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हरिद्वारः विदेशी दंपति ने हिदू रीति-रिवाज से दोबारा रचाया विवाह, सात जन्मों तक साथ निभाने का लिया संकल्प

धर्मनगरी हरिद्वार के कनखल में स्विजरलैंड के एक जोड़े ने भारतीय रीति से दोबारा विवाह किया. दोनों ने हिंदू रीति रिवाज में गहरा विश्वास जताया.

विदेशी दंपति ने हिदू रीति रिवाज
विदेशी दंपति ने हिदू रीति रिवाज
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Published : Feb 20, 2020, 3:12 PM IST

हरिद्वारः भारतीय परंपरा और सभ्यता देश दुनिया में मशूहर है. सात समुंदर पार भी भारतीय सभ्यता को लेकर विदेशियों में खासा उत्साह रहता है. विदेशी नागरिक भारतीय सभ्यता से प्रभावित होकर खिंचे चले आते हैं. इसकी एक तस्वीर धर्मनगरी हरिद्वार में देखने को मिली.

यहां विदेशी भारत आकर भारतीय रीति-रिवाज से विवाह करते हैं. विदेशी भारतीय ज्योतिष पद्धति को भी काफी मानते हैं. स्विजरलैंड के एक जोड़े ने भी भारतीय रीति रिवाज से राजा दक्ष की नगरी कनखल में सात फेरे लेकर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की. साथ ही उनके साथ आए तमाम परिवार के मित्रों ने उनको आशीर्वाद देकर उनके उज्जवल भविष्य की मां गंगा से कामना की.

देश-विदेश में भारतीय ज्योतिष अपनी अलग ही पहचान बना रहा हैं और ज्योतिष के मुरीद अब विदेशी भी हो रहे हैं, क्योंकि आज के वक्त में लोग किसी न किसी वजह से परेशान रहते हैं और इसी वजह से ज्योतिष शास्त्र पर लोग काफी विश्वास करते हैं.

विदेशी दंपति ने हिदू रीति-रिवाज से दोबारा रचाया विवाह

इस जोड़े का विवाह संपन्न करवाने वाले ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि वे तीन महीने पहले स्विजरलैंड गए थे. जहां उन्हें जन्मपत्री दिखाई गई इनकी जन्मपत्री में लड़की मांगलिक थी, मगर लड़का मंगली नहीं था और इस वजह से लड़का बीमार रहता था.

उनके द्वारा उनको बताया गया कि एक बार फिर विवाह हिंदू रीति-रिवाज के साथ करना पड़ेगा. जिससे मांगलिक दोष कम हो जाएंगे. जिसके बाद पूरे परिवार के साथ हिंदू रीति-रिवाज के साथ विवाह किया गया और इस विवाह में इनके दोस्त ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और स्विट्जरलैंड से आए.

इनके नाम मनफेट और एलिजाबेथ हैं और दोनों पेशे से इंजीनियर हैं. हिंदू रीति रिवाज में इनका बहुत विश्वास है. इनका कहना है कि इससे पहले भी हमारे द्वारा एक हजार से ज्यादा विदेशी जोड़ों का विवाह कराया गया है.

ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि विदेशों में विवाह के बंधन को सात जन्मों का बंधन नहीं माना जाता. विदेशी लोग नहीं मानते कि वह अगले जन्म में भी एक साथ इस बंधन में बंध जाएंगे. ऐसी विदेश में कोई परंपरा नहीं है मगर जब इनको हिंदू रीति रिवाज के बारे में बताया जाता है तो उस पर उनको पूरी तरह से विश्वास हो जाता है और हिंदू संस्कृति की तरफ विदेशी आकर्षित हो जाते हैं.

विवाह में शिरकत करने पहुंचे विदेशियों का कहना है कि हमें बहुत खुशी है कि हमने भारतीय संस्कृति से हुई इस विवाह में हिस्सा लिया. हमें इसलिए भी बहुत खुशी हो रही है क्योंकि हमारे सभी साथी भगवान और भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए हैं.

इस विवाह को देखकर हमें बहुत अच्छा लगा. हमें ऐसा लगता है कि जैसे कोई गहरा प्यार भरा रिश्ता है. भारतीय संस्कृति में हम महसूस कर सकते हैं कोई रिश्ता है जो इस जिंदगी में ही नहीं, बल्कि आने वाली जिंदगी में भी है. हमें अच्छा लगा जब शादीशुदा जोड़े ने एक दूसरे से वादा किया कि वह उम्रभर साथ रहेंगे हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि भगवान आगे भी दोनों के वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाए.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड: औषधीय गुणों से भरपूर है बद्री बेरी, PM मोदी के डिमांड करने के बाद बढ़ी मांग

भारतीय संस्कृति और हिंदू रीति रिवाज से हुए इस विवाह में शिरकत करने आए विदेशी भी भारतीय परंपरा के रंग में रंगे नजर आए, क्योंकि विवाह में विदेशी जोड़े द्वारा तमाम वह रीति-रिवाज निभाए गए. साथ ही इस जोड़े ने सात जन्मों तक एक दूजे के साथ विवाह के बंधन में बंधने का भी वचन लिया.

