हरिद्वारः उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक, 2022 को अपनी स्वीकृति दे दी है, जिसमें गैरकानूनी धर्मांतरण को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाने के लिए अधिकतम 10 साल के कारावास की सजा का प्रावधान है. वहीं, राज्यपाल के इस बिल को मंजूरी देने के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद (Swami Yatishwaranand) ने खुशी जताई है.
उन्होंने कहा कि जो लोग लालच देकर लोगों का धर्म परिवर्तन कराते हैं. उनके खिलाफ कानून पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में बनाया है. इसका श्रेय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जाता है. इस कानून की उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि देश में भी आवश्यकता है. कई लोग गरीब तबके को लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशी में क्रिसमस पर सामूहिक धर्मांतरण को लेकर बवाल, ईसाई मिशनरी के लोगों पर मुकदमा दर्ज
क्या है उत्तराखंड धर्मांतरण कानूनः उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में धर्मांतरण कानून में संशोधन कर उसे और कठोर बनाया है. उत्तराखंड में साल 2018 में जो धर्मांतरण कानून बनाया गया था, उसमें दोषी को एक से पांच साल की कैद और एससी-एसटी के मामले में दो से सात साल के कैद की सजा का प्राविधान था. लेकिन संशोधित कानून में सजा का प्रावधान दस साल का किया गया है. इसके अलावा दोषी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लग सकता है. नए कानून में पीड़िता को मुआवजे का भी प्रावधान है. नया कानून कहता है कि जबरन धर्मांतरण कराने वाले को कम से कम पीड़ित को 5 लाख रुपए देने होंगे.