होती है.

साबिर पाक के मजार
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Published : Jun 17, 2019, 5:33 PM IST

रुड़की: शहर से 8 किलोमीटर की दूरी पर विश्व विख्यात पिरान कलियर स्थित है. यहां पर सभी धर्मों के लोग अपनी अपनी मुरादें लेकर आते हैं. कहते हैं कि यहां हर किसी की मुरादें पूरी होती हैं. इस धर्म नगरी में मुख्य साबिर पाक के मजार के साथ ही चार अन्य शख्सियतों की भी मजार हैं. इन पर जाकर लोगों को रूहानी फेज का इल्म हासिल होता है. इन्हें लोग बड़े एहतराम के साथ तवज्जों देते हैं.

साबिर पाक के मजार पर नमक और झाड़ू चढ़ाने से पूरी होती है हर मुरादें.


बता दें, पिरान कलियर में साबिर पाक की मजार के साथ हजरत इमाम साहब, किलकिला साहब, पीर गरीब अली साहब और अब्दाल साहब की मजार शरीफ है. सब दरगाहों की अलग-अलग मान्यताएं हैं. पिरान कलियर गंगनहर के पार हजरत पीर गैब अली साहब की मजार पर लोग अपनी जिस्मानी बीमारियों के लिए प्रसाद के रूप में नमक और झाड़ू चढ़ाकर अपने लिए दुआ मांगते हैं.

ये भी पढ़ेंः 24 जून से उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र, त्रिवेंद्र कैबिनेट का भी जल्द होगा विस्तार


यहां आने वाले लोगों के अनुसार इस प्रक्रिया के बाद उन्हें अपनी परेशानी से निजात मिल जाती है. दरगाह पीर गैब अली साहब के मजार पर दूर-दराज से अकीदत मंद आते हैं और अपने दुख तकलीफ को दूर करते हैं.
वहीं, आस्थावान लोग बताते हैं कि दरगाह पीर गैब अली साहब में उनकी गहरी आस्था है और पिछले लंबे अरसे से वह वहां आते रहते हैं. दरबार में आकर उन्हें जिस्मानी और रूहानी सुकून मिलता है.

रुड़की: शहर से 8 किलोमीटर की दूरी पर विश्व विख्यात पिरान कलियर स्थित है. यहां पर सभी धर्मों के लोग अपनी अपनी मुरादें लेकर आते हैं. कहते हैं कि यहां हर किसी की मुरादें पूरी होती हैं. इस धर्म नगरी में मुख्य साबिर पाक के मजार के साथ ही चार अन्य शख्सियतों की भी मजार हैं. इन पर जाकर लोगों को रूहानी फेज का इल्म हासिल होता है. इन्हें लोग बड़े एहतराम के साथ तवज्जों देते हैं.

साबिर पाक के मजार पर नमक और झाड़ू चढ़ाने से पूरी होती है हर मुरादें.


बता दें, पिरान कलियर में साबिर पाक की मजार के साथ हजरत इमाम साहब, किलकिला साहब, पीर गरीब अली साहब और अब्दाल साहब की मजार शरीफ है. सब दरगाहों की अलग-अलग मान्यताएं हैं. पिरान कलियर गंगनहर के पार हजरत पीर गैब अली साहब की मजार पर लोग अपनी जिस्मानी बीमारियों के लिए प्रसाद के रूप में नमक और झाड़ू चढ़ाकर अपने लिए दुआ मांगते हैं.

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यहां आने वाले लोगों के अनुसार इस प्रक्रिया के बाद उन्हें अपनी परेशानी से निजात मिल जाती है. दरगाह पीर गैब अली साहब के मजार पर दूर-दराज से अकीदत मंद आते हैं और अपने दुख तकलीफ को दूर करते हैं.
वहीं, आस्थावान लोग बताते हैं कि दरगाह पीर गैब अली साहब में उनकी गहरी आस्था है और पिछले लंबे अरसे से वह वहां आते रहते हैं. दरबार में आकर उन्हें जिस्मानी और रूहानी सुकून मिलता है.

Intro:इस मजार पर होती हैं बीमारियां दूर


Body:रुड़की से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर पिरान कलियर का विश्व विख्यात धार्मिक स्थल है पिरान कलियर विभिन्न धर्मो के लोगों का आस्था का प्रतीक है यहां पर सभी धर्मों के लोग अपनी अपनी मुरादें लेकर आते हैं कहते हैं कि यहां हर किसी की मुरादें पूरी होती हैं इस धर्म नगरी में मुख्य साबिर पाक के मजार के साथ ही चार अन्य शख्सियतों की भी मजार हैं इन पर जाकर लोगों को रूहानी फेज का इल्म हासिल होता है इन्हें लोग बड़े एहतराम के साथ तवज्जो देते हैं।

दरअसल आपको बतादें कि रुडकी के पिरान कलियर में साबिर पाक की मजार के साथ चार दरगाह और भी है जिनमें हजरत इमाम साहब किलकिला साहब पीर गरीब अली साहब और अब्दाल साहब की मजार शरीफ है सब दरगाहों की अलग-अलग मान्यताएं हैं जिनमें से दरगाह पीर गैब अली साहब के मजार शरीफ पर अकीदतमंद अपनी जिस्मानी बीमारियों को दूर करने के लिए झाड़ू और नमक का प्रसाद चढ़ाते हैं और फेज़ियाब होते हैं पिरान कलियर गंगनहर के पार हजरत पीर गैब अली साहब के नाम से जाने जाने वाले संत की मजार पर लोग अपनी जिस्मानी बीमारियों के लिए प्रसाद के रूप में नमक और झाड़ू चढ़ाकर अपने लिए दुआ मांगते हैं यहां आने वाले लोगों के अनुसार इस प्रक्रिया के बाद उन्हें अपनी परेशानी से निजात मिल जाती है आस्थावान लोगों की मानें तो तमाम जिस्मानी बीमारियों को दूर करने के लिए मजार शरीफ पर झाड़ू और नमक चढ़ाया जाता है जिसके बाद बीमारियों से निजात मिलती है दरगाह पीर गैब अली साहब के मजार पर दूर-दराज से अकीदत मन आते हैं और अपने दुख तकलीफ को दूर करते हैं।

बाइट - अकीदतमंद -1,2
बाइट - मौसम अली (स्थानीय निवासी)



Conclusion:वहीं आस्थावान लोग बताते हैं कि दरगाह पीर ग़ैब अली साहब मैं उनकी गहरी आस्था है और पिछले लंबे अरसे से वह वहां आते रहते हैं दरबार में आकर उन्हें जिस्मानी और रूहानी सुकून मिलता है लोगों की मानें तो जिस्मानी तमाम बीमारियां मात्र झाड़ू और नमक चढ़ाकर दूर की जाती है इसके साथ ही रसोली मस्से आदि बीमारियों के लिए चांदी भी चढ़ाई जाती है दरगाह पर बिगड़ी को बनाने वालों का तांता लगा रहता है कोई बीमारी से परेशान होकर दरबार में हाजिरी पेश करता है तो कोई रूहानी फ़ैज हासिल करने के लिए दरबार में मत्था टेकता नजर आता है यह सिलसिला बादस्तूर जारी है।

बाइट - सय्यद शाहिद अली (दरगाह खादिम)
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