हरिद्वारः भारतीय परंपरा और सभ्यता देश दुनिया में मशूहर है. सात समुंदर पार भी भारतीय सभ्यता को लेकर विदेशियों में खासा उत्साह रहता है. विदेशी नागरिक भारतीय सभ्यता से प्रभावित होकर खिंचे चले आते हैं. इसकी एक तस्वीर धर्मनगरी हरिद्वार में देखने को मिली.

यहां विदेशी भारत आकर भारतीय रीति-रिवाज से विवाह करते हैं. विदेशी भारतीय ज्योतिष पद्धति को भी काफी मानते हैं. स्विजरलैंड के एक जोड़े ने भी भारतीय रीति रिवाज से राजा दक्ष की नगरी कनखल में सात फेरे लेकर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की. साथ ही उनके साथ आए तमाम परिवार के मित्रों ने उनको आशीर्वाद देकर उनके उज्जवल भविष्य की मां गंगा से कामना की.

देश-विदेश में भारतीय ज्योतिष अपनी अलग ही पहचान बना रहा हैं और ज्योतिष के मुरीद अब विदेशी भी हो रहे हैं, क्योंकि आज के वक्त में लोग किसी न किसी वजह से परेशान रहते हैं और इसी वजह से ज्योतिष शास्त्र पर लोग काफी विश्वास करते हैं.

विदेशी दंपति ने हिदू रीति-रिवाज से दोबारा रचाया विवाह

इस जोड़े का विवाह संपन्न करवाने वाले ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि वे तीन महीने पहले स्विजरलैंड गए थे. जहां उन्हें जन्मपत्री दिखाई गई इनकी जन्मपत्री में लड़की मांगलिक थी, मगर लड़का मंगली नहीं था और इस वजह से लड़का बीमार रहता था.

उनके द्वारा उनको बताया गया कि एक बार फिर विवाह हिंदू रीति-रिवाज के साथ करना पड़ेगा. जिससे मांगलिक दोष कम हो जाएंगे. जिसके बाद पूरे परिवार के साथ हिंदू रीति-रिवाज के साथ विवाह किया गया और इस विवाह में इनके दोस्त ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और स्विट्जरलैंड से आए.

इनके नाम मनफेट और एलिजाबेथ हैं और दोनों पेशे से इंजीनियर हैं. हिंदू रीति रिवाज में इनका बहुत विश्वास है. इनका कहना है कि इससे पहले भी हमारे द्वारा एक हजार से ज्यादा विदेशी जोड़ों का विवाह कराया गया है.

ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि विदेशों में विवाह के बंधन को सात जन्मों का बंधन नहीं माना जाता. विदेशी लोग नहीं मानते कि वह अगले जन्म में भी एक साथ इस बंधन में बंध जाएंगे. ऐसी विदेश में कोई परंपरा नहीं है मगर जब इनको हिंदू रीति रिवाज के बारे में बताया जाता है तो उस पर उनको पूरी तरह से विश्वास हो जाता है और हिंदू संस्कृति की तरफ विदेशी आकर्षित हो जाते हैं.

विवाह में शिरकत करने पहुंचे विदेशियों का कहना है कि हमें बहुत खुशी है कि हमने भारतीय संस्कृति से हुई इस विवाह में हिस्सा लिया. हमें इसलिए भी बहुत खुशी हो रही है क्योंकि हमारे सभी साथी भगवान और भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए हैं.

इस विवाह को देखकर हमें बहुत अच्छा लगा. हमें ऐसा लगता है कि जैसे कोई गहरा प्यार भरा रिश्ता है. भारतीय संस्कृति में हम महसूस कर सकते हैं कोई रिश्ता है जो इस जिंदगी में ही नहीं, बल्कि आने वाली जिंदगी में भी है. हमें अच्छा लगा जब शादीशुदा जोड़े ने एक दूसरे से वादा किया कि वह उम्रभर साथ रहेंगे हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि भगवान आगे भी दोनों के वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाए.

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भारतीय संस्कृति और हिंदू रीति रिवाज से हुए इस विवाह में शिरकत करने आए विदेशी भी भारतीय परंपरा के रंग में रंगे नजर आए, क्योंकि विवाह में विदेशी जोड़े द्वारा तमाम वह रीति-रिवाज निभाए गए. साथ ही इस जोड़े ने सात जन्मों तक एक दूजे के साथ विवाह के बंधन में बंधने का भी वचन लिया.

